'क्या आपकी मर्जी से तेल खरीदें? कोई और भारत को हुक्म नहीं दे सकता...', अमेरिका को पूर्व आर्मी चीफ नरवणे की फटकार

रूस से तेल खरीद पर अमेरिकी की धमकियों का जवाब देते हुए पूर्व आर्मी चीफ जनरल नरवणे ने कहा कि हम वही करेंगे जो हम करना चाहते हैं और मुझे लगता है कि हम उस स्थिति में पहुंच गए हैं जहां हमें किसी और की बात सुनने की जरूरत नहीं है.

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पूर्व आर्मी चीफ नरवणे ने अमेरिका से संबंधों पर खुलकर की बात (File Photo: PTI) पूर्व आर्मी चीफ नरवणे ने अमेरिका से संबंधों पर खुलकर की बात (File Photo: PTI)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 29 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 12:02 PM IST

'भारत को क्या करना चाहिए, यह कोई क्यों तय करे और भारत को अपने हितों की चिंता क्यों नहीं करनी चाहिए.' पूर्व आर्मी चीफ जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने रूस से तेल खरीद को लेकर अमेरिका को जमकर फटकार लगाई है. उन्होंने आगे कहा कि भारत ने हमेशा रणनीतिक स्वायत्तता की नीति का पालन किया है और आगे भी ऐसा ही करता रहेगा.

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'अपने लोगों के हितों का ध्यान रखना जरूरी'

जनरल सर पैट्रिक सैंडर्स और टॉम न्यूटन डन के साथ 'द जनरल एंड द जर्नलिस्ट' पॉडकास्ट में बोलते हुए, जनरल नरवणे ने इस बात पर कि भारत, अमेरिका की मांगों को क्यों नहीं मानेगा, कहा, 'यूरोप भी गैस खरीद रहा है, अमेरिका रूस से अन्य सामान खरीद रहा है. आप भारत को ही क्यों निशाना बना रहे हैं?'

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उन्होंने सवालों का खुलकर जवाब देते हुए कहा, 'हम जिससे चाहें, खरीदेंगे. कोई और कौन होता है जो हमें हुक्म दे? हमें अपने लोगों के हितों का ध्यान रखना है. क्या हमें कहीं और से ऊंची कीमत पर खरीदकर अपने ही देश में महंगाई को बढ़ावा देना चाहिए? नहीं, यह हमारी जनता के हित में नहीं है. हम वही करेंगे जो हमारे हित में सबसे अच्छा होगा और यही मूल बात है. हर देश यही करता है. किसी और पर उंगली क्यों उठाएं?' 

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'आपके फायदे के लिए करें तेल खरीद?'

यह पूछे जाने पर कि क्या ऐसे देश पर ऊर्जा निर्भरता रखना होशियारी है जो भारत के खिलाफ जा सकता है? जनरल नरवणे ने कहा, 'ऐसा नहीं है कि हम पूरी तरह से रूस पर ऊर्जा निर्भर हैं. हम दुनिया के कई अन्य देशों से आयात कर रहे हैं. लेकिन फिर, दूसरों पर भी प्रतिबंध लगाए गए हैं- वेनेजुएला से न खरीदें, ईरान से न खरीदें, रूस से न खरीदें. तो फिर हम किससे खरीदें? सिर्फ उनसे जिनसे आप चाहते हैं कि हम आपके फायदे के लिए खरीदें? यह किसी भी स्वाभिमानी व्यक्ति या देश को कैसे मंजूर हो सकता है? इसलिए, आप जानते हैं, हम वही करेंगे जो हम करना चाहते हैं और मुझे लगता है कि हम उस मुकाम पर पहुंच गए हैं जहां हमें किसी और की सुनने की ज़रूरत नहीं है.'

शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की व्लादिमीर पुतिन और शी जिनपिंग से मुलाकात और क्या यह डोनाल्ड ट्रंप को सबक सिखाने के लिए था? इस बारे में बोलते हुए, जनरल नरवणे ने कहा, 'हम किसी को सबक सिखाने की कोशिश नहीं कर रहे हैं. हमने बस वही किया है जो हम हमेशा से कहते आए हैं कि हम रणनीतिक स्वायत्तता की नीति चाहते हैं जहां हमारे पास किसी निश्चित परिस्थिति में कार्रवाई का एक सैद्धांतिक रास्ता चुनने का विकल्प हो और हम अमेरिका के साथ भी ठीक यही कर रहे हैं.'

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भारत-अमेरिका संबंधों पर रखी राय

पूर्व सेना प्रमुख ने कहा, 'अमेरिका के साथ हमारे बेहतरीन संबंध रहे हैं और किसी भी अन्य देश के साथ संबंधों की तरह इसमें भी उतार-चढ़ाव आते रहते हैं. इस मौजूदा स्थिति से पहले भी अमेरिका के साथ उतार-चढ़ाव आए हैं और हमने हमेशा इन उतार-चढ़ावों का सामना किया है और मजबूती से उभरे हैं.'

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जनरल नरवणे ने विस्तार से बताया कि देशों के साथ संबंध सिर्फ एक स्तर पर काम नहीं करते हैं, बल्कि इसमें राजनीतिक, कूटनीतिक, व्यापार, सैन्य, लोगों से लोगों के बीच संबंध आदि जैसे कई फैक्टर शामिल होते हैं. उन्होंने कहा, 'सिर्फ इसलिए कि उन चार-पांच स्तरों में से एक बहुत अच्छी तरह से काम नहीं कर रहा है, इसका मतलब यह नहीं है कि पूरे संबंध कूड़ेदान में चले गए हैं.'

अमेरिका लगातार रूस से तेल खरीद को लेकर भारत पर निशाना साधता रहा है. हाल के दिनों में राष्ट्रपति ट्रंप और उनके व्यापार सलाहकार पीटर नवारो की तरफ से बेफिजूल की बयानबाजी की गई. अमेरिका ने यहां तक आरोप लगाया कि भारत, रूस से तेल खरीदकर यूक्रेन के खिलाफ जंग को भड़का रहा है. नवारो ने तो यूक्रेन युद्ध को 'मोदी वॉर' तक कहा था.

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