देश में कोरोना की दूसरी लहर के बढ़ते कहर के बीच ऑक्सीजन की मांग में इजाफा हुआ है और कई राज्यों में मेडिकल ऑक्सीजन की कमी को देखते हुए केंद्रीय गृह सचिव ने सभी राज्यों को पत्र लिखकर निर्देश दिया है कि ऑक्सीजन की सप्लाई किसी भी हाल में नहीं रुकनी चाहिए. साथ ही टेस्ट, ट्रैक, ट्रीट, कोविड के प्रति उपयुक्त व्यवहार और टीकाकरण की 5-सूत्रीय रणनीति पर जोर देने का निर्देश दिया.
केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने राज्यों के मुख्य सचिवों को लिखे पत्र में कहा है कि कोरोना के बढ़ते केस को देखते हुए मेडिकल ऑक्सीजन की पर्याप्त और निर्बाध आपूर्ति की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए. सभी राज्य ऑक्सीजन के इंटर सिटी और इंटरस्टेट के बेरोकटोक आवागमन की व्यवस्था सुनिश्चित करें. इस पत्र में कोरोना गाइडलाइन्स के बारे में भी जानकारी दी गई है.
5 सूत्रीय रणनीति
गृह सचिव ने बैठक के दौरान विस्तृत और व्यापक समीक्षा के बाद कोरोना केस में आए हालिया उछाल से निपटने के लिए 5-सूत्रीय रणनीति पर काम करने का निर्देश दिया.
1. कम से कम 70% आरटी-पीसीआर जांच और घनी आबादी वाले क्षेत्रों के साथ-साथ उन क्षेत्रों, जहां ताजे क्लस्टर उभर रहे हैं, में स्क्रीनिंग टेस्टिंग के तौर पर रैपिड एंटीजन जांच के उपयोग के साथ सभी जिलों में जांच में उल्लेखनीय रूप से वृद्धि की जाए. रैपिड एंटीजन टेस्ट (आरएटी) में निगेटिव पाए गए लोगों का अनिवार्य रूप से आरटी-पीसीआर टेस्ट कराया जाए.
2. संक्रमण के प्रसार की चेन पर अंकुश लगाने के लिए संक्रमितों का कारगर तरीके से और समय पर पता लगाने एवं उनकी निगरानी संबंधी गतिविधियों को बढ़ाया जाए और रोकथाम के उपायों को सख्ती से लागू किया जाए.
3. नैदानिक देखभाल, उपचार और समर्थित घर तथा देखभाल सुविधा से संबंधित प्रोटोकॉल का पालन करें.
4. लोगों की अनावश्यक आवाजाही और भीड़ को सख्ती से सीमित करने सहित कोविड के सुरक्षित व्यवहार को सख्त और कारगर तरीके से लागू किया जाए.
5. विशेष रूप से उच्च फोकस वाले जिलों में पात्र जनसंख्या समूहों के 100% टीकाकरण की समयबद्ध योजना बनाए.
ऑक्सीजन सिलेंडरों की मांग हो पूरी
केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ने बताया कि राज्यों की ऑक्सीजन सिलेंडरों की मांग (10 लीटर वाले सिलेंडर और 45 लीटर वाले जंबो सिलिंडर सहित) और अतिरिक्त वेंटिलेटरों की मांग बहुत जल्द ही पूरी की जाएगी. केंद्र सरकार ने उन 12 राज्यों के साथ ऑक्सीजन के उत्पादन के स्रोतों की मैपिंग की है, जहां दैनिक नए मामलों की संख्या सबसे अधिक है.
उन्होंने कहा कि राज्यों को कोरोना समर्पित बेड की संख्या बढ़ाने और अतिरिक्त कोविड -19 समर्पित वार्डों के निर्माण के लिए अस्पताल परिसरों (एम्स सहित) में उपलब्ध भवनों का उपयोग करने की सलाह दी गई है. साथ ही राज्यों को यह भी सलाह दी गई कि वे कोरोना के मरीजों के इलाज के लिए केंद्रीय मंत्रालयों और सार्वजनिक उपक्रमों के अस्पतालों का उपयोग करें.
इससे पहले केंद्रीय गृह सचिव अजय कुमार भल्ला ने केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण के साथ आज शुक्रवार को छत्तीसगढ़ एवं उत्तर प्रदेश में कोविड-19 की स्थिति की समीक्षा करने और इन दोनों राज्यों के स्वास्थ्य अधिकारियों द्वारा कोरोना के नियंत्रण एवं प्रबंधन के क्रम में उठाए गए सार्वजनिक स्वास्थ्य से जुड़े उपायों की समीक्षा के लिए आयोजित एक उच्चस्तरीय बैठक की अगुवाई की.
बैठक में नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ वीके पॉल, भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के महानिदेशक डॉ. बलराम भार्गव, स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक (डीजीएचएस) डॉ. (प्रोफेसर) सुनील कुमार के अलावा दोनों राज्यों के मुख्य सचिवों और पुलिस महानिदेशकों तथा स्वास्थ्य सचिव उपस्थित थे.
3 राज्यों में एक लाख से ज्यादा एक्टिव केस
महाराष्ट्र के साथ छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश तीन ऐसे राज्य हैं जहां एक लाख से अधिक सक्रिय मामले हैं. छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश दोनों ही राज्यों से रोजाना बड़ी संख्या में कोरोना के नए मामले और मौतें दर्ज की जा रही हैं.
छत्तीसगढ़ में 7 दिन के बदलते औसत के आधार पर कोरोना के साप्ताहिक नए मामलों में करीब 6.2% की वृद्धि दर्ज की गई है. पिछले दो हफ्तों में छत्तीसगढ़ में साप्ताहिक नए मामलों में करीब 131% वृद्धि देखी गई है. छत्तीसगढ़ के 22 जिलों ने पिछले 30 दिनों में दर्ज किए जा चुके मामलों के अपने अधिकतम आंकड़े को पार कर लिया है.
रायपुर, दुर्ग, राजनांदगांव और बिलासपुर इस महामारी से सबसे अधिक प्रभावित जिले हैं. 17- 23 मार्च वाले हफ्ते के उलट 7 -13 अप्रैल वाले हफ्ते के दौरान आरटी-पीसीआर जांच (34% से) घटकर 28% हो गई, जबकि एंटीजन जांच (53% से) बढ़कर 62% तक पहुंच गई.
जबकि उत्तर प्रदेश में रोजाना सामने आ रहे नए केसों में 19.25% की वृद्धि दर्ज हुई है. उत्तर प्रदेश के 46 जिलों ने पिछले 30 दिनों में दर्ज किए जा चुके मामलों के अपने अधिकतम आंकड़े को पार कर लिया है. राजधानी लखनऊ, कानपुर, वाराणसी और प्रयागराज इस महामारी से सबसे अधिक प्रभावित जिले हैं. 17- 23 मार्च वाले हफ्ते के उलट 7-13 अप्रैल वाले हफ्ते के दौरान, आरटी-पीसीआर जांच (48% से) घटकर 46% हो गई, जबकि एंटीजन जांच (51% से) बढ़कर 53% पहुंच गई.
कमलजीत संधू