Exclusive: ज्योति मल्होत्रा के बाद दो और यूट्यूबर ग‍िरफ्तार, PAK के ल‍िए करते थे जासूसी? पढ़ें- इनसाइड स्टोरी

हरियाणा के पलवल में एक बड़ा खुलासा हुआ है. पुलिस ने यूट्यूबर वसीम अकरम और तौफीक को पाकिस्तान के लिए जासूसी करने के आरोप में गिरफ्तार किया. जांच में पता चला कि ये दोनों पाकिस्तान हाई कमीशन (PHC) के वीज़ा डेस्क के जरिए चल रहे जासूसी नेटवर्क का हिस्सा थे. वीजा के नाम पर रिश्वत लेने, सिम कार्ड और सेना से जुड़ी संवेदनशील जानकारी पाकिस्तान को पहुंचाने जैसे मामलों से इनका खुलासा हुआ.

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हरियाणा के यूट्यूबर वसीम अकरम पर पाकिस्तान के लिए जासूसी का आरोप हरियाणा के यूट्यूबर वसीम अकरम पर पाकिस्तान के लिए जासूसी का आरोप

कमलजीत संधू

  • चंडीगढ़,
  • 03 अक्टूबर 2025,
  • अपडेटेड 9:52 PM IST

30 सितंबर 2025 को हरियाणा के पलवल पुलिस ने दो लोगों को पाकिस्तान के लिए जासूसी करने के आरोप में गिरफ्तार किया.इनमें एक है वसीम अकरम, कोट गांव का यूट्यूबर और दूसरा अलीमेव गांव का रहने वाला तौफीक. जांच में पता चला कि ये दोनों पाकिस्तान हाई कमीशन (PHC) के जरिए चलाए जा रहे बड़े जासूसी नेटवर्क का हिस्सा हैं. ये मामला इस साल के शुरू में उजागर हुए मशहूर यूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा केस जैसा ही है. इससे पहले मलेरकोटला के गुजाला और यामीन और नूह के अमन जैसे मामलों में भी यही पैटर्न सामने आ चुका है.

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वीजा डेस्क बना जासूसी का अड्डा

हाल की गिरफ्तारियों ने फिर साफ कर दिया कि पाकिस्तान हाई कमीशन (PHC) का वीजा डेस्क सिर्फ वीजा देने का काम नहीं कर रहा बल्कि ये भ्रष्टाचार और जासूसी का हथियार बन गया है.

पलवल में पकड़े गए वसीम और तौफीक लोगों से पैसे लेकर उन्हें पाकिस्तान का वीजा दिलाने का झांसा देते थे. जो पैसे वे वसूलते थे, उसका बड़ा हिस्सा पाक हाई कमीशन के अधिकारियों को देते थे. जांच में सामने आया कि दानिश नाम का एक कर्मचारी इन पैसों को आईएसआई एजेंटों तक पहुंचाता था. ये एजेंट टूरिस्ट वीजा पर भारत आते और यहीं रहकर अपनी जासूसी गतिविधियां चलाते.

वसीम अकरम कैसे फंसा?

वसीम अकरम सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर चुका है. वह पहली बार तब फंसा जब उसे वीजा चाहिए था. उसका वीजा रिजेक्ट हो गया था लेकिन पाक हाई कमीशन के कर्मचारी जाफर उर्फ मुजम्मिल हुसैन को 20,000 रुपये रिश्वत देने पर उसे वीजा मिल गया. मई 2022 में वो पाकिस्तान के कसूर गया और लौटने के बाद भी जाफर से व्हाट्सऐप पर संपर्क बनाए रखा.

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इसके बाद उसने लोगों से वीजा दिलाने के नाम पर पैसे वसूलना शुरू कर दिया. उसके अकाउंट में 4 से 5 लाख रुपये तक आए, जिनमें से बड़ा हिस्सा जाफर और अन्य PHC कर्मचारियों तक पहुंचाया गया. पैसों के अलावा वसीम और तौफीक ने पाक एजेंटों को सिम कार्ड, ओटीपी और भारतीय सेना से जुड़ी संवेदनशील जानकारी भी मुहैया कराई.

पुराने केस से मिलता-जुलता पैटर्न

  • पंजाब: ये मामला बिल्कुल वैसा ही है जैसा पहले मलेर कोटला और नूह से सामने आ चुका है. पंजाब के मलेरकोटला में PHC का कर्मचारी दानिश (जिसे एहसान-उर-रहीम नाम से भी जाना जाता है) पकड़ा गया. उसने लोगों को वीजा दिलाने का लालच देकर उनसे डिफेंस से जुड़ी जानकारी निकलवाई. बदले में उन्हें UPI से 10,000 से 20,000 रुपये दिए जाते थे.
  • नूह (हरियाणा) का एक शख्स अरमान गिरफ्तार हुआ. उसने पाक अधिकारियों को सिम कार्ड दिए और डिफेंस एक्सपो के वीडियो शेयर किए. इससे साफ हो गया कि टेलीकॉम साधन PHC की जासूसी रणनीति का अहम हिस्सा हैं.
  • रोपड़ हर‍ियाणा यहां पंजाब पुलिस ने यूट्यूबर जसबीर सिंह महल को जासूसी के आरोप में पकड़ा.

क्यों निशाने पर हैं पंजाब और हरियाणा?

अधिकारियों के मुताबिक पंजाब और हरियाणा में सेना की बड़ी-बड़ी छावनियां, एयरफोर्स स्टेशन, मिसाइल और डिफेंस सिस्टम मौजूद हैं. यही वजह है कि पाकिस्तान इन्हीं इलाकों के भोले-भाले लोगों को टारगेट करता है. जो लोग पाकिस्तान घूमने जाते हैं, उन्हें लालच, पैसे और वीजा मदद के जरिए फंसाकर उनसे गुप्त जानकारी निकलवाई जाती है.

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बड़ा नेटवर्क, साफ पैटर्न

पलवल, मलेरकोटला और नूह इन तीनों जगहों में पैटर्न एक जैसा है. PHC अधिकारी पहले वीजा की प्रक्रिया में रिश्वत मांगते हैं.  इसके बाद वही लोग जासूसी में धकेले जाते हैं. उनसे सिम कार्ड, बैंक अकाउंट, ओटीपी और सेना से जुड़ी जानकारी ली जाती है.बदले में छोटे-छोटे पैसों के ट्रांजैक्शन किए जाते हैं.

अब तक की कार्रवाई

इस नेटवर्क के अहम चेहरे जाफर और दानिश दोनों को भारत ने पर्सोना नॉन ग्राटा (PNG) घोषित करके देश से निकाल दिया है.लेकिन इन सब गिरफ्तारियों से साफ है कि पाकिस्तान हाई कमीशन का वीजा डेस्क सिर्फ कागजों पर वीजा देने का दफ्तर नहीं रहा. ये आईएसआई के लिए भारत के अंदर जासूसी नेटवर्क बनाने का हथियार बन चुका है.

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