लोकसभा चुनाव करीब हैं और केंद्र की सत्ता पर काबिज भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में सीट शेयरिंग की कवायद तेज हो गई है. सीट शेयरिंग को लेकर पटना से लेकर दिल्ली तक बैठक पर बैठक हो रही है. बिहार बीजेपी अध्यक्ष और नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली सरकार में डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी समेत बीजेपी और सहयोगी दलों के बड़े नेता दिल्ली में डेरा डाले थे. मैराथन मंथन का दौर चलता रहा लेकिन सीट शेयरिंग को लेकर किसी फॉर्मूले पर सहमति नहीं बन सकी.
दिल्ली से पटना लौटने के बाद सम्राट चौधरी ने यह दावा किया कि लोकसभा चुनाव के लिए चुनाव कार्यक्रम के ऐलान से पहले सीट शेयरिंग के फॉर्मूले का ऐलान कर दिया जाएगा. बिहार सरकार के पूर्व मंत्री और जेडीयू एमएलसी अशोक चौधरी ने भी यह दावा किया है कि एनडीए में सब ठीक है और चुनाव कार्यक्रम के ऐलान से पहले सीट शेयरिंग फॉर्मूला तय कर लिया जाएगा. चिराग पासवान और उपेंद्र कुशवाहा को लेकर एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि सही समय पर सबकुछ सार्वजनिक किया जाएगा.
चिराग और उपेंद्र के सवाल पर नीतीश कुमार के करीबी अशोक चौधरी के जवाब ने अब इसे लेकर कयासों को हवा दे दी है कि क्या एनडीए में सबकुछ ठीक है? यह कयास अनायास भी नहीं. चिराग पासवान और उपेंद्र कुशवाहा को हाल ही में बिहार के बेगूसराय आए पीएम मोदी के कार्यक्रम में शामिल होना था लेकिन दोनों ने ही इस आयोजन से किनारा कर लिया.
सीट शेयरिंग को लेकर जारी बातचीत के बीच चिराग ने 10 मार्च को मुजफ्फरपुर में एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि हमारा गठबंधन बस बिहार की जनता के साथ है. चिराग के इस बयान को सीट शेयरिंग के लिए बातचीत बीजेपी और एनडीए के अन्य सहयोगी दलों के लिए चेतावनी की तरह देखा गया.
किस पार्टी की क्या डिमांड
बिहार में लोकसभा की 40 सीटें हैं. 2019 के चुनाव में एनडीए को 39 सीटों पर जीत मिली थी. बीजेपी के 17, जेडीयू के 16 और अविभाजित लोक जनशक्ति पार्टी के छह उम्मीदवार चुनाव जीते थे. अब समस्या यह है कि एलजेपी अब दो धड़ों में बंट गई है- एक पशुपति पारस की राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी और दूसरी चिराग की लोक जनशक्ति पार्टी रामविलास. दोनों ही पार्टियां पिछले चुनाव के फॉर्मूले पर छह-छह सीटों की मांग कर रही हैं. यह फॉर्मूला भी सामने आया था कि चिराग पासवान की पार्टी को पांच और पशुपति पारस की पार्टी को एक से दो सीटें मिल सकती हैं. जेडीयू अपनी जीती सीटों से कम पर मानने को तैयार नहीं है. 370 सीटें जीतने का लक्ष्य लेकर चल रही बीजेपी भी अपनी सीटिंग सीटें छोड़ना नहीं चाहेगी.
सीट शेयरिंग में चुनौतियां क्या
चुनौती जीतनराम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा की पार्टियों को एडजस्ट करने की भी है. मांझी की पार्टी एक से दो सीटों पर दावेदारी कर रही है तो उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी भी दो से तीन सीटें मांग रही है. बात केवल इतने तक ही नहीं, असली समस्या यह है कि कुशवाहा और मांझी की पार्टियां जिन सीतामढ़ी, कालीकट और गया जैसी सीटों पर दावेदारी कर रही हैं, इन सीटों से जेडीयू के सांसद हैं. जेडीयू को सीटिंग सीटें छोड़ने के लिए कैसे तैयार किया जाए. अगर जेडीयू सीटिंग सीटें छोड़ने के लिए तैयार हो भी जाए तो उसे इसके बदले कहां कौन सी सीट दी जाए. उधर, चिराग पासवान भी हाजीपुर सीट के लिए अड़े हुए हैं. हाजीपुर से पशुपति पारस सांसद हैं.
हाजीपुर सीट का पेच
चिराग अपने पिता की विरासत का जिक्र करते हुए हाजीपुर पर दावा कर रहे हैं. चिराग इस सीट से भावनात्मक रिश्ते का जिक्र करते हुए यहां से अपनी मां रीना पासवान को चुनाव मैदान में उतारने की मंशा जता चुके हैं तो वहीं पशुपति ने भी दो टूक कह दिया है कि यह सीट नहीं छोड़ेंगे. हाजीपुर में चाचा-भतीजे की रार से भी सीट शेयरिंग की बातचीत में बाधा आ रही है. बिहार बीजेपी के प्रभारी विनोद तावड़े ने हाजीपुर का पेच सुलझाने के लिए पशुपति पारस के सामने यह प्रस्ताव भी रखा था कि चाचा-भतीजा, दोनों की पार्टियां एक हो जाएं. लेकिन पशुपति ने इस पर भी साफ कह दिया कि चिराग के साथ दल, दिल और परिवार नहीं मिल सकते.
क्या हो सकता है फॉर्मूला
नीतीश कुमार की पार्टी बीजेपी से कम सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए तैयार होगी, ऐसी संभावनाएं कम ही मानी जा रही हैं. ऐसे में 40 सीटें छह पार्टियों में कैसे बंटेंगी? चर्चा यह भी है कि बीजेपी और जेडीयू, दोनों ही पार्टियां 16-16 सीटों पर चुनाव लड़ सकती हैं. बची आठ में से तीन से चार सीटें चिराग, एक से दो पशुपति और दो से तीन सीटों में मांझी और कुशवाहा की पार्टियों को एडजस्ट किया जा सकता है. कहा तो यह भी जा रहा है कि बीजेपी मांझी के उम्मीदवार को अपने सिंबल पर भी चुनाव मैदान में उतर सकती है.
आदित्य वैभव / बिकेश तिवारी