संसद में ई-सिगरेट पर बवाल! TMC सांसद पर अनुराग ठाकुर ने लगाया आरोप तो हुआ जमकर हंगामा

लोकसभा में ई-सिगरेट पीने का मुद्दा तब उठा जब बीजेपी सांसद अनुराग ठाकुर ने बिना नाम लिए टीएमसी के एक सांसद पर आरोप लगाया. ठाकुर ने कहा कि सदन में ऐसी हरकतें करना गलत हैं. इस पर ओम बिरला ने कहा कि नियमों के अनुसार कार्रवाई की जाएगी.

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बीजेपी सांसद अनुराग ठाकुर ने बिना नाम लिए TMC सांसद पर सदन के अंदर ई-सिगरेट पीने का आरोप लगाया (Photo: PTI) बीजेपी सांसद अनुराग ठाकुर ने बिना नाम लिए TMC सांसद पर सदन के अंदर ई-सिगरेट पीने का आरोप लगाया (Photo: PTI)

ऐश्वर्या पालीवाल / जितेंद्र बहादुर सिंह

  • नई दिल्ली,
  • 11 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 2:19 PM IST

लोकसभा में शीतकालीन सत्र के दौरान को उस समय हलचल बढ़ गई जब बीजेपी के सांसद अनुराग ठाकुर ने सदन के भीतर ई-सिगरेट पीने का गंभीर मुद्दा उठाया. उन्होंने किसी सांसद का नाम तो नहीं लिया, लेकिन इशारा साफ था कि मामला टीएमसी के एक सांसद से जुड़ा है. 

ठाकुर ने कहा कि संसद की कार्यवाही के दौरान ऐसी गतिविधियां न केवल नियमों के खिलाफ हैं, बल्कि सदन की मर्यादा को भी ठेस पहुंचाती हैं.

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अनुराग ठाकुर ने कहा कि सदन वह जगह है जहां देश के करोड़ों लोग उम्मीद के साथ देखते हैं. इसलिए यहां ऐसा कोई भी आचरण बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए जो संसदीय अनुशासन के विपरीत हो. उन्होंने आग्रह किया कि इस मुद्दे पर गंभीरता से ध्यान दिया जाए और अगर आवश्यक हो तो जांच भी कराई जाए ताकि भविष्य में ऐसी घटना दोबारा न हो.

उनके आरोप सामने आते ही सदन की निगाहें स्पीकर ओम बिरला की ओर मुड़ीं. स्पीकर ने तुरंत स्पष्ट किया कि संसद में किसी भी सदस्य को किसी तरह की छूट या विशेषाधिकार नहीं दिया गया है जिसमें ई-सिगरेट, धूम्रपान या कोई भी प्रतिबंधित गतिविधि शामिल हो. 

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ओम बिरला ने कहा कि नियम सभी सांसदों पर बराबर लागू होते हैं और सदन की गरिमा बनाए रखना प्रत्येक सदस्य की ज़िम्मेदारी है.

स्पीकर ने यह भी कहा कि अभी तक उनके संज्ञान में कोई औपचारिक शिकायत नहीं आई है, लेकिन अगर ऐसा मामला सामने आता है या उन्हें कोई प्रमाण मिलता है, तो नियमों के अनुसार कड़ी कार्रवाई की जाएगी. उन्होंने कहा कि संसद लोकशाही का सर्वोच्च मंच है, और यहां बैठने वाले सभी प्रतिनिधियों पर यह जिम्मेदारी है कि वह जनता की उम्मीदों के अनुरूप अनुशासन और गरिमा बनाए रखें.

ई-सिगरेट क्या है और भारत में बैन क्यों लगाया गया?

भारत सरकार ने ई-सिगरेट पर प्रतिबंध इसलिए लगाया क्योंकि यह उपकरण तेजी से युवाओं, खासकर स्कूली बच्चों के बीच लोकप्रिय हो रहा था. ई-सिगरेट एक बैटरी से चलने वाला इलेक्ट्रॉनिक उपकरण है, जो निकोटीन युक्त तरल को गर्म कर भाप में बदलता है और इसे इस्तेमाल करने वाले लोग सांस के जरिए अंदर लेता है.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2019 में प्रतिबंध की घोषणा करते हुए कहा कि युवाओं में यह गलतफहमी फैल गई थी कि ई-सिगरेट हानिकारक नहीं है, जबकि विशेषज्ञों के मुताबिक यह साधारण सिगरेट जितना ही खतरनाक है. सरकार की चिंता इस बात को लेकर भी बढ़ी कि ई-सिगरेट के ज़रिए कुछ युवा घातक ड्रग्स तक का सेवन करने लगे थे.

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जानकारी के अनुसार, भारत में इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट (ई-सिगरेट) पूरी तरह से बैन (प्रतिबंधित) हैं, जिसे 'इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट निषेध अधिनियम, 2019' के तहत लागू किया गया है, जिसका मतलब है कि इनका उत्पादन, बिक्री, आयात, निर्यात और विज्ञापन गैरकानूनी है, और इसके उल्लंघन पर जेल और जुर्माने का प्रावधान है.

ICMR के शोध में गंभीर स्वास्थ्य प्रभावों की चेतावनी

भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के अनुसार, ई-सिगरेट का रोज़ाना उपयोग हार्ट अटैक के खतरे को 79 फीसदी तक बढ़ा सकता है. इनमें निकेल, टिन और सीसा जैसी भारी धातुएं पाई जाती हैं. ये धातुएं कैंसर, डीएनए क्षति और फेफड़ों के गंभीर रोगों का कारण बन सकती हैं. 

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