घुसपैठियों के खिलाफ अमित शाह ने बताई '3D' पॉलिसी, कहा- वे लोग देश का PM-CM तय नहीं करेंगे

अमित शाह ने लोकसभा में चुनाव सुधार पर चर्चा के जवाब में कहा कि सरकार ने शुरू में चुनाव सुधारों पर चर्चा से इनकार किया था. इसके पीछे कई कारण थे, क्योंकि विपक्ष की मांग थी कि स्पेशल इन्वेस्टिगेशन रिपोर्ट (SIR) पर चर्चा हो. ये चुनाव आयोग का काम है और इस पर चर्चा होगी तो जवाब कौन देगा.

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घुसपैठियों के खिलाफ '3D' पॉलिसी: अमित शाह. (photo: ITG) घुसपैठियों के खिलाफ '3D' पॉलिसी: अमित शाह. (photo: ITG)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 10 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 8:35 PM IST

लोकसभा में दो दिन चली चुनाव सुधारों की चर्चा का जवाब देते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने विपक्ष, खासकर कांग्रेस पर तीखा हमला बोला. घुसपैठियों को मतदाता सूची में शामिल करने के आरोपों पर बीजेपी नेता ने कांग्रेस पर निशाना साधा और साफ कहा कि कहा,'ये लोग तय नहीं करेंगे कि देश का प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री कौन बनेगा.' उन्होंने सरकार की '3D' पॉलिसी का जिक्र करते हुए कहा कि हम एक-एक घुसपैठिए को डिटेक्ट करेंगे, डिलीट करेंगे और डिपोर्ट करेंगे.

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लोकसभा में चुनाव सुधार पर चर्चा का जवाब देते हुए अमित शाह ने कहा, 'हम चर्चा नहीं चाहते, ऐसा भ्रम फैलाने की कोशिश की गई. हम बीजेपी और एनडीए के लोग डिबेट से कभी नहीं भागे. संसद सबसे बड़ी पंचायत है. चर्चा के लिए हमने ना कहा, इसके पीछे भी कारण थे.' गृह मंत्री अमित शाह ने ना कहने के पीछे की वजह बताते हुए कहा कि विपक्ष की डिमांड थी एसआईआर पर चर्चा की. यह चुनाव आयोग का काम है. इस पर चर्चा होगी तो जवाब कौन देगा.

पहली बार नहीं हो हो रहा SIR

अमित शाह ने कहा कि जब ये (विपक्ष) चुनाव सुधार पर चर्चा के लिए तैयार हुए, हमने दो दिन चर्चा की. उन्होंने कहा कि चर्चा तय हुई चुनाव सुधार पर, लेकिन विपक्ष के ज्यादातर सदस्यों ने एसआईआर पर ही बोला. जवाब तो मुझे देना ही पड़ेगा. अमित शाह ने कहा कि एसआईआर कोई पहली बार नहीं हो रहा है. यह पहले भी होता रहा है और मैंने पहले के भी सभी एसआईआर का गहन अध्ययन किया है. कांग्रेस की ओर से फैलाए गए झूठ का अपने तर्कों के हिसाब से जवाब देना चाहता हूं.

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उन्होंने चुनाव आयोग को संवैधानिक संस्था बताते हुए कहा कि चुनाव के लिए चुनाव आयोग जिम्मेदार है. चुनाव आयोग की व्यवस्था जब बनी, तब हम थे भी नहीं. अमित शाह ने कहा कि अनुच्छेद 324 में चुनाव आयुक्त को विशेष अधिकार दिए गए हैं. अनुच्छेद 326 में मतदाता की पात्रता तय की गई है. उन्होंने कहा कि मनीष तिवारी कह रहे थे कि एसआईआर का अधिकार चुनाव आयोग को है ही नहीं, तो उनको बताना चाहता हूं कि यह अधिकार चुनाव आयोग को अनुच्छेद 327 में मिला है.

