संसद में SIR पर जारी रहा हंगामा, गोवा विधानसभा में ST आरक्षण का बिल बिना चर्चा पास

संसद के दोनों सदनों वोटर लिस्ट रिवीजन पर हंगामा जारी है. हंगामे के बीच ही लोकसभा से गोवा विधानसभा में एसटी रिजर्वेशन का बिल बिना चर्चा पारित हो गया है.

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गोवा विधानसभा में एसटी रिजर्वेशन से संबंधित बिल ध्वनिमत से पारित (Photo: Screengrab) गोवा विधानसभा में एसटी रिजर्वेशन से संबंधित बिल ध्वनिमत से पारित (Photo: Screengrab)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 05 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 4:38 PM IST

संसद के दोनों सदनों में वोटर लिस्ट रिवीजन के मुद्दे पर हंगामा मंगलवार को भी जारी रहा. हंगामे के कारण राज्यसभा और लोकसभा, दोनों सदनों की कार्यवाही पहले दोपहर दो बजे तक और फिर दिनभर के लिए स्थगित करनी पड़ी. इससे पहले, विपक्ष के हंगामे और नारेबाजी के बीच एक बिल और एक संकल्प पारित भी हुए.

लोकसभा से गोवा विधानसभा में अनुसूचित जनजातियों के लिए सीटें आरक्षित करने से संबंधित विधेयक बिना चर्चा के पारित हो गया. वहीं, राज्यसभा ने भी मणिपुर में लागू राष्ट्रपति शासन की अवधि बढ़ाने से संबंधित संकल्प को स्वीकृति दे दी. लोकसभा में दोपहर दो बजे जब सदन की कार्यवाही दोबारा शुरू हुई, आसन से संध्या राय ने लिस्टेड बिजनेस लिए.

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कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने बिहार एसआईआर पर चर्चा की मांग को लेकर हंगामे के बीच गोवा विधानसभा में एसटी के लिए सीटें आरक्षित करने से संबंधित विधायक विचार और पारित करने के लिए पेश किया. इस विधेयक में 2001 की जनगणना के मुकाबले 2011 की जनगणना में अनुसूचित जातियों के मुकाबले अनुसूचित जनजातियों की आबादी अधिक होने का उल्लेख किया गया है.

इस स्थिति को विशिष्ट बताते हुए इस बिल के जरिये गोवा विधानसभा में अनुसूचित जनजाति के लिए सीटें आरक्षित करने का प्रावधान किया गया है. हंगामे के बीच ही यह विधेयक बिना चर्चा के लोकसभा से पारित हो गया. यह विधेयक पारित होने के बाद लोकसभा की कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित कर दी गई.

संसद के चालू मॉनसून सत्र के दौरान लोकसभा से पारित होने वाला यह पहला विधेयक भी है. गौरतलब है कि गोवा विधानसभा में अनुसूचित जाति के लिए एक सीट आरक्षित है. अनुसूचित जनजातियों के लिए कोई आरक्षण गोवा विधानसभा में नहीं था.

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मणिपुर में राष्ट्रपति शासन बढ़ाने का संकल्प स्वीकृत

हिसा प्रभावित मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू है, जिसकी अवधि 13 अगस्त को पूरी हो रही है. राष्ट्रपति शासन की अवधि 13 अगस्त से छह महीने के लिए आगे बढ़ाने का संकल्प राज्यसभा में पेश किया गया. लोकसभा ने इस प्रस्ताव को पिछले हफ्ते ही स्वीकृति दी थी. विपक्ष के हंगामे के बीच उपसभापति हरिवंश ने सदस्यों को संवैधानिक दायित्व याद दिलाए.

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आसन की अपील का विपक्षी सदस्यों पर कोई असर नहींं हुआ और नारेबाजी बंद नहीं हुई. हंगामे के बीच ही गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने यह संकल्प उच्च सदन में पेश किया. उन्होंने कहा कि कोर्ट के एक आदेश के कारण मणिपुर के दो समुदायों में दरार आ गई थी. गृह राज्यमंत्री ने मणिपुर में शांति के लिए शांति के लिए केंद्र सरकार के प्रयास गिनाए और गृह मंत्री के वहां जाकर अलग-अलग समुदाय के नेताओं के साथ बैठकों का भी जिक्र किया.

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उन्होंने कहा कि मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद केवल एक हिंसक घटना की जानकारी आई है. एसआईआर के मुद्दे पर विपक्ष के जोरदार हंगामे और नारेबाजी के बीच ही ध्वनिमत से मतदान के बाद इस संकल्प को उच्च सदन ने स्वीकृति दे दी.

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