Priyanka Gandhi Vadra Parliament speech: लोकसभा में पहलगाम हमले और ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के दौरान कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने केंद्र की मोदी सरकार पर तीखे हमले किए. प्रियंका ने कहा कि कल रक्षा मंत्री एक घंटे तक बोले. इस दौरान उन्होंने आतंकवाद, देश की रक्षा और इतिहास का पाठ भी पढ़ाया. लेकिन एक बात छूट गई - यह हमला कैसे हुआ? बैसरन घाटी, पहलगाम में एक भी सुरक्षाकर्मी क्यों मौजूद नहीं था? क्या नागरिकों की सुरक्षा प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और रक्षा मंत्री की जिम्मेदारी नहीं है?
मुंबई हमले में जवाबदेही तय हुई थी, इस्तीफे दिए गए थे
प्रियंका गांधी ने कहा कि सरकार की तरफ से 2008 के मुंबई हमले का जिक्र किया गया, तो बता देना चाहती हूं कि जब उस समय हमला किया गया था, मुंबई हमले में शामिल सभी आतंकियों को उस समय मार डाला गया था. एक बच गया था तो उसे भी फांसी की सजा मिली. मुंबई हमले की जिम्मेदारी लेते हुए उस समय महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और गृह मंत्री ने इस्तीफा दिया था. हमारी जवाबदेही थी, देश और जनता के प्रति. आज देश पहलगाम हमले का जवाब चाहता है कि 22 अप्रैल के दिन क्या हुआ और क्यों हुआ?
सेना का योगदान ऐतिहासिक, लेकिन सवालों के जवाब भी जरूरी
प्रियंका गांधी ने लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर बोलते हुए कहा कि सबसे पहले मैं उन सैनिकों, जवानों को नमन करना चाहती हूं, जो दुर्गम क्षेत्रों में हमारी सीमाओं की रक्षा करते हैं. 1948 से लेकर अब तक हमारे देश की अखंडता की रक्षा करने में उनका सबसे बड़ा योगदान है. हमारी आजादी अहिंसा के आंदोलन से हासिल हुई, लेकिन उसे कायम रखने में हमारी सेना का बहुत बड़ा योगदान है.
सरकार हमले की जवाबदेही क्यों नहीं लेती?
प्रियंका गांधी ने कहा कि सोमवार को सदन में सभी के भाषण सुन रही थी. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के भाषण को सुनते हुए एक बात मुझे खटकी कि सारी बातें कर ली गईं. इतिहास का पाठ भी पढ़ा दिया गया. लेकिन एक बात छूट गई कि 22 अप्रैल को जब 26 नागरिकों को उनके परिजनों के सामने खुलेआम मारा गया, तो ये हमला कैसे हुआ, क्यों हुआ? मुंबई हमले का अक्सर सरकार जिक्र करती है, तो बताना चाहती हूं कि उस वक्त सभी आतंकी मारे गए थे. हमले की जिम्मेदारी लेते हुए हमारे गृह मंत्री और मुख्यमंत्री ने इस्तीफा दिया था. लेकिन इस देश और जनता के प्रति मौजूदा सरकार की कोई जिम्मेदारी नहीं है क्या?
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उरी, पुलवामा, मणिपुर... लेकिन कोई इस्तीफा नहीं
मोदी सरकार में हुए आतंकी हमलों का जिक्र करते हुए प्रियंका गांधी ने कहा कि राजनाथ सिंह के गृह मंत्री रहते हुए उरी और पुलवामा में आतंकवादी हमले हुए. अमित शाह के गृह मंत्री के कार्यकाल में पहलगाम हमला हुआ, मणिपुर में हमला, दिल्ली में दंगा. लेकिन क्या गृह मंत्री और रक्षा मंत्री ने अपने पद से इस्तीफा दिया? देश जवाब चाहता है और सच्चाई जानना चाहता है. 22 अप्रैल को पहलगाम में क्या हुआ, क्या सेना, देश और संसद से सच छुपाया गया? क्या सरकार की कोई जवाबदेही नहीं बनती?
शिव मंत्र पढ़कर आई हूं, लेकिन सरकार ने नागरिकों को भगवान के भरोसे छोड़ा
प्रियंका गांधी ने कहा कि पहलगाम हमले में 26 परिवार उजड़ गए. 26 बेटे, पति, बेटे की मौत हो गई. मरने वालों में 25 भारतीय थे. इस बीच जब प्रियंका गांधी को सत्ता पक्ष के सदस्यों ने टोका, तो पीछे से आवाज आयी "हिंदू थे". इस पर प्रियंका ने कहा कि आज भी मैं शिव मंत्र पढ़कर आई हूं.
श्रेय लेने की जल्दी, लेकिन जिम्मेदारी लेने से बचती सरकार
मोदी सरकार से सवाल पूछते हुए प्रियंका गांधी ने कहा कि जब सरकार यह दावा कर रही थी कि कश्मीर में आतंकवाद कैसे कम हुआ है? सरकार पर हमला बोलते हुए गांधी ने कहा कि आप इतिहास की बात करते रहिए, हम वर्तमान की बात करेंगे. प्रियंका गांधी ने कहा कि क्यों जिम्मेदारी तय नहीं हुई? गृह मंत्री ने इस्तीफा क्यों नहीं दिया? उन्होंने कहा कि यह सरकार हमेशा सवालों से बचने की कोशिश करती है. इनमें देश के नागरिकों के प्रति कोई जवाबदेही का भाव नहीं है. सच तो यह है कि इनके दिल में जनता के लिए कोई जगह नहीं है. इनके लिए सब कुछ राजनीति है, प्रचार है.
पहलगाम जैसे पर्यटन स्थल की सुरक्षा पर लापरवाही
प्रियंका गांधी ने कहा कि क्या सरकार को मालूम नहीं था कि कश्मीर के पहलगाम में रोज 1000-1500 पर्यटक जाते हैं? अगर यहां कुछ हो जाएगा तो लोग यहां से निकल नहीं पाएंगे. न सुरक्षा का, न प्राथमिक चिकित्सा का इंतजाम था. लोग वहां पर सरकार के भरोसे गए. लेकिन इस सरकार ने उन्हें भगवान के भरोसे छोड़ दिया. देश के नागरिकों की सुरक्षा की जिम्मेदारी किसकी है? क्या इस देश के प्रधानमंत्री की नहीं? क्या इस देश के गृह मंत्री की नहीं? क्या रक्षा मंत्री की नहीं है?
श्रेय के साथ जिम्मेदारी भी जरूरी होती है
प्रियंका गांधी ने कहा कि जब ऑपरेशन सिंदूर की शुरुआत हुई थी तो पूरा देश एकजुट था. प्रधानमंत्री मोदी ने श्रेय लिया, लेकिन सिर्फ श्रेय लेने से ही जिम्मेदारी पूरी नहीं होती है. ओलंपिक में कोई मेडल जीतता है तो उसका भी श्रेय प्रधानमंत्री लेते हैं. लेकिन जिम्मेदारी लेने की बात जब आती है तो क्यों छिप जाते हैं? यह सोने का नहीं कांटों भरा ताज है, जिसमें श्रेय लेने के साथ-साथ जिम्मेदारी भी लेनी पड़ती है. इस सदन में बैठे हर किसी के पास सुरक्षा थी. लेकिन पहलगाम के पर्यटकों के पास कोई सुरक्षा नहीं थी. ये शर्म की बात है.
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टीआरएफ ने कई हमले किए, लेकिन देर से दी गई आतंकवादी की मान्यता
प्रियंका गांधी ने कहा कि गृह मंत्री ने जब यूपीए समय के आतंकवादी हमले गिनाए थे, लेकिन टीआरएफ ने 2020-25 के अंदर कश्मीर में अकेले 25 हमले किए हैं. पूरी सूची है इन हमलों की. लेकिन मैं इतना कहूंगी कि इनमें रियासी का हमला था 2024 का, जिसमें 9 लोग मारे गए थे. 2020 से लेकर 22 अप्रैल 2025 तक टीआरएफ ने 41 सेना और सुरक्षाकर्मियों की हत्या की. 27 नागरिकों को मारा, 54 लोगों को घायल किया.
प्रियंका ने कहा कि भारत सरकार ने टीआरएफ को आतंकवादी कब दर्जा दिया? तीन साल के बाद 2023 में दिया. कश्मीर में तीन सालों से आतंकवादी गतिविधियां हो रही थीं. ये सब सरकार के संज्ञान में था. खुफिया एजेंसियां क्या कर रही थीं? इन हमलों के बाद क्या किसी ने इस्तीफा दिया? और क्या गृह मंत्री ने जिम्मेदारी ली? आप कितने भी ऑपरेशन कर डालें, लेकिन आप इस सच्चाई से नहीं छिप सकते हैं कि पहलगाम में आप लोगों को सुरक्षा मुहैया नहीं करा सके.
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