महाराष्ट्र में कल स्थानीय चुनाव के नतीजे आए हैं. 288 सीटों में से 215 सीटों पर महायुति ने कब्जा किया है जबकि महा विकास अघाड़ी का प्रदर्शन बेहद खराब रहा है. MVA को सिर्फ 51 शीर्ष पदों पर जीत मिल सकी. पूरे चुनाव में बीजेपी सबसे बड़ी और कामयाब पार्टी बनी है. शिवसेना और एनसीपी ने भी शानदार सफलता हासिल की है. पूरी अघाड़ी मिलकर भी शिवसेना के नंबर्स को पार नहीं कर सकी. अब महायुति के नेता कह रहे हैं कि ये विकास की जीत है. महायुति पर महाराष्ट्र की मुहर है तो अघाड़ी के घटक दल कहते हैं कि सरकार ने 'पैसे बांटकर वोट बटोरे हैं'.
आरोप-प्रत्यारोपों से आगे अब चर्चा ये बढ़ चली है कि 15 जनवरी को जो नगर निगमों के चुनाव होने वाले हैं उसमें क्या होगा. बीजेपी-शिवसेना एक साथ लड़ने का ऐलान कर चुकी है. कांग्रेस अकेले लड़ने का ऐलान कर चुकी है. उद्धव ठाकरे की पार्टी जी-तोड़ कोशिश कर रही है कि राज ठाकरे से फौरन गठबंधन का ऐलान हो जाए. इसी बीच उद्धव ठाकरे की पार्टी ने कांग्रेस के खिलाफ मोर्चा भी खोल रखा है. नगर निगम चुनावों से ऐन पहले कांग्रेस को हारने वाली पार्टी, टूरिस्ट पार्टी और न जाने क्या-क्या कहा जा रहा है. ऐसे में सवाल है कि क्या महाराष्ट्र में अब अघाड़ी का भविष्य अंधकारमय हो रहा है.
288 में से 215 सीटों पर महायुति का कब्जा
नगर परिषद और नगर पंचायतों के साथ हुए चुनाव में शहरी निकायों की 288 में से 215 सीटों पर महायुति ने कब्जा कर लिया. शहरी निकायों के शीर्ष पदों पर महायुति में बीजेपी को 129, शिवसेना को 51, एनसीपी को 35 सीटें मिलीं तो अघाड़ी में कांग्रेस को 35, उद्धव को 9 और शरद पवार को 7 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा. पीएम मोदी से लेकर सीएम फडणवीस तक महायुति के नेता इस जीत को विकास की जीत बता रहे हैं तो अघाड़ी के नेता नकद पैसों से खरीदी गई जीत के आरोप लगा रहे हैं.
बीजेपी का स्ट्राइक रेट सबसे हाई
दरअसल महाराष्ट्र में स्थानीय निकायों के लिए 2 दिसंबर और 20 दिसंबर को 288 शहरी निकायों में, 246 नगर परिषदों और 42 नगर पंचायतों के लिए वोट डाले गए थे, जिसमें 75 फीसदी से ज्यादा सीटों पर महायुति ने कब्जा कर लिया. पूरे राज्य में पार्षदों की सीटों पर हुए चुनाव का हिसाब लगाया जाए तो महायुति गठबंधन की ओर से बीजेपी ने 3450 सीटें लड़ी और 2180 सीटें जीत लीं. इनका स्ट्राइक रेट रहा 63.1 प्रतिशत, जो 2020-21 के मुकाबले 12 फीसदी ऊपर था. इसी तरह शिवसेना ने 1620 सीटों पर उम्मीदवार उतारे और 890 सीटें जीतकर 54.9 फीसदी की स्ट्राइक रेट पाई. एनसीपी ने भी 1150 सीटें लड़कर 510 सीटें जीती यानी 44.3 प्रतिशत की स्ट्राइक रेट रखा.
MVA का स्ट्राइक रेट
लोकसभा चुनाव में शिकस्त के बाद विधानसभा में महायुति ने जो प्रदर्शन किया था वो इस बार भी जारी रहा. दूसरी ओर अघाड़ी के कल-पुर्जे एक बार फिर बिखरते दिखे क्योंकि कांग्रेस ने 1980 सीटें लड़कर सिर्फ 495 पर जीत हासिल की जो कि 25 फीसदी के स्ट्राइक रेट पर पहुंची. 2020-21 के मुकाबले ये 5 फीसदी खराब था. दूसरी ओर उद्धव ठाकरे की पार्टी 1540 सीटों पर लड़कर सिर्फ 285 सीटें यानी 18.5 प्रतिशत का स्ट्राइक रेट पा सकी और शरद पवार की पार्टी भी 1100 सीटों पर लड़कर सिर्फ 190 यानी 17.2 प्रतिशत का स्ट्राइक रेट ही पा सकी.
नगर निगम चुनाव में महायुति से अलग लड़ेंगे अजित पवार
गौर करने की बात ये है कि दोनों ही गठबंधनों ने ये चुनाव अलग अलग यानी गठबंधन में नहीं लड़ा था लेकिन जीत और हार में बात गठबंधनों की ही हो रही है. इन नतीजों से पता चलता है कि बीजेपी ने हर 3 में से 2 सीटें जीती. विदर्भ और उत्तरी महाराष्ट्र में बीजेपी ने कमाल किया. शिवसेना ने ठाणे-कोंकण में जबरदस्त सफलता पाई. महा विकास अघाड़ी के बीच आपसी वोट ट्रांसफर नहीं हुए. बीजेपी-शिवसेना के दोस्ताना मुकाबले में 60 फीसदी सीटें बीजेपी जीती. शिवसेना-एनसीपी की फ्रेंडली फाइट में 55 फीसदी सीट शिवसेना ने जीती. इसका एक नतीजा ये नजर आ रहा है कि आने वाले बीएमसी समेत 29 नगर निगमों के चुनाव में बीजेपी और शिवसेना तो साथ लड़ रही है लेकिन अजित पवार की एनसीपी महायुति में नहीं है.
निकाय चुनाव में हार से घबराया MVA
स्थानीय निकाय चुनाव में महा विकास अघाड़ी के घटक दलों की बदहाली का असर नगर निगम चुनावों पर दिख रहा है क्योंकि इस हार से घबराई उद्धव ठाकरे की पार्टी हर हाल में राज ठाकरे की पार्टी से गठबंधन को बेकरार है. लगातार हार पर हार की वजह से महाराष्ट्र में महा विकास अघाड़ी के अंदर बढ़ती लड़ाई का असर इंडिया गठबंधन तक पहुंचने की आशंका है. अगर नगर निगम चुनावों में कांग्रेस और अघाड़ी के दलों का यही प्रदर्शन रहा तो महायुति की जीत के मौके बढ़ेंगे. सिर्फ 3 हफ्ते बाद 15 जनवरी को बीएमसी समेत बाकी के 28 नगर निगमों के चुनाव हैं. 16 जनवरी को 3.48 करोड़ मतदाता कुल 2,869 सीटों पर जीत-हार का फैसला सुनाने वाले हैं.
आजतक ब्यूरो