बगावत-इस्तीफा और हंगामा… नामांकन के आखिरी दिन चला संग्राम, 14 शहरों में शिंदे-बीजेपी में फाइट

महाराष्ट्र के नगर निगम चुनाव के नामांकन के आखिरी दिन खूब सियासी ड्रामा हुआ. कहीं टिकट न मिलने पर उम्मीदवार रोते नजर आए तो कहीं बगावत का रास्ता अख्तियार कर लिया. इतना ही नहीं, बीजेपी और शिंदे की शिवसेना के बीच भी सियासी टकराव दिख रहा. यही वजह है कि 14 नगर निगम क्षेत्र में एक-दूसरे के खिलाफ किस्मत आजमा रहे हैं.

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महाराष्ट्र नगर निगम चुनाव में बिखर गए सारे गठबंधन (Photo-ITG) महाराष्ट्र नगर निगम चुनाव में बिखर गए सारे गठबंधन (Photo-ITG)

कुबूल अहमद

  • नई दिल्ली,
  • 31 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 12:19 PM IST

महाराष्ट्र में बीएमसी सहित 29 महानगर पालिका के चुनावों के लिए नामांकन की प्रक्रिया मंगलवार को खत्म हो गई है. नामांकन के आखिरी दिन बीजेपी के नेतृत्व वाले महायुति और विपक्षी गठबंधन महाविकास अघाड़ी में बिखराव साफ नजर आया. इतना ही नहीं, गठबंधन में जगह न मिलने और टिकट करने पर आक्रोश से लेकर बगावत और इस्तीफे तक की झड़ी लग गई.

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एकनाथ शिंदे और बीजेपी मिलकर भले ही बीएमसी का चुनाव साथ लड़ रहे हों, लेकिन बाकी के महानगर निगम में महायुति के बीच दरार साफ दिख रही है. सूबे के 29 महानगर निगम में से 14 नगर निगम में शिंदे और बीजेपी आमने-सामने चुनावी मैदान में है. अजित पवार पहले ही महायुति से अलग चुनाव लड़ रहे हैं, लेकिन बीएमसी में सीट न मिलने से रामदास अठावले की पार्टी भी नाराज है.

14 नगर निगम में बीजेपी-शिंदे में फाइट

महाराष्ट्र के 29 नगर निगम क्षेत्र में से 14 में बीजेपी और शिंदे की शिवसेना अलग-अलग चुनाव लड़ रही है जबकि अजित पवार की पार्टी पहले से किनारा किए हुए हैं. बीजेपी और शिंदे सेना एक-दूसरे के खिलाफ जिन नगर निगम में चुनाव लड़ रहे हैं, उनमें पुणे, पिंपरी-चिंचवड़, नासिक, नदिड़, अमरावती, मालेगांव, अकोला, मीरा-भायंदर, नवी मुंबई, धुले, उल्हासनगर, सांगली, छत्रपति संभाजीनगर और जालना शहर शामिल है.

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सूबे के इन 14 महानगर पालिका क्षेत्र में मल्टी कार्नर कटिस्ट देखने को मिला है. बीजेपी और शिंदे सेना के अलावा ठाकरे बंधु (उद्धव और राज ठाकरे), कांग्रेस (प्रकाश आंबेडकर की वंचित आघाड़ी के साथ महादेव जानकर की आरएसपी) और शरद पवार और अजित पवार की एनसीपी भी अपने-अपने गठबंधन के साथ चुनावी मैदान में किस्मत आजमा रही है.

महायुति से नाराज रामदास आठवले

मुंबई के महानगरपालिका (बीएमसी) चुनाव में केंद्रीय मंत्री और रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया के प्रमुख रामदास आठवले ने बीजेपी और शिंदे सेना के साथ मिल कर चुनाव लड़ने का फैसला किया था, लेकिन महायुति में मनमुताबिक सीटें नहीं मिलने के बाद आठवले का मोहभंग हो गया.

उन्होंने कहा कि हमें 7 सीटें देने का फैसला किया गया, लेकिन हमारी पसंद की एक भी सीट लिस्ट में नहीं थी. आठवले ने कहा कि अब हमने 38 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया है. इसके अलावा बीएमसी की बाकी सीटों पर बीजेपी-शिंदे की शिवसेना को समर्थन करेंगे. हालांकि, उन्होंने 38 सीटों पर बीजेपी और शिवसेना दोनों से फाइट करेंगे. ऐसे में देखना है कि कैसे सियासी तालमेठ बैठते हैं.

नागपुर में शिंदे की शिवसेना बेबस

नागपुर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का गृहक्षेत्र है और यहां से विधायक हैं. फडणवीस ने अपने सियासी पारी का आगाज नागपुर के नगर निगम चुनाव से किया था और सीएम तक का सफर तय किया है. ऐसे में नागपुर महानगरपालिका के चुनाव में बीजेपी ने शिंदे की शिव सेना को सिर्फ 8 सीटें दी है. इनमें से 6 सीटों पर शिंदे सेना की तरफ से बीजेपी के उम्मीदवारों को उतारा गया है, इस तरह से सिर्फ 2 सीटों पर शिंदे सेना के उम्मीदवार किस्मत आजमा रहे हैं.

