क्या सिंपल GST से ट्रंप टैरिफ का झटका झेल पाएगा भारत? क्या है पूरी तैयारी, समझ‍िए

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस भाषण में कहा था कि हम देशभर में टैक्स का बोझ घटाने वाले नेक्स्ट-जेनरेशन गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स रिफॉर्म्स ला रहे हैं. ऐसा प्रस्ताव के बाद जीएसटी के चार स्लैब से दो पर जाने की तैयारी है, माना जा रहा है कि इससे टैक्स कंम्प्लायंस आसान होगा, मांग बढ़ेगी और US टैरिफ का असर कम हो सकता है.

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अब टैक्स केवल 5% और 18% के दो स्लैब में लगेगा! (सांकेतिक तस्वीर) अब टैक्स केवल 5% और 18% के दो स्लैब में लगेगा! (सांकेतिक तस्वीर)

दीपू राय

  • नई दिल्ली ,
  • 19 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 6:35 PM IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2017 के बाद भारत की पहली बड़ी खपत कर (Consumption Tax) में कटौती का ऐलान करते हुए GST (गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स) के स्लैब घटाकर 4 से 2 करने का प्रस्ताव रखा है. अब टैक्स केवल 5% और 18% के दो स्लैब में लगेगा जबकि तंबाकू जैसी 'सिन गुड्स' पर 40% का अलग टैक्स लागू होगा. ये सुधार दिवाली के आसपास लागू होने की उम्मीद है.

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क्यों है अहम

सरल GST से देश के करोड़ों कारोबारियों के लिए कंम्प्लायंस आसान होगा, लोगों की जेब में ज्यादा पैसा बचेगा और मांग बढ़ेगी. ये कदम ऐसे समय उठाया जा रहा है जब अमेरिका ने भारत के एक्सपोर्ट पर भारी टैरिफ लगा दिया है. मोदी के लिए ये सिर्फ आर्थिक नहीं बल्कि राजनीतिक दांव भी है क्योंकि राज्य चुनावों से पहले बड़े टैक्स सुधार उनकी ग्रोथ और निवेशक भरोसे की प्रतिबद्धता दिखाते हैं.

आंकड़ों में समझिए

अभी 4 स्लैब: 5%, 12%, 18%, 28% हैं
नया प्रस्ताव: 5% और 18%
28% वाली 90% वस्तुएं अब 18% पर आएंगी
अप्रैल 2025 में GST कलेक्शन: ₹2.37 लाख करोड़ (सरकार के पास फिस्कल कुशन मौजूद)
7 सिन गुड्स पर रहेगा 40% टैक्स (जैसे तंबाकू)

बता दें कि स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से मोदी ने 'नेक्स्ट-जेनरेशन GST रिफॉर्म्स' का वादा किया. सरकार मौजूदा चार-स्तरीय ढांचे को खत्म कर केवल दो दरों का सरल सिस्टम लाने की तैयारी कर रही है.

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जरूरी सामान खाद्य पदार्थ, दवाएं और शिक्षा से जुड़ी चीजें या तो शून्य टैक्स पर होंगी या 5% पर. टीवी, वॉशिंग मशीन जैसी कंज्यूमर ड्यूरेबल्स 18% वाले स्लैब में आएंगी. वहीं तंबाकू जैसी डेमेरिट गुड्स पर 40% टैक्स लगाया जाएगा.

इस ओवरहाल से लोगों की जेब में ज्यादा पैसा बचेगा, कंपनियों की सेल बढ़ेगी और टैक्स कलेक्शन में पारदर्शिता आएगी. शेयर बाजार ने इस फैसले का स्वागत किया है. बीते दो ट्रेडिंग सेशंस में सेंसेक्स और निफ्टी लगभग 2% चढ़े हैं, खासकर मारुति और नेस्ले जैसी कंज्यूमर कंपनियों के शेयरों में खरीदारी बढ़ी है.

इसका राजनीतिक टाइमिंग भी खास है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नए टैरिफ ने भारतीय एक्सपोर्टर्स पर दबाव बढ़ा दिया है. ऐसे में घरेलू मांग को बढ़ाकर सरकार इस झटके को बैलेंस करना चाहती है.

अमेरिकी टैरिफ का असर और भारत का बैलेंस

भले ही US टैरिफ ने मुश्किलें खड़ी की हों, लेकिन ताजा आंकड़े भारत को राहत देते हैं. अप्रैल-जुलाई के बीच भारत का US को एक्सपोर्ट 22% बढ़ा और ट्रेड सरप्लस $16 बिलियन तक पहुंच गया. वहीं, US से भारत का इंपोर्ट सिर्फ 12% बढ़ा. यानी भारत अब भी अमेरिका के सबसे बड़े बाजार में प्रतिस्पर्धी बना हुआ है. इसी वजह से GST सुधारों से घरेलू खपत को बढ़ाना और भी महत्वपूर्ण हो जाता है.

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बड़ी तस्वीर

GST को 2017 में लागू किया गया था ताकि पूरे देश का टैक्स सिस्टम एकजुट हो सके. लेकिन अलग-अलग स्लैब्स ने कारोबारियों के लिए कंम्प्लायंस मुश्किल बना दिया. लंबे समय से बिजनेस लाबी इसे सरल करने की मांग कर रही थी. मोदी का यह कदम GST 2.0 कहा जा रहा है, जटिलता से सरलता की ओर. अगर इस बार GST काउंसिल में इसे मंजूरी मिल गई तो यह उनके तीसरे कार्यकाल की सबसे बड़ी आर्थिक सुधारों में से एक होगा.

रिस्क कहां है?

टैक्स दर घटाने से राज्यों की कमाई पर शुरुआती असर पड़ सकता है. लेकिन सरकार का मानना है कि ज्यादा टैक्स कंप्लायंस और तेज ग्रोथ से यह घाटा पूरा हो जाएगा. पहले से ही 'रेवेन्यू-न्यूट्रल रेट' लगातार घटा है, 2017 में 15.8% से गिरकर 2023 में 11.4% पर आ गया. यानी अब सुधार का स्पेस ज्यादा है.

आगे क्या?

अभी प्रस्ताव फाइनल नहीं हुआ है. पहले राज्यों की सहमति लेनी होगी. राज्य वित्त मंत्रियों का एक ग्रुप गुरुवार को इसपर चर्चा करेगा. उसके बाद फाइनेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता वाली GST काउंसिल इसे सितंबर-अक्टूबर में देखेगी. नए बदलाव इसी वित्त वर्ष से लागू हो सकते हैं. बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस भाषण में कहा था कि हम देशभर में टैक्स का बोझ घटाने वाले नेक्स्ट-जेनरेशन गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स रिफॉर्म्स ला रहे हैं.

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