विपक्ष ने आरोप झूठे

गृह मंत्री ने विपक्ष पर एसआईआर को लेकर झूठ फैलाने का आरोप लगाया और इसका इतिहास भी गिनाया. उन्होंने कहा कि 2000 के बाद तीन बार एसआईआर हुआ और दो बार बीजेपी-एनडीए की सरकार थी, एक बार मनमोहन सिंह की सरकार थी. तब किसी ने विरोध नहीं किया. यह चुनाव को पवित्र रखने की प्रक्रिया है. अमित शाह ने कहा कि चुनाव जिस आधार पर होते हैं, वह वोटर लिस्ट ही अशुद्ध है, तो चुनाव कैसे पवित्र हो सकते हैं. यह एसआईआर कुछ नहीं है, मतदाता सूची का शुद्धिकरण है.

उन्होंने कांग्रेस पर तंज करते हुए कहा कि मानता हूं कि कुछ दलों को इस देश के लोग वोट देते नहीं हैं, जो विदेशी वोट देते हैं, उनके नाम भी कट जाएंगे. उनसे सहानुभूति भी है. अमित शाह ने वोट चोरी का फेक नैरेटिव गढ़ने की कोशिश का आरोप लगाया और कहा कि घुसपैठिए यह तय नहीं कर सकते कि सीएम-पीएम कौन हो. सुप्रीम कोर्ट के फैसले से एसआईआर हुआ. उन्होंने आगे कहा कि चुनाव आयोग की ड्यूटी है यह तय करना कि कौन मतदाता है और कौन नहीं.

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गलत निकला राहुल गांधी का दावा- शाह

राहुल गांधी का नाम लेकर अमित शाह ने कहा कि हरियाणा के एक मकान को लेकर विपक्ष के नेता का दावा चुनाव आयोग की वेरिफिकेशन में गलत निकला. इस पर विपक्षी सदस्यों ने हंगामा शुरू कर दिया. अमित शाह ने कहा कि मुझे अपनी बात पूरी करने दें, इसके बाद विपक्ष के नेता को मौका दिया जाए और मैं उसका भी जवाब देने के लिए तैयार हूं. उन्होंने कहा कि विपक्ष के नेता ने खुद प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह कहा कि वोटर लिस्ट सही नहीं है. एसआईआर उसी को ठीक करने के लिए है.

उन्होंने कहा कि इनका (विपक्ष का) कहना है कि बीजेपी की सरकारों के खिलाफ एंटी इनकम्बेंसी का असर नहीं होता. शाह ने कहा कि सही बात है कि केंद्र से राज्य तक हमारी सरकारें बार-बार चुनकर आती हैं. लेकिन ऐसा भी नहीं है कि हम 2014 के बाद कोई चुनाव हारे नहीं हैं. उन्होंने छत्तीसगढ़ से लेकर कर्नाटक-तेलंगाना और झारखंड तक, विधानसभा चुनाव में बीजेपी की हार का उल्लेख करते हुए कहा कि जब आप (विपक्षी दल) जीतते हो, तब चुनाव आयोग महान है. जब मुंह की खाते हो तो चुनाव आयोग निकम्मा है. लोकतंत्र में यह दोहरा रवैया नहीं चलेगा.

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शाह ने गिनाई कांग्रेस की तीन वोट चोरी

अमित शाह ने कहा कि वोट चोरी की जहां तक बात है, आजादी के समय प्रधानमंत्री कौन बनेगा, यह कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्षों के वोट से तय हुआ. 28 प्रदेश अध्यक्षों ने सरदार पटेल के लिए वोट किया और दो ने पंडित नेहरू के लिए. उन्होंने कहा कि पंडित नेहरू प्रधानमंत्री बने, यह पहली वोट चोरी थी. इंदिरा गांधी अनैतिक तरीके से रायबरेली से चुनाव जीतीं और राजनारायण कोर्ट गए. कोर्ट ने तय कर दिया कि इंदिरा गांधी अनैतिक तरीके से जीतीं. इसे ढंकने के लिए संसद में कानून लाया गया कि प्रधानमंत्री के खिलाफ केस ही नहीं चल सकता. यह दूसरी वोट चोरी थी.

