महाराष्ट्र के थाणे जिले में स्थित बदलापुर में नगर परिषद का चुनाव होने वाला है. चुनाव में इस बार सबसे बड़ा मुद्दा किसी पार्टी की जीत-हार नहीं, बल्कि वंशवाद की पकड़ बन गया है. शिवसेना (शिंदे गुट) ने चुनावी मैदान में एक ही परिवार के छह सदस्यों को टिकट देकर स्थानीय राजनीति में बड़ा विवाद खड़ा कर दिया है.
शहर प्रमुख वामन म्हात्रे, जो लंबे समय से बदलापुर की राजनीति में प्रभावशाली नाम रहे हैं. वह खुद, पत्नी, बेटे, भाई, भाभी और भतीजे को टिकट दिलवाया है. नगराध्यक्ष का टिकट भी परिवार को ही दिया गया है.
49 सदस्यों वाली परिषद में एक ही परिवार को छह टिकट मिलना चर्चा और आलोचना दोनों का कारण बन गया है. बीजेपी ने इसे स्पष्ट रूप से वंशवाद बताया और आरोप लगाया कि शिवसेना शिंदे गुट के पास योग्य कार्यकर्ताओं की कमी हो गई है.
2015 में भी म्हात्रे परिवार के चार पार्षद चुने गए थे, लेकिन इस बार संख्या छह तक पहुंचने से आश्चर्य और नाराज़गी दोनों बढ़ी है.
वंशवाद का मुद्दा तभी और तगड़ा हुआ जब पार्टी ने पूर्व नगरसेवक प्रवीण राउत के परिवार को भी तीन टिकट दे दिए. यानी सिर्फ म्हात्रे ही नहीं, दूसरे परिवारों की भी पूरे पैनल में मजबूत हिस्सेदारी दिखाई दी.
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इससे शिवसेना (शिंदे) के कई पुराने कार्यकर्ताओं में असंतोष बढ़ा है, हालांकि खुले में बोल पाने का साहस कम ही लोग दिखा पा रहे हैं.
दिलचस्प यह है कि बीजेपी और शिवसेना (UBT) में भी हालात अलग नहीं हैं. बीजेपी में शहराध्यक्ष राजेंद्र घोरपड़े और उनकी पत्नी दोनों उम्मीदवार हैं. जबकि UBT गुट में प्रशांत पालंडे और प्राची पालंडे एक ही वार्ड के दो पैनलों से किस्मत आजमा रहे हैं.
स्थानीय विश्लेषकों का कहना है कि बदलापुर चुनाव में इस बार परिवारवाद सबसे बड़ा और सबसे विवादित मुद्दा बन चुका है, जिसने पूरे क्षेत्र में राजनीतिक चर्चा का रुख बदल दिया है.
मिथिलेश गुप्ता