कोर्ट के आदेश की अनदेखी और सरकार की सख्ती... नेपाल की सड़कों पर क्यों उतरे Gen-Z? 6 पॉइंट्स में समझिए

नेपाल की सड़कों पर सोशल मीडिया बैन के खिलाफ नारे गूंज रहे हैं. फेसबुक, इंस्टाग्राम, यूट्यूब जैसे प्लेटफॉर्म ब्लॉक होने के बाद हजारों युवा लोकतंत्र और आज़ादी की आवाज़ बुलंद कर रहे हैं. ये सिर्फ ऐप्स का गुस्सा नहीं, बल्कि भ्रष्टाचार और तानाशाही रवैये के खिलाफ पीढ़ी Z का सीधा विद्रोह है. एक मौत, दर्जनों घायल और सेना की तैनाती, इस डिजिटल दौर की क्रांति के शुरू होने की वजहें समझ‍िए.

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ये युवाओं का हुजूम सोशल मीड‍िया बैन के ख‍िलाफ एक सुर में आवाज उठा रहा है ये युवाओं का हुजूम सोशल मीड‍िया बैन के ख‍िलाफ एक सुर में आवाज उठा रहा है

aajtak.in

  • नई दिल्ली ,
  • 08 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 8:20 PM IST

नेपाल सरकार द्वारा बड़े सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर लगाए गए बैन ने युवाओं के बीच गुस्से की आग भड़का दी है. राजधानी काठमांडू की सड़कों पर हजारों नौजवान उतर आए हैं. हालात इतने बिगड़े कि पुलिस-प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प हो गई. इसमें एक युवक की मौत हो गई, 80 घायल हो गए और हालात संभालने के लिए सेना तक बुलानी पड़ी. आइए समझते हैं कि क्यों ऐसे हालात पैदा हुए. 

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1. क्यों बैन किया सरकार ने

नेपाल सरकार ने फेसबुक, इंस्टाग्राम, यूट्यूब, ट्विटर समेत कई बड़े सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर बैन लगाया. वजह ये बताई गई कि ये कंपनियां सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय में रजिस्टर नहीं हुई थीं. कई बार नोटिस देने और 7 दिन की डेडलाइन के बाद भी किसी ग्लोबल कंपनी ने आवेदन नहीं किया.

2. सुप्रीम कोर्ट का क्या आदेश था

नेपाल सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से कहा था कि कोई भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म बिना रजिस्ट्रेशन के देश में काम नहीं करेगा. कोर्ट के इस आदेश के बाद सरकार ने नेपाल टेलीकम्यूनिकेशन अथॉरिटी को निर्देश दिया और आधी रात से सभी अनरजिस्टर्ड प्लेटफॉर्म्स को ब्लॉक कर दिया.

3. कौन से प्लेटफॉर्म बैन हुए

बैन लिस्ट में फेसबुक, इंस्टाग्राम, मैसेंजर, यूट्यूब, ट्विटर (X), रेडिट, लिंक्डइन, स्नैपचैट, सिग्नल, पिंटरेस्ट, थ्रेड्स, क्लबहाउस और रंबल शामिल हैं. इन साइट्स पर लॉगइन करने पर यूज़र्स को 'This site can’t be reached' का मैसेज मिल रहा है.

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4. कौन से एक्सेसेबल हैं

सरकार ने कहा है कि जो कंपनियां रजिस्टर हो गईं उन्हें छूट दी जाएगी. अभी टिक-टॉक, वाइबर, विटक, निम्बज और पोपो लाइव चल रहे हैं. टेलीग्राम और ग्लोबल डायरी समीक्षा में हैं.

5. पहली बार नहीं है सोशल मीडिया बैन

नेपाल इससे पहले 2023 में भी टिक-टॉक पर बैन लगा चुका है. उस समय कारण बताया गया था कि ऐप “सामाजिक सौहार्द बिगाड़ रहा है और अश्लील कंटेंट फैला रहा है.” बाद में टिक-टॉक ने सरकार के नियम मान लिए और बैन हट गया था.

6. आगे क्या

सोशल मीडिया बैन से युवाओं का गुस्सा फूट पड़ा है. प्रदर्शन में एक युवक की मौत हो चुकी है और 80 से ज्यादा लोग घायल हैं. हालात काबू में रखने के लिए कर्फ्यू और सेना तैनात करनी पड़ी. सरकार का कहना है कि कंपनियों को नियम मानने होंगे, वहीं प्रदर्शनकारी इसे सिर्फ Ban नहीं बल्कि भ्रष्टाचार और सिस्टम की नाकामी के खिलाफ आंदोलन बता रहे हैं.

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