लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर सियासी सरगर्मी तेज है, खासकर यूपी के रायबरेली और अमेठी में, क्योंकि दोनों सीटें गांधी परिवार के गढ़ के तौर पर जानी जाती हैं. इस बार इन दोनों सीटों पर कांग्रेस के साथ सपा भी पूरा जोर लगा रही है. कांग्रेस की हर रैली और जनसभा में सपाईयों की बड़ी तादाद देखी जा सकती है. अब इसे अखिलेश यादव का आदेश कहें या फिर सपा की बीजेपी से अदावत. आइए जानते, समझते हैं...
दरअसल, हालही में समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश में जिन 17 सीटों पर गठबंधन सहयोगी कांग्रेस चुनाव लड़ रही है, वहां पार्टी कार्यकर्ताओं को निर्देश दिया था कि ऐसे लड़ें जैसे कि आपकी अपनी पार्टी मैदान में है. अमेठी और रायबरेली की रैलियों में लाल टोपी वालों (सपाइयों) की तगड़ी उपस्थिति दर्शाती है कि उनकी बात का असर हो रहा है.
2017 के विधानसभा चुनाव में सपा-कांग्रेस गठबंधन भले ही परवान चढ़ने में नाकाम रहा हो, लेकिन अमेठी और रायबरेली की हाई-प्रोफाइल सीटों पर दोनों दलों के कार्यकर्ता जीत सुनिश्चित करने के लिए जमीन पर एक टीम के रूप में काम कर रहे हैं. अमेठी से कांग्रेस के केएल शर्मा मैदान में हैं तो रायबरेली में राहुल गांधी.
चूंकि, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने राहुल और केएल शर्मा के चुनावी अभियान की कमान संभाल रखी है, इसलिए उनकी हर जनसभा और रैली में कांग्रेस वर्कर्स के साथ सपा के लोकल नेताओं और कार्यकर्ताओं की बड़ी तादाद दिखाई दे रही है.
गौरतलब है कि कई नेताओं ने 2017 में मिली हार के लिए गठबंधन (कांग्रेस-सपा) के कागजों पर ही रह जाने को जिम्मेदार ठहराया था, लेकिन सपा और कांग्रेस कार्यकर्ताओं का कहना है कि इस बार मामला अलग है. सपा के रायबरेली जिला प्रमुख वीरेंद्र यादव ने कहा कि "2017 में गठबंधन अंतिम समय में हुआ था. इसलिए हम लोग तैयारी नहीं कर पाए थे. मगर इस बार 'इंडिया' ब्लॉक लगातार बैठकें कर रहा था, जिससे दोनों दलों के कार्यकर्ताओं और नेताओं के बीच समन्वय बढ़ा है."
बकौल वीरेंद्र यादव- "जैसे ही हमारे नेता अखिलेश यादव जी ने गठबंधन की घोषणा की वैसे ही उन्होंने कांग्रेस को दी गई 17 सीटों के पदाधिकारियों और प्रमुख नेताओं की एक बैठक बुलाई. जिसमें अखिलेश जी उनसे कहा कि चुनाव ऐसे लड़ें जैसे कि आपकी अपनी पार्टी मैदान में है. अब सभी सपा कार्यकर्ता उनके इस निर्देश का पालन कर रहे हैं."
रायबरेली सपा जिला अध्यक्ष वीरेंद्र यादव ने आगे कहा कि इससे पहले लोकसभा चुनावों में अमेठी और रायबरेली में कांग्रेस उम्मीदवारों के पक्ष में एक मौन सहमति बनी थी, लेकिन इस बार "घोषित गठबंधन" के साथ, कार्यकर्ता अधिक उत्साहित हैं और यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं कि 'इंडिया' ब्लॉक के उम्मीदवार (राहुल गांधी और केएल शर्मा) बड़ी जीत हासिल करें.
सपा जिला अध्यक्ष ने कहा, "सपा और कांग्रेस कार्यकर्ताओं को भरोसा है कि राहुल रायबरेली में रिकॉर्ड अंतर से जीतेंगे, जबकि शर्मा अमेठी में अच्छे अंतर से जीतेंगे." उन्होंने कहा कि यहां सपा कार्यकर्ता कांग्रेस के 'गारंटी कार्ड' भी बांट रहे हैं जिनमें लोगों से पार्टी के वादे हैं.
अमेठी और रायबरेली में मीडिया प्रचार में शामिल कांग्रेस नेता अंशू अवस्थी ने कहा कि दोनों सीटों में सपा कार्यकर्ताओं के उत्साहपूर्ण समर्थन के पीछे का कारण स्पष्ट है क्योंकि उनका गांधी परिवार के साथ घनिष्ठ, पारिवारिक और बहुत भावनात्मक लगाव रहा है. सपा के बड़े कार्यकर्ता और नेता भी यहां पहले भी गांधी परिवार से जुड़े रहे हैं, इसलिए कहीं न कहीं सपा के लोगों का स्नेह और लगाव गांधी परिवार के प्रति है और वे पूरी ताकत से यहां चुनाव जिताने की कोशिश कर रहे हैं.
वहीं, रायबरेली में सपा के पूर्व जिला अध्यक्ष राम नरेश यादव ने कहा कि हमारी पार्टी के कार्यकर्ता भी कांग्रेस कार्यकर्ताओं की तरह उत्साहित हैं और 'इंडिया' ब्लॉक के उम्मीदवारों के लिए रायबरेली और अमेठी में बड़ी जीत सुनिश्चित करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं. सपा कार्यकर्ताओं और कांग्रेस के बीच समन्वय है. यहां एक संयुक्त रैली होने वाली है जिसमें राहुल गांधी जी और अखिलेश यादव जी आएंगे जो इस गठबंधन की ताकत को और प्रदर्शित करेगा.
मालूम हो कि रायबरेली निर्वाचन क्षेत्र में पांच विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं- बछरावां, हरचंदपुर, रायबरेली, ऊंचाहार और सरेनी. वहीं, अमेठी संसदीय क्षेत्र में तिलोई, सलोन, जगदीशपुर, गौरीगंज और अमेठी विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं. इन 10 विधानसभा क्षेत्रों में से छह पर सपा के विधायक हैं लेकिन उनमें से दो ने बीजेपी को समर्थन दिया है.
आशीष मिश्रा