सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया है कि दिल्ली-एनसीआर के सभी आवारा कुत्तों को 8 हफ्ते के अंदर डॉग शेल्टर में भेजा जाए. देश की शीर्ष अदालत ने एक महत्वपूर्ण आदेश में, नगर निकायों और अन्य सिविक एजेंसियों को निर्देश दिया कि वे निर्धारित समय सीमा के भीतर पर्याप्त डॉग शेल्टर्स बनाने के लिए आपस में कोऑर्डिनेशन से काम करें और यह सुनिश्चित करें कि आवारा कुत्तों को पब्लिस प्लेस से हटा दिया जाए.
इस बीच आज तक ने दिल्ली में डॉग शेल्टर्स को लेकर पड़ताल की, जिसमें पता चला की देश की राजधानी में आवारा कुत्तों को रखने के लिए एक भी ऐसी जगह नहीं उपलब्ध है. एमसीडी सूत्रों ने बताया कि इस समय दिल्ली में आवारा कुत्तों की नसबंदी के लिए 20 स्टेरलिजेशन सेंटर (नसबंदी केंद्र) हैं और कोई डॉग शेल्टर नहीं है. मौजूद स्टेरलिजेशन सेंटर्स की क्षमता 2,500 कुत्तों की नसबंदी करने की है.
दिल्ली में करीब 6 लाख आवारा कुत्ते
एमसीडी सूत्रों ने कहा कि आवारा कुत्तों की जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए दिल्ली में मौजूद उनकी आबादी के कम से कम 70 प्रतिशत की नसबंदी करनी होगी, लेकिन इसके लिए पर्याप्त स्टेरलिजेशन सेंटर नहीं होने के कारण यह लक्ष्य पूरा नहीं हो पाएगा. दिल्ली में इस समय आवारा कुत्तों की संख्या लगभग 6 लाख है और इस संख्या को कम करने के लिए हर साल कम से कम 4.5 लाख कुत्तों की नसबंदी करनी होगी.
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अगर सरकार और अधिकारी मौजूदा सुविधाओं के साथ अदालती आदेश का पालन करें, तो हर साल केवल 1.25 लाख कुत्तों की ही नसबंदी हो पाएगी. एमसीडी के पशु चिकित्सा विभाग के पूर्व निदेशक डॉ. वीके सिंह ने कहा कि आवारा कुत्तों की आबादी में भारी वृद्धि के कारण और अधिक आश्रय स्थलों का निर्माण करना होगा और नसबंदी में समय लगेगा. उन्होंने आगे कहा कि दो प्रकार के आश्रय स्थल बनाने होंगे. एक नसबंदी किए गए कुत्तों के लिए और दूसरा बिना नसबंदी वाले कुत्तों के लिए.
आवारा कुत्तों को शेल्टर में रखें: SC
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि किसी भी आवारा कुत्ते को शेल्टर में रखने के बाद उसे वापस सड़कों पर नहीं छोड़ा जाना चाहिए और निर्देश दिया कि आवारा कुत्तों को डॉग शेल्टर्स में ही रखा जाए और उन्हें सड़कों, कॉलोनियों या सार्वजनिक स्थानों पर न छोड़ा जाए. शीर्ष अदालत ने दिल्ली सरकार, एमसीडी और एनडीएमसी को सभी इलाकों से आवारा कुत्तों को उठाना शुरू करने का निर्देश दिया. अदालत ने यह भी चेतावनी दी कि अगर कोई व्यक्ति या संस्था आवारा कुत्तों को उठाने में बाधा डालती है, तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.
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सुप्रीम कोर्ट ने सख्त लहजे में कहा कि हम किसी भी कीमत पर शिशुओं और छोटे बच्चों को आवारा कुत्तों का शिकार नहीं होने देना चाहते. सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने आवारा कुत्तों के काटने की समस्या के खिलाफ कुछ करने की मांग की थी. उन्होंने कहा, 'हम अपने बच्चों की बलि सिर्फ इसलिए नहीं दे सकते क्योंकि कुछ लोग खुद को बड़ा पशु प्रेमी समझते हैं.' सुप्रीम कोर्ट ने पिछले महीने कुत्तों के काटने से रेबीज होने की घटनाओं के बारे में मीडिया रिपोर्ट पर स्वतः संज्ञान लिया था, जिसमें कहा गया था कि शहर और इसके बाहरी इलाकों में हर दिन कुत्तों के काटने की सैकड़ों घटनाएं सामने आ रही हैं, जिससे रेबीज फैल रहा है और अंततः बच्चे और बुजुर्ग इस भयानक बीमारी का शिकार हो रहे हैं.
इस महीने की शुरुआत में, दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) ने घोषणा की थी कि वह राष्ट्रीय राजधानी में आवारा कुत्तों की समस्या से निपटने के लिए एनिमल बर्थ कंट्रोल सेंटर्स को मॉडर्नाइज करेगा और एंटी-रेबीज अवेयरनेस कैम्पेन चलाएगा. एमसीडी ने एक बयान में कहा कि कई एनजीओ के साथ पार्टनरशिप में चल रहे उसके एनिमल बर्थ कंट्रोल सेंटर्स जल्द ही आवारा कुत्तों में माइक्रोचिप्स लगाना शुरू करेंगे ताकि नसबंदी की स्थिति और अन्य महत्वपूर्ण विवरण दर्ज किए जा सकें, जिससे निगरानी और ट्रैकिंग आसान हो सके. नसबंदी के अलावा, इन केंद्रों में ब्लड चेकअप सहित नियमित स्वास्थ्य जांच भी की जाएगी.
कुमार कुणाल