लखनऊ में फर्जी मार्कशीट और डिग्री बनाने वाले इंटर-स्टेट गिरोह का बड़ा खुलासा हुआ है. गोमती नगर पुलिस ने कार्रवाई करते हुए तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जो साल 2021 से फर्जी डिग्री तैयार कर बेच रहे थे. पुलिस के मुताबिक अब तक करीब 1500 लोगों को फर्जी डिग्रियां दी जा चुकी हैं, जिनकी अनुमानित कीमत 15 करोड़ रुपये बताई जा रही है. गिरोह का नेटवर्क कई राज्यों तक फैला हुआ था.
बीटेक से लेकर देते थे इन कोर्सेज की डिग्रियां
पुलिस ने आरोपियों के पास से 25 विश्वविद्यालयों की 923 फर्जी डिग्रियां, 15 अलग-अलग यूनिवर्सिटी की मोहरें, 65 डिग्री प्रिंटिंग पेपर, 6 लैपटॉप और अन्य उपकरण बरामद किए हैं. आरोपी कई बार परीक्षा कराने के नाम पर सेंटर भी लेते थे और वहीं छात्रों को जाल में फंसाते थे. कुछ मामलों में डिग्री देने से पहले फर्जी परीक्षा भी कराई जाती थी, ताकि दस्तावेज पूरी तरह असली लगें.
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पूछताछ में सामने आया है कि गिरोह इंजीनियरिंग (बीटेक), बीसीए, एमसीए, एमएससी, बीए समेत कई कोर्स की डिग्रियां अलग-अलग विश्वविद्यालयों के नाम पर बनाता था. इनमें स्वामी विवेकानंद सुभारती विश्वविद्यालय मेरठ, नार्थ ईस्ट क्रिश्चियन यूनिवर्सिटी नागालैंड, महराजा अग्रसेन हिमालयन गढ़वाल यूनिवर्सिटी उत्तराखंड, कलिंगा यूनिवर्सिटी छत्तीसगढ़, जेआरएन राजस्थान विद्यापीठ उदयपुर और साबरमती यूनिवर्सिटी गुजरात सहित करीब 25 यूनिवर्सिटी शामिल हैं.
15 हजार से 4 लाख रुपये में दी जाती थीं डिग्रियां
डिग्रियों की कीमत 15 हजार से लेकर 4 लाख रुपये तक तय की जाती थी, जिनका इस्तेमाल ज्यादातर प्राइवेट नौकरियों में किया जाता था. डीसीपी पूर्वी शशांक सिंह ने बताया कि सूचना मिली थी कि गोमती नगर इलाके के एक साइबर कैफे में फर्जी डिग्रियां बनाई जा रही हैं. छापेमारी में पूरा कलंदर अयोध्या निवासी सत्येंद्र द्विवेदी, उन्नाव के अखिलेश कुमार और लखीमपुर खीरी के सौरभ शर्मा को गिरफ्तार किया गया.
गिरोह का सरगना सत्येंद्र द्विवेदी पीएचडी धारक है. पुलिस अब फर्जी डिग्री लेने वालों का डाटा तैयार कर रही है और पूरे नेटवर्क की गहन जांच की जा रही है.
अंकित मिश्रा / आशीष श्रीवास्तव