बिहार SIR: वोटर लिस्ट में नाम जोड़ने-हटाने के लिए आए 5015 आवेदन, राजनीतिक दलों ने ECI से नहीं की कोई आपत्ति

बिहार में वोटर लिस्ट रिवीजन का पहला चरण पूरा होने के बाद अब तक 5015 आवेदन वोटर लिस्ट में नाम जोड़ने या हटाने के लिए आए हैं. इसमें राजनीतिक दलों की ओर से की गई आपत्ति की संख्या शून्य है.

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विपक्षी दलों का दावा था कि SIR में मतदाताओं के नाम काटे जा रहे हैं (Photo: Representational) विपक्षी दलों का दावा था कि SIR में मतदाताओं के नाम काटे जा रहे हैं (Photo: Representational)

संजय शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 07 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 2:00 PM IST

बिहार में वोटर लिस्ट के स्पेशल रिवीजन पर पटना से दिल्ली तक हंगामा मचा हुआ है. विपक्षी दलों ने चुनाव आयोग और राज्य, केंद्र की सरकारों के खिलाफ सड़क से सदन तक मोर्चा खोल रखा है. इन सबके बीच अब आपत्तियों और दावे का दौर चल रहा है. बिहार में SIR का पहला चरण पूरा होने के बाद करीब हफ्तेभर का समय बीत चुका है.

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वोटर लिस्ट से नाम हटाने या जोड़ने के लिए चुनाव आयोग को छह दिन में 5015 आवेदन मिल चुके हैं. खास बात यह है कि इनमें से एक भी आवेदन किसी राजनीतिक दल की ओर से नहीं आए हैं. चुनाव आयोग के मुताबिक राजनीतिक दलों की ओर से एक भी आपत्ति या आवेदन नहीं आया है.

पहली बार वोटर लिस्ट में अपना नाम शामिल कराने के लिए भी 27 हजार 517 लोगों ने आवेदन किया है. इसके लिए इन लोगों ने फॉर्म 6 भरकर जमा किया है. चुनाव आयोग की ओर से मिली जानकारी के मुताबिक इन आवेदनों का निस्तारण सात कार्य दिवस में कर दिया जाएगा.

चुनाव आयोग ने फिर दोहराया है कि हमारी कोशिश है कि बिहार की अंतिम वोटर लिस्ट में एक भी योग्य मतदाता छूटने न पाए और कोई अयोग्य इसमें जुड़ने न पाए. गौरतलब है कि बिहार में स्पेशल रिवीजन के बाद चुनाव आयोग ने वोटर लिस्ट का ड्राफ्ट 1 अगस्त को जारी कर दिया था.

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चुनाव आयोग ने वोटर लिस्ट का ड्राफ्ट अपनी वेबसाइट पर अपलोड करने के साथ ही सभी राजनीतिक दलों के साथ भी साझा किया था. आयोग ने कहा था कि इस पर आपत्ति और दावे 1 सितंबर तक लिए जाएंगे. कोई भी व्यक्ति या राजनीतिक दल निर्धारित प्रपत्र पर आवेदन कर अपनी आपत्ति 1 सितंबर तक दर्ज करा सकता है. वोटर लिस्ट का अंतिम प्रकाशन 1 सितंबर को किया जाना है.

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एसआईआर को लेकर राजनीतिक दलों ने भी कुल मिलाकर करीब डेढ़ लाख से अधिक बूथ लेवल एजेंट (बीएलए) नियुक्त किए थे. चुनाव आयोग की लिस्ट के मुताबिक सभी दलों ने कुल 1 लाख 60 हजार 813 बीएलए नियुक्त किए थे. दलगत आंकड़ों की बात करें तो भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने 53 हजार 338, राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) ने 47 हजार 506, जनता दल (यूनाइटेड) ने 36 हजार 550 और कांग्रेस ने 17 हजार 549 बीएलए तैनात किए थे.

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सीपीआई (एम-एल) ने 1496, सीपीएम ने 899, राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (आरएलजेपी) ने 1913 बीएलए की नियुक्ति की थी. चिराग पासवान की अगुवाई वाली लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के 1210, बसपा के 74, एनपीपी के सात बीएलए थे और आम आदमी पार्टी की ओर से भी एक बीएलए की नियुक्ति की गई थी.

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