गृह मंत्री ने इंदिरा गांधी ने खुद के लिए इम्युनिटी ले ली थी. इस पर विपक्ष ने जोरदार हंगामा किया. विपक्ष के हंगामे पर अमित शाह ने कहा कि मोदी जी को लोगों ने बनाया है प्रधानमंत्री, आपकी कृपा से नहीं बने हैं. इनका आरोप सत्य नहीं है. उन्होंने कहा कि इंदिरा गांधी ने तीन वरिष्ठ जजों को बाईपास करके चौथे नंबर के जज को मुख्य न्यायाधीश बनाया. अमित शाह ने कहा कि तीसरी वोट चोरी है योग्यता नहीं है और मतदाता बन गए. अभी अभी एक वाद पहुंचा है दिल्ली की कोर्ट में कि सोनिया गांधी इस देश का नागरिक बनने से पहले मतदाता थीं. विपक्ष ने इस पर भी हंगामा किया.

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उन्होंने विपक्ष के हंगामे पर कहा कि केस चल रहा है, ये फैक्चुअल है. जवाब तो सोनिया गांधी को कोर्ट में देना है. केसी वेणुगोपाल ने कहा कि सोनिया गांधी उस चुनाव में वोटर नहीं थीं. गृह मंत्री को चुनौती देता हूं कि वो यह साबित करें. विपक्ष ने नियम 352 के तहत आपत्ति की. इस पर स्पीकर ओम बिरला ने कहा कि ये नियम हमने भी पढ़ा है. गृह मंत्री ने कोई फैसला नहीं दिया है. एक मामला आया है, उसका बस संदर्भ दिया है. अमित शाह ने कहा कि अभी मैंने कॉन्क्लूजन नहीं दिया है. कॉन्क्लूजन तो उनके जवाब देने के बाद फिर से बताऊंगा.

हमने जितने चुनाव जीते, उससे ज्यादा हारे हैं- शाह

अमित शाह ने कहा कि हम भी विपक्ष में रहे हैं. जितने चुनाव जीते हैं, उससे ज्यादा हारे हैं लेकिन कभी चुनाव आयोग पर आरोप नहीं लगाए. हम लोगों का तो पौना जीवन ही विपक्ष में ही गुजर गया. उन्होंने कहा कि सारे इंडी अलायंस वाले चुनाव आयोग पर ही आरोप लगा रहे हैं, यह परंपरा बन गई है. शाह ने कहा कि चुनाव आयोग, चुनाव कराने वाली तटस्थ संस्था है. चुनाव आयोग को मान्यता राजनीतिक दलों ने नहीं दी. चुनाव आयोग की छवि, दुनिया में भारतीय लोकतंत्र की छवि धूमिल करने की कोशिश हो रही है.

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उन्होंने 2014 के बाद एनडीए और विपक्षी दलों के चुनावी जीत के आंकड़े भी सदन में गिनाए और कहा कि हमने तीन लोकसभा चुनाव सहित 44 चुनाव जीते हैं. विपक्षी दलों को भी 30 चुनावों में जीत मिली है. शाह ने कहा कि राहुल गांधी जहां से चुनाव जीते हैं, उस वायनाड में हमारी पार्टी ने भी प्रेस कॉन्फ्रेंस करके ऐसी गड़बड़ियां बताई हैं. अमेठी में भी इस तरह की खामियां बताई हैं. उन्होंने कहा कि मान लेते हैं कि वोटर लिस्ट सही नहीं है. आपकी डिमांड है कि वोटर लिस्ट ठीक हो, चुनाव आयोग यही तो कर रहा है.

कांग्रेस की चुनावी हार का कारण नेतृत्व- शाह

अमित शाह ने कहा कि अगर कोई पत्रकार सवाल पूछे और इनको पसंद न आए, तो कहते हैं तुम बीजेपी के एजेंट हो. केस हारते हैं तो जज पर आरोप करते हैं. उन्होंने कहा कि चुनाव हारते हैं तो ईवीएम और वोट चोरी को दोष देने लगते हैं. बिहार में यात्रा निकाली और फिर भी ये हार गए. चुनाव हारने का कारण नेतृत्व है. कांग्रेस के कार्यकर्ता इनका हिसाब मांगेंगे. शाह ने कहा कि आजादी के बाद ऐसा कभी नहीं हुआ कि कोई जज खिलाफ फैसला दे, तो उसके खिलाफ इम्पीचमेंट आए. वोट बैंक को संभालने के लिए एक हाईकोर्ट के जज के सामने ये इम्पीचमेंट लेकर आए हैं.