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नागपुर में सीटों के बंटवारे से नाराज शिंदे युवा सेना के जिला अध्यक्ष निलेश तीघरे ने सीधे अपना इस्तीफा डिप्टीसीएम एकनाथ शिंदे को भेज दिया है, यहां सिर्फ 8 सीटें मिलने से शिंदे सेना के नेताओं में काफी नाराजगी है, जिसके चलते पूरी पार्टी बेबस दिख रही है.

नागपुर में बिखर गया MVA गठबंधन

नागपुर में विपक्ष महाविकास अघाड़ी में भी फूट पड़ गई है. यहां अब कांग्रेस और शरद पवार की एनसीपी अलग-अलग चुनाव लड़ने का फैसला किया है. शरद पवार गुट के नागपुर अध्यक्ष दुनेश्वर पेठे ने कहा कि कांग्रेस नेताओं के साथ सोमवार रात तक चर्चा जारी रही लेकिन बाद में वे पलट गए।

एनसीपी ने कहा कि हमने 25 सीटें मांगी थीं लेकिन बाद में 15 सीटों पर लड़ने की बात कही. इसके बाद भी कांग्रेस इसके लिए भी तैयार नहीं हुई, लगता है कि कांग्रेस, बीजेपी की मदद करना चाहती है. इसलिए उन्होंने हमारे साथ गठबंधन नहीं करने का फैसला किया है.

संभाजीनगर में टूटा शिंदे का गठबंधन

छत्रपति संभाजीनगर नगर निगम के चुनाव में बीजेपी और शिंदे गुट आमने-सामने हैं. शिंदे गुट के कैबिनेट मंत्री संजय शिरसाट ने ऐलान किया कि बीजेपी के रवैये की वजह से अलायंस तोड़ने का फैसला लिया गया है. बीजेपी के घमंड की वजह से गठबंधन टूट गया. संभाजीनगर में गठबंधन टूटने का लाभ उद्धव ठाकरे और कांग्रेस को हो सकता है. ऐसा कुछ भी हुआ तो उसके लिए बीजेपी पूरी तरह से जिम्मेदार रहेगी.

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टिकट ना मिलने से रोए नेता, छोड़ी पार्टी

पुणे नगर निगम चुनाव के लिए नामांकन पत्र दाखिल करने पहुंचीं वार्ड नंब 3 से शिवसेना (शिंदे गुट) की नेता पद्मा शेलके ने दावा किया कि उनका ‘एबी फॉर्म’ किसी ने चुरा लिया है. शेलके चुनाव कार्यालय के बाहर ही फूट-फूट कर रोने लगीं. उन्होंने दावा किया कि उनके हाथ में फॉर्म पहुंचने से पहले ही एक साजिश के तहत किसी ने चोरी कर दूसरे उम्मीदवार के पास पहुंचा दिया। आखिर वफादार कार्यकर्ताओं के साथ इस तरह अन्याय क्यों किया जा रहा है.

चंद्रपुर नगर निगम चुनाव के लिए श्याम बोबडे ने पहले बीजेपी और फिर कांग्रेस से चुनावी टिकट की मांग की थी, लेकिन जब दोनों ही पार्टियों ने उन्हें उम्मीदवार बनाने से इनकार कर दिया, तो वे फूट-फूट कर रोने लगे, टिकट के लिए वे कांग्रेस सांसद प्रतिभा धानोरकर के कार्यालय भी पहुंचे, लेकिन बोबडे को वहां से भी निराशा हाथ लगी. इसके चलते रोने लगे.

NCP के नागपुर कार्यालय में तोड़फोड़

टिकट न मिलने से नाराज महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी के एक कार्यकर्ता ने अपने समर्थकों के साथ मिलकर नागपुर में पार्टी कार्यालय में तोड़फोड़ की. नागपुर महानगरपालिका चुनावों में अविनाश पारडीकर को टिकट देने से इनकार किए जाने के बाद, नाराज कार्यकर्ताओं ने गणेशपेठ क्षेत्र में एनसीपी कार्यालय के टेलीविजन सेट और खिड़कियां तोड़ दी.

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एनसीपी के शहर अध्यक्ष अनिल अहिरकर ने कहा कि पार्टी कार्यकर्ताओं का नाराज होना स्वाभाविक है. एक सीट के लिए 10 से अधिक दावेदार थे, लेकिन टिकट केवल एक को ही मिल सकता है, हमने सभी के लिए न्याय सुनिश्चित करने का प्रयास किया है. ऐसे ही दूसरे क्षेत्र में लोगों की नाराजगी दिखी.

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