राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और उपसभापति हरिवंश के बीच जोरदार तल्खी देखने को मिली. हरिवंश ने सदन में सीआईएसएफ की तैनाती से जुड़े खड़गे के पत्र पर इतिहास की घटनाओं का जिक्र कर आईना दिखाया और सदन में गतिरोध को अलोकतांत्रिक, नियमों के खिलाफ बताया. इस पर भड़के विपक्ष के नेता ने आसन के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए आरोप लगा दिया कि सदन को आप चला रहे हैं या अमित शाह चला रहे हैं. हरिवंश ने इस पर नाराजगी जताते हुए कहा कि यह बिल्कुल गलत आरोप है.
दरअसल, हुआ यह कि राज्यसभा की कार्यवाही मंगलवार को जब शुरू हुई, आसन से हरिवंश ने लिस्टेड बिजनेस लिए. इसके बाद उन्होंने विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे की ओर से लिखे गए पत्र का जवाब देना शुरू किया. उन्होंने लगातार गतिरोध को चिंताजनक बताते हुए कहा कि 28 जुलाई को वाईएसआर कांग्रेस के सदस्य जब बोल रहे थे, कुछ सदस्यों ने अपनी सीट से उठकर माइक पर जाकर व्यवधान उत्पन्न किया. हरिवंश ने कहा कि क्या यह सदस्य के विशेषाधिकार का हनन नहीं था?
उन्होंने कहा कि 31 जुलाई को जब एक मंत्री देश से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दे पर बयान दे रहे थे, तब भी बाधा डाली गई. कई और सदस्यों के बोलते समय भी माइक में जाकर नारेबाजी की गई. उपसभापति ने कहा कि वेल में जाकर नारे लगाना अनुचित है. यह सदन की गरिमा गिराने वाला है. उन्होंने पूर्व में हुई घटनाओं का भी जिक्र किया और कहा कि इसी सदन में वेल में जाकर महत्वपूर्ण बिल की कॉपी छिनकर फाड़ी गई है, उन्हें उछाला गया है. उपसभापति ने यह भी कहा कि इस सदन में सुरक्षाकर्मियों का उपस्थित रहना नई बात नहीं है.
हरिवंश ने कहा कि ये सुरक्षाकर्मी विट्ठलभाई पटेल के जमाने से ही रहते आ रहे हैं. ये सुरक्षाकर्मी सदन की गरिमा का ध्यान रखकर काम करते हैं. उन्होंने कहा कि जहां तक सदस्यों के विरोध का लोकतांत्रिक अधिकार की बात है, वह उनका अधिकार है लेकिन सदन की गरिमा के अनुरूप ही. हरिवंश ने कहा कि विपक्ष के नेता का लंबा संसदीय अनुभव है. वह विचार करें कि क्या सदन नहीं चलने देना उचित है. उन्होंने 1998 में, 2008 में वेल में घुसकर हंगामे पर तब के उपसभापतियों की ओर से कही गई बातों का भी जिक्र किया.
230वें सेशन में एक सदस्य जब वेल में घुसकर सदन की कार्यवाही बाधित कर रहे थे, तब तत्कालीन उपसभापति ने इसे लेकर क्या कहा था? उपसभापति ने उसका भी जिक्र किया और कहा कि प्रश्नकाल और जीरो ऑवर महत्वपूर्ण समय होता है. हम हंगामे के कारण कार्यवाही के 41 घंटे से अधिक समय गंवा चुके हैं. पक्ष-विपक्ष, सबकी जिम्मेदारी है सदन चलने देना. कृपया चर्चा में भाग लें. उन्होंने पंडित जवाहरलाल नेहरू को कोट करते हुए अपनी बात पूरी की. इसके बाद विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने बोलना शुरू किया.
मल्लिकार्जुन खड़गे का आसन पर तंज
विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि हम धन्यवाद करते हैं आपका, कि ज्ञान हमको दिया. इस पर उपसभापति ने कहा कि नहीं नहीं, हमने ज्ञान आपसे लिया. मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि बहुत से रेफरेंस आपने पढ़ा दिए, जो हमने नहीं पढ़े थे. उन्होंने अपना पत्र पढ़कर सुनाया और कहा कि इसमें ऐसा क्या है. खड़गे ने कहा कि जब अरुण जेटली उच्च सदन में विपक्ष के नेता थे, उन्होंने कहा था कि प्रोटेस्ट करना और डिसरप्शन करना विपक्ष का लोकतांत्रिक अधिकार है. यह हमारा अधिकार है और हम करते रहेंगे.
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हरिवंश ने आपत्ति करते हुए कहा कि पार्लियामेंट के बाहर ये सारी बातें कहना उचित नहीं है. खड़गे ने कहा कि हमारे पार्लियामेंट के लोग इतने सजग हैं, और आप यहां मीडिया को भी नहीं आने देते. क्या हाउस चलाना चाहते हैं. विट्ठलभाई पटेल से लेकर तमाम लोगों को कोट कर रहे हैं, क्या हमको समझ नहीं आता. ये सब प्रॉसीडिंग से हटाया जाना चाहिए. इसके बाद उपसभापति ने नियम 267 के तहत मिले नोटिस की जानकारी दी और कहा कि किसी भी नोटिस को अनुमति नहीं दी गई है. उन्होंने 267 के तहत नोटिस के आंकड़े भी सदन में बताए और एसआईआर का नाम लिए बिना कहा कि चुनाव आयोग संवैधानिक बॉडी है. इस पर यहां चर्चा नहीं की जा सकती.
विपक्ष के नेता पर भड़के रिजिजू
संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि विपक्ष के नेता ने सवाल उठाया कि सदन में मिलिट्री लाएंगे, दिल्ली पुलिस को लाए, सीआईएसएफ को लाए. उन्होंने तल्ख लहजे में कहा कि उनसे पूछना चाहता हूं कि जब नियमावली स्पष्ट है कि मार्शल रहेगा, उस दिन भी मार्शल ही था. मल्लिकार्जुन खड़गे ने इस गलत तथ्य को लेकर पत्र लिखा, संसदीय कार्य मंत्री ने कहा कि बाहर भी कई लोगों ने टीवी चैनलों पर, अखबारों में यह गलत बात कही. अगर विपक्ष के नेता गलत बात कहते हैं तो उसके लिए क्या कार्रवाई होगी.
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विपक्ष के नेता खड़गे ने कहा कि जब ये भी थे, मैंने जिक्र किया कि सीआईएसएफ तो था, लेकिन पुराने विपक्ष के नेता ने कहा था कि डिसरप्शन इज पार्ट ऑफ डेमोक्रेसी. सीआईएसएफ जो आपने मंगाया है, इस पर टोकते हुए स्पीकर ने कहा कि संशोधन करिए, वह मार्शल ही थे. खड़गे ने कहा कि यह सदन आप चला रहे हैं, या अमित शाह चला रहे हैं. आसन से हरिवंश ने इस पर भी उन्हें टोका और कहा कि यह गलत है, गलत आरोप है. इससे पहले, आसन से हरिवंश ने एक बार विपक्ष के हंगामे और टोका-टाकी पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि आप आसन को भी नहीं बोलने दे रहे.
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