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ईवीएम से बंद हुई चुनाव की चोरी- शाह

अमित शाह ने कहा कि ईवीएम राजीव गांधी लेकर आए. इसका पहला प्रयोग 2004 में हुआ और तब ये जीत गए. 2009 में भी ये जीत गए. मशीन आप लेकर आए, उसी से 10 साल राज किया. अब हार रहे तो उसका भी विरोध. उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग ने निर्णय किया कि पांच प्रतिशत ईवीएम और वीवीपैट के परिणाम का मिलान किया जाएगा. आज तक 16 हजार मशीन और वीवीपैट का मिलान हुआ है, एक भी मिसमैच नहीं हुआ. शाह ने कहा कि ईसीआई ने छेड़छाड़ के आरोप पर 10 राज्यों में ईवीएम लगाई. कोई छेड़छाड़ नहीं कर पाया. तीन दिन तक आयोग ने ईवीएम ऑफिस में रखे कि कोई भी आकर हैक करके दिखा दे.

उन्होंने कहा कि ये (विपक्ष) तो गए नहीं, एक्सपर्ट भी नहीं भेजा. गृह मंत्री ने आगे कहा कि साल 2017 में चुनाव आयोग ने निर्णय किया कि सभी चुनाव ईवीएम से होंगे. मैंने सोचा कि ईवीएम से अगर कुछ नहीं होता, फिर ये सारे लोग आरोप कैसे लगा रहे हैं. फिर मुझे याद आया कि बिहार यूपी में इनके जमाने में वोट के पूरे बक्से हाईजैक हो जाते थे. उन्होंने कहा कि ईवीएम आने से ये बंद हो गए. चुनाव की चोरी बंद हुई है, इस कारण पेट दर्द हो रहा है. ये एक्सपोज हो चुके हैं. जनादेश पर चुनाव जीतते हो, जीतो लेकिन ऐसे बहाने बनाना ठीक नहीं.

चुनाव सुधार पर कांग्रेस ने नहीं दिया एक भी सुझाव- शाह

अमित शाह ने कहा कि कल विपक्ष के नेता का पूरा भाषण धागों में उलझ गया. हमारे प्रधानमंत्री जनसंपर्क में आजादी के बाद सबसे ज्यादा प्रवास करने वाले पीएम हैं. एक भी दिन की छुट्टी नहीं, लगातार जनता का काम करते हैं. उन्होंने कहा कि पूरी चर्चा चुनाव सुधार पर थी. सुबह चुनाव आयोग के यहां जांच कराई. पूछा कि चुनाव सुधार के लिए मई 2014 के बाद किस पार्टी से कितने आवेदन मिले. शाह ने कहा कि जानकारी मिली की मई 2014 से अब तक कांग्रेस ने चुनाव सुधार के लिए एक भी सुझाव नहीं दिए हैं.

घुसपैठिए को डिटेक्ट, डिलीट और डिपोर्ट करेंगे

अमित शाह ने कहा कि कल देर रात तक को भाषण तैयार कर रहा था, तब सोच रहा था कि ये मुद्दा क्यों उठा है. मूल मुद्दा है अवैध घुसपैठियों को मतदाता सूची में रखने का. इस पर विपक्ष ने हंगामा कर दिया. कांग्रेस के सदस्यों ने शाह के जवाब के दौरान सदन से वॉकआउट कर दिया. इस पर किरेन रिजिजू ने कहा कि जवाब सुनने की हिम्मत नहीं है और सदन में गतिरोध कर रहे थे इस मुद्दे पर. सुनने की हिम्मत रखो. अमित शाह ने कहा कि घुसपैठिए के मुद्दे पर ये भाग गए. 200 बार भी भागेंगे, हम किसी घुसपैठिए को नहीं छोड़ेंगे. एक-एक घुसपैठिए को डिटेक्ट, डिलीट और डिपोर्ट करेंगे.

प्रधानमंत्री की फाइल से ही नियुक्त हुए 29 चुनाव आयुक्त

अमित शाह ने कहा विपक्ष के नेता ने तीन सवाल पूछे थे और चार सुझाव दिए थे. उन्होंने राहुल गांधी के सवाल दोहराए और कहा कि बताऊंगा तो पास्ट से ही, वर्तमान का भी जवाब दूंगा. 73 साल तक चुनाव आयुक्त की नियुक्ति का कोई कानून नहीं था. पीएम सीधे नियुक्ति कर देते थे. अमित शाह ने आगे कहा कि अब तक जितने चुनाव आयुक्त हुए और जितने मुख्य चुनाव आयुक्त हुए, सभी इसी प्रकार हुए. साल 1950 से 1989 तक चुनाव आयोग एक सदस्यीय था. प्रधानमंत्री फाइल भेजते थे राष्ट्रपति को, नोटिफिकेशन जारी हो जाता था. तब तक कोई सवाल नहीं था.

उन्होंने कहा कि साल 1989 से 1991 तक जब चुनाव आयुक्त उनकी सुनते नहीं थे, तब उन पर ब्रेक लगाने के लिए आयोग को बहु-सदस्यीय बनाया गया. वह भी प्रधानमंत्री की फाइल से ही हुआ. 29 आयुक्त इसी तरह हुए. अमित शाह ने कहा कि कांग्रेस ने ही यह परंपरा बनाई. सुप्रीम कोर्ट ने कानून बनाने के लिए कहा, तो वह सुझाव ही था, आदेश नहीं. कोर्ट ने कहा था कि अगर आप सहमत हैं, तो जब तक कानून नहीं बनता, सीजेआई की अध्यक्षता में कमेटी बने. हमने हां बोला. उन्होंने कहा कि 2023 में कानून बन गया. हमारे टाइम में तो और पारदर्शी हुआ. ये कहते हैं हमारा 33 परसेंट हिस्सा है. हमारा तो हिस्सा ही नहीं था. कौन 66, कौन 33... यह जनता तय करती है.

चुनाव अधिकारियों को मिली इम्युनिटी नहीं बढ़ाई- शाह

अमित शाह ने कहा कि सीसीटीवी फुटेज 45 दिन में नष्ट करने के सवाल पर कहा कि जनप्रतिनिधित्व अधिनियम में एक नियम है कि चुनाव नतीजों को 45 दिन तक चुनौती दी जा सकती है. चुनाव आयोग ने एक सर्कुलर से बदलाव करते हुए सीसीटीवी फुटेज का संरक्षण जोड़ दिया. उन्होंने कहा कि 45 दिन बाद जब विवाद का प्रोविजन ही नहीं है, तो इसे क्यों संरक्षित करना. सीसीटीवी फुटेज जब प्रक्रिया में ऐड किया, तब चुनाव आयोग ने कहा था कि यह संवैधानिक दस्तावेज नहीं, आंतरिक प्रबंधन है. शाह ने कहा कि जो चुनाव चैलेंज होता है, चुनाव आयोग नियमों से उसकी फुटेज रिजर्व कर देता है. कानून बनाकर इम्युनिटी देने की बात है, तो जनप्रतिनिधित्व एक्ट में जो इम्युनिटी प्राप्त है चुनाव अधिकारियों को, हमने उसमें जरा भी बढ़ोतरी नहीं की है. ये प्रावधान है. उसे हमने संगठित किया है. सारे वकीलों को राज्यसभा दे रखा है, भगवान जाने क्या करते हैं सब. अपने नेता को इसकी भी जानकारी नहीं देते.

पीएम, गृह मंत्री संघ से, आपकी कृपा से नहीं बने- शाह

राहुल गांधी के संघ को लेकर बयान पर पलटवार करते हुए अमित शाह ने कहा कि इस देश का प्रधानमंत्री, इस देश का गृह मंत्री संघ की विचारधारा वाला है. आपकी कृपा से प्रधानमंत्री-गृह मंत्री नहीं बने हैं, जनादेश से बने हैं. कोई कानून है क्या कि संघ की विचारधारा वाला व्यक्ति किसी पद पर नहीं जाएगा. उन्होंने क्या किया, यह हम बताते हैं. 1969 में राष्ट्रपति चुनाव में इंदिरा गांधी ने लेफ्ट से समझौता किया और महत्वपूर्ण पदों पर वामपंथी विचारधारा वालों को बैठाया. अमित शाह ने कहा कि देश के लिए मरना ही आरएसएस की विचारधारा है. हम नहीं डरते. मैं 10 साल का था और नारे लगाता था कि असम की गलियां सूनी हैं, इंदिरा गांधी खूनी है.

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