सड़कों पर फिर उतरेंगे किसान, 26 नवंबर को देशभर के राजभवनों का करेंगे घेराव, SKM का ऐलान

संयुक्त किसान मोर्चा ने एक बार फिर सड़क पर उतरने का मन बना लिया है. उसने किसान आंदोलन के दो साल पूरे होने पर देशभर में राजभवनों तक मार्च करने का ऐलान किया है. एसकेएम समन्वय कमेटी और ड्राफ्टिंग कमेटी की एक ऑनलाइन बैठक में मार्च बुलाने की घोषणा की गई. हालांकि इससे पहले दिल्ली में एक बड़ी बैठक भी की जाएगी.

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समन्वय और ड्राफ्टिंग केमटी की बैठक में मार्च बुलाने का फैसला हुआ (फाइल फोटो) समन्वय और ड्राफ्टिंग केमटी की बैठक में मार्च बुलाने का फैसला हुआ (फाइल फोटो)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 25 अक्टूबर 2022,
  • अपडेटेड 9:40 PM IST

संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने मंगलवार को देशभर में 26 नवंबर को 'राजभवन मार्च' का आह्वान किया है. तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन की दूसरी वर्षगांठ पर यह मार्च बुलाया गया है. संयुक्त किसान मोर्चा ने बयान जारी करते हुए कहा कि वह देशभर के राजभवन मार्च और ज्ञापन को अंतिम रूप देने के लिए 14 नवंबर को दिल्ली में बैठक करेगा. एसकेएम समन्वय कमेटी और ड्राफ्टिंग कमेटी की एक ऑनलाइन बैठक में राजभवन तक देशव्यापी मार्च बुलाने की घोषणा की गई. 

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वन संरक्षण एक्ट में बदलावों की निंदा भी

एसकेएम ने केंद्र सरकार द्वारा वन संरक्षण अधिनियम के नियमों में किए जा रहे बदलावों की निंदा की. बैठक में यह भी फैसल हुआ कि 15 नवंबर को शहीद बिरसा मुंडा की जयंती के अवसर पर अपने अधिकारों के लिए लड़ने वाले आदिवासी संगठनों के साथ एकजुटता बढ़ाई जाएगी. इस बैठक में किसान नेता हन्नान मोल्ला, दर्शन पाल, युद्धवीर सिंह, मेधा पाटकर, राजाराम सिंह, अतुल कुमार अंजन, सत्यवान, अशोक धवले, अविक साहा, सुखदेव सिंह, रमिंदर सिंह, विकास शिशिर और डॉ. सुनीलम शामिल रहे.

मांगें मानने के आश्वासन पर खत्म किया था आंदोलन 

जानकारी के मुताबिक पंजाब और हरियाणा समेत कई राज्यों के किसानों ने नवंबर 2020 में दिल्ली की सीमाओं पर केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन किया था. किसानों की मांग पर मोदी सरकार ने नवंबर 2021 में कानूनों को वापस ले लिया था. कानूनों को वापस लेने के बावजूद किसानों ने धरनास्थल को खाली करने से मना कर दिया था.

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उन्होंने किसानों के खिलाफ दर्ज मामलों को वापस लेने, एमएसपी पर कानूनी गारंटी और आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों के परिजनों को मुआवजा देने की मांग की थी. केंद्र ने पिछले साल नौ दिसंबर को किसानों की अन्य लंबित मांगों पर विचार करने पर सहमति जताई थी. इसके बाद एसकेएम ने एक साल से अधिक समय से चल रहे आंदोलन को स्थगित करने की घोषणा की थी.

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