दो पूर्व CM के बेटों से भिड़ेंगे पूर्व CM केजरीवाल... कौन भेदेगा नई दिल्ली सीट के 'पावर हाउस' का त्रिकोण?

New Delhi Assembly Seat: नई दिल्ली सीट की बात करें तो यह एक ऐसी सीट है जो भारत की सत्ता के केंद्र में हैं. इस विधानसभा सीट के अंदर में ही इंडिया गेट, खान मार्केट, सरोजनी नगर, मंडी हाउस, लुटिंयंस जोन, राष्ट्रपति भवन, संसद भवन आदि आते हैं.

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नई दिल्ली सीट पर इस बार त्रिकोणीय हो सकता है मुकाबला नई दिल्ली सीट पर इस बार त्रिकोणीय हो सकता है मुकाबला

किशोर जोशी

  • नई दिल्ली,
  • 16 दिसंबर 2024,
  • अपडेटेड 1:21 PM IST

आम आदमी पार्टी ने दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए रविवार को अपनी चौथी लिस्ट जारी करने के साथ सभी 70 सीटों पर अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं. पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल एक बार फिर से नई दिल्ली सीट से चुनावी मैदान में उतरेंगे.  उनके एक बार फिर से चुनाव लड़ने के ऐलान के बाद यह सीट राजधानी की सबसे हाई-प्रोफाइल सीट बन गई है. 

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दरअसल इस सीट पर त्रिकोणीय मुकाबले ने दिल्ली चुनाव को सबसे दिलचस्प बना दिय़ा है. अरविंद केजरीवाल के खिलाफ कांग्रेस से संदीप दीक्षित को मैदान में उतारा है. वहीं बीजेपी की ओर से पूर्व सांसद प्रवेश वर्मा बीजेपी सके यहां से चुनाव लड़ने की चर्चाएं तेज हैं. हालांकि बीजेपी की अभी कोई लिस्ट नहीं आई है लेकिन आजतक से बातचीत में प्रवेश वर्मा ने ही कहा था कि उन्हें पार्टी ने नई दिल्ली से चुनाव लड़ने को कहा है.

अगर प्रवेश वर्मा को यहां से बीजेपी टिकट देती है तो यहां दो पूर्व मुख्यमंत्रियों के बेटों और एक पूर्व  सीएम के बीच रोचक मुकाबला होने के पूरे आसार है. नई दिल्ली सीट को दिल्ली से कभी शीला दीक्षित विधायक थीं . 2013 में पहली बार केजरीवाल ने उन्हें यहां से शिकस्त दी थी. केजरीवाल ने 2015 और 2020 में भी यहां से जीत हासिल की थी.

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जो जीता यहां चुनाव, वो बना सीएम

दिल्ली विधानसभा के गठन के बाद जब 1993 में पहली बार चुनाव हुए तो नई दिल्ली विधानसभा सीट उस समय गोल मार्केट सीट का हिस्सा थी. 2008 में जब परिसीमन हुआ तो इसका नाम बदलकर नई दिल्ली विधानसभा सीट हो गया.  हमेशा से ही वीवीआईपी सीट रही नई दिल्ली के बारे में एक गजब इत्तेफाक भी रहा है और वह यह है  कि जो यहां जीत हासिल करता है वो मुख्यमंत्री बनता है.

कभी गोल मार्केट के नाम से जानी जाती थी सीट

इतिहास पर नजर डालें तो 1993 में जब दिल्ली में पहली बार चुनाव हुए तो गोल मार्केट सीट (अब नई दिल्ली) से बीजेपी के टिकट पर कीर्ति आजाद विधायक चुने गए. इसके बाद  1998, 2003 और  2008 (तब नई दिल्ली विधानसभा सीट) शीला दीक्षित ने यहां से बड़े अंतर से जीत हासिल की थी. फिर आए 2013 के विधानसभा चुनाव जब पहली बार केजरीवाल की आम आदमी पार्टी चुनावी समर में उतरी और खुद अरविंद केजरीवाल ने शीला दीक्षित के खिलाफ यहां से ताल ठोक दी.

चुनाव नतीजे घोषित हुए ने हर कोई हैरान था क्योंकि केजरीवाल ने नई दिल्ली सीट से शीला दीक्षित को 25,864 वोटों से शिकस्त दी. अरविंद केजरