बिहार से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री डॉ. शकील अहमद ने मंगलवार को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया. उन्होंने अपना इस्तीफा कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को भेजा और कहा कि यह फैसला उन्होंने भारी मन से लिया है.
शकील अहमद ने अपने पत्र में लिखा, “मैं कांग्रेस की विचारधारा और सिद्धांतों पर आज भी पूरा विश्वास रखता हूं. मेरे इस्तीफे का मतलब यह नहीं है कि मैं किसी दूसरी पार्टी में शामिल हो रहा हूं. मेरे जीवन का आखिरी वोट भी कांग्रेस को ही जाएगा.”
बिहार के मधुबनी से ताल्लुक रखने वाले डॉ. अहमद तीन बार विधायक (1985-90, 1990-95, 2000-04) और दो बार सांसद (1998, 2004) रह चुके हैं. वे 2000 से 2003 तक बिहार प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भी रहे. इससे पहले उन्होंने बिहार सरकार में स्वास्थ्य मंत्री के तौर पर भी काम किया था.
तो इस वजह से दिया इस्तीफा?
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कांग्रेस के भीतर बिहार इकाई में मतभेद और राज्य नेतृत्व से असंतोष के चलते उन्होंने पार्टी छोड़ने का फैसला किया. उनके करीबी सूत्रों के अनुसार, वे पिछले कुछ समय से संगठन में अपनी उपेक्षा से नाराज थे.
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उन्होंने PTI से बात करते हुए कहा, "भारी मन से, मैंने कांग्रेस पार्टी की सदस्यता से इस्तीफा देने का फैसला किया है. मेरे इस्तीफे का मतलब यह नहीं है कि मैं किसी अन्य पार्टी में शामिल हो जाऊंगा... मेरे पूर्वजों की तरह, मुझे कांग्रेस पार्टी की विचारधारा और सिद्धांतों में पूरा विश्वास है, और मैं हमेशा इन विचारधाराओं और सिद्धांतों का समर्थक रहूंगा. मैं आपको विश्वास दिलाता हूं, मेरे जीवन का आखिरी वोट भी कांग्रेस को ही जाएगा."
डॉ. शकील अहमद का राजनीतिक परिवार तीन पीढ़ियों से कांग्रेस से जुड़ा रहा है. उनके दादा अहमद गफूर 1937 में विधायक बने थे, जबकि उनके पिता शकूर अहमद 1952 से 1977 तक पांच बार विधायक रहे.
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