गृह मंत्रालय की साइबर विंग (I4C) ने अक्टूबर 2025 तक देशभर में साइबर ठगी को रोकने के लिए बड़ा अभियान चलाया. जांच एजेंसियों ने 23 लाख शिकायतों पर त्वरित कार्रवाई करते हुए आम जनता के करीब 7130 करोड़ रुपये धोखाधड़ी का शिकार होने से बचाए हैं.
साइबर सिक्योरिटी को मजबूत करने के लिए 31 अक्टूबर तक 11.14 लाख से ज्यादा संदिग्ध सिम कार्ड और 2.96 लाख आईएमईआई (IMEI) नंबरों को ब्लॉक कर दिया गया है.
अपराधियों के वित्तीय नेटवर्क को ध्वस्त करने के लिए 32 लाख से ज्यादा म्यूल बैंक खाते बंद किए गए हैं. सरकारी तंत्र की सक्रियता से डिजिटल अरेस्ट जैसे गंभीर अपराधों में पिछले एक साल में भारी कमी देखी गई है.
साइबर ठगों के नेटवर्क पर बड़ा प्रहार...
MHA की I4C विंग से मिली जानकारी के मुताबिक, साइबर अपराधियों के खिलाफ यह कार्रवाई अभूतपूर्व रही है. ठगों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले तकनीकी संसाधनों को पूरी तरह खत्म करने पर ध्यान दिया गया है. 31 अक्टूबर 2025 तक की गई इस कार्रवाई में फर्जी दस्तावेजों पर आधारित सिम कार्ड्स का सफाया किया गया.
इसके साथ ही ठगी में इस्तेमाल होने वाले मोबाइल हैंडसेट्स के आईएमईआई नंबर भी ब्लैकलिस्ट किए गए हैं. 32 लाख से ज्यादा म्यूल अकाउंट्स बंद होने से अपराधियों के लिए पैसों को ठिकाने लगाना अब बेहद मुश्किल हो गया है.
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डिजिटली अरेस्ट के मामलों में आई बड़ी गिरावट
सरकारी आंकड़ों में 'डिजिटल अरेस्ट' के जरिए होने वाली ठगी में जबरदस्त सुधार दर्ज किया गया है. अक्टूबर 2024 में जहां डिजिटल अरेस्ट के 12,836 मामले सामने आए थे, वहीं अक्टूबर 2025 में यह संख्या घटकर महज 2,653 रह गई है. ठगी गई रकम में भी भारी कमी आई है.
पिछले साल ठगों ने इस तरीके से 184 करोड़ रुपये की चपत लगाई थी, जो अब घटकर सिर्फ 78 करोड़ रुपये रह गई है. यह आंकड़े दर्शाते हैं कि सरकार की सख्त निगरानी और कार्रवाई का असर अब अपराधियों के हौसलों पर दिखने लगा है.
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जितेंद्र बहादुर सिंह