झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को ईडी ने गिरफ्तार कर लिया है. रांची के कथित जमीन घोटाले में उनकी भूमिका को लेकर ईडी की टीम ने छह घंटों तक उनसे पूछताछ भी की. इससे पहले सोमवार को भी ईडी की टीम दिल्ली स्थित उनके आवास पर पूछताछ करने पहुंची थी, लेकिन वो वहां नहीं मिले थे.
रांची के कथित जमीन घोटाले में पूछताछ के लिए ईडी की टीम उन्हें 10 समन जारी कर चुकी थी. कुछ दिन पहले ही ईडी ने कई घंटों तक उनसे पूछताछ भी की थी. लेकिन बुधवार को उन्हें घंटों की पूछताछ के बाद आखिरकार गिरफ्तार कर लिया गया.
हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी से पहले जिस तरह का सियासी ड्रामा हुआ है. कुछ इसी तरह का ड्रामा 20 साल पहले उनके पिता शिबू सोरेन की गिरफ्तारी से पहले भी हुआ था. हालांकि, पूरे ड्रामे के बाद शिबू सोरेन ने कोर्ट में सरेंडर कर दिया था.
20 साल बाद फिर वैसा ही ड्रामा
सोमवार को ईडी की टीम जब दिल्ली स्थित हेमंत सोरेन के आवास पर पहुंची, तब वो वहां नहीं थे. बीजेपी ने उन्हें लापता बताया. दावा किया गया कि गिरफ्तारी के डर से हेमंत सोरेन फरार हो गए हैं.
हालांकि, मंगलवार को हेमंत सोरेन रांची पहुंचे. रांची पहुंचकर जब उनसे पूछा गया कि वो कहां थे? तो जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि आपके दिल में.
वहीं, झारखंड मुक्ति मोर्चा के प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने दावा किया कि हेमंत सोरेन किसी निजी काम से दिल्ली गए थे और काम होते ही वहां से लौट आए.
इसी तरह जब 2004 में शिबू सोरेन के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी हुआ था, तब वो अंडरग्राउंड हो गए थे. उस समय शिबू सोरेन मनमोहन सरकार में कोयला और खनन मंत्री थे.
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लगभग दो हफ्ते छिपे रहे थे शिबू सोरेन
17 जुलाई 2004 को जामताड़ा की एक कोर्ट ने शिबू सोरेन के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया था. वारंट जारी होने के बाद से ही शिबू सोरेन गायब हो गए थे.
ये वारंट 30 साल पुराने एक मामले में जारी किया गया था. दरअसल, 1975 में शिबू सोरेन की अगुवाई में एक रैली हुई थी. इस रैली में हिंसा भड़क गई, जिसमें 11 लोगों की मौत हो गई. ये रैली चिरुडीह में हुई थी. शिबू सोरेन पर भीड़ को उकसाने का आरोप था.
21 जुलाई 2004 को रांची पुलिस की टीम दिल्ली स्थित उनके आवास पर पहुंची थी, लेकिन वो वहां नहीं मिले थे. इसके बाद ये वारंट उनके घर की दीवार पर चस्पा कर दिया गया था.
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कोर्ट में किया था सरेंडर
इन सबके बीच 24 जुलाई 2004 को शिबू सोरेन ने केंद्रीय मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया. कोर्ट ने उन्हें भगोड़ा भी घोषित कर दिया था.
आखिरकार 30 जुलाई 2004 को शिबू सोरेन मीडिया के सामने आए और 2 अगस्त को कोर्ट में सरेंडर करने की बात कही. उन्होंने छिपे होने की बात से इनकार करते हुए कहा कि वो हाईकोर्ट के फैसले का इंतजार कर रहे थे.
2 अगस्त 2004 को शिबू सोरेन ने जामताड़ा की जिला अदालत में सरेंडर कर दिया. उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया. हालांकि, उसी दिन हाईकोर्ट ने उन्हें सशर्त जमानत भी दे दी.
मामले में हो चुके हैं बरी
मार्च 2008 में फास्ट-ट्रैक कोर्ट ने 33 साल पुराने चिरुडीह नरसंहार मामले में शिबू सोरेन को सबूतों की कमी का हवाला देते हुए बरी कर दिया था. झारखंड के जामताड़ा जिले की एक फास्ट-ट्रैक कोर्ट ने सबूतों की कमी का हवाला देते हुए सोरेन के अलावा 13 अन्य को बरी कर दिया था.
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