जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद हिंदुस्तान और पाकिस्तान के बीच तनातनी बढ़ती जा रही है. इस बीच भारतीय सेना बल में शामिल राफेल हथियारों पर भी चर्चा हो रही है. विपक्ष के नेता सरकार के सामने सवाल खड़ा कर रहे हैं कि उसका प्रयोग कब किया जाएगा, पाकिस्तान के खिलाफ इसे प्रयोग में लाने का अभी अच्छा मौका है.
इस बीच कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने इस मामले पर एएनआई से बात की. उन्होंने मोदी सरकार से मुखातिब होते हुए कहा, "पूरा देश आपके साथ खड़ा है, आप एक्शन लीजिए. ये दिखाई देना चाहिए कि एक्शन हुआ है और सदियों याद रखा जाना चाहिए. जिस तरह से इंदिरा जी ने पाकिस्तान के दो टुकड़े करके जवाब दिया था."
उन्होंने आगे कहा कि पाकिस्तान को ऐसा जवाब देना चाहिए, जो सदियों तक याद रखे और ये फिर से हमारे यहां आतंकवाद को परोसने का काम नहीं करें. अभी तो मौका है, अब इससे ज्यादा और क्या मौका होगा.
'नींबू, मिर्च हटा दीजिए...'
राफेल जेट पर बात करते हुए हमरान मसूद ने कहा कि इतना पैसा खर्च करके हमने कोई हथियार खरीदा है, तो उसका इस्तेमाल भी तो किया जाना चाहिए. उसका नींबू, मिर्च हटा दीजिए, क्या उस पर जंग लगाने के लिए खड़ा किया गया है.
वक्फ बिल पर क्या बोले इमरान?
वहीं, सुप्रीम कोर्ट आज वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करेगा. कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने कहा, "यह (वक्फ बिल) असंवैधानिक है, जेपीसी में कुछ नहीं हुआ. निश्चित तौर से हमें सुप्रीम कोर्ट से इंसाफ मिलेगा, हमें बहुत उम्मीदें हैं."
वक्फ मामले पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
वक्फ संशोधन एक्ट की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली पांच याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई होगी. सुप्रीम कोर्ट ने 17 अप्रैल को इन याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए वक्फ संपत्तियों को डिनोटिफाई करने, सेंट्रल वक्फ काउंसिल समेत बोर्ड्स में नई नियुक्तियों पर रोक लगा दिया था. सर्वोच्च न्यायालय ने इन याचिकाओं पर सरकार से जवाब मांगा था और याचिकाकर्ता को भी इस जवाब पर रिजॉइंडर दाखिल करने के लिए समय दिया था.
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सरकार की ओर से हलफनामे में क्या कहा गया है?
वक्फ संशोधन कानून को लेकर केंद्र सरकार की ओर से दायर हलफनामे में वक्फ बाई यूजर को सही बताया गया. अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय की ओर से सर्वोच्च न्यायालय में दिए गए 1332 पेज के हलफनामे में पुराने वक्फ कानून के प्रावधानों का हवाला देते हुए कहा गया है कि 'वक्फ बाई यूजर' सहित वक्फ संपत्तियों का रजिस्ट्रेशन साल 1923 से ही अनिवार्य है. सरकार ने कहा कि वक्फ (संशोधन) एक्ट 2025, आस्था और पूजा के मामलों को अछूता छोड़ता है और मुसलमानों की धार्मिक प्रथाओं का सम्मान करता है.
(एजेंसी के इनपुट के साथ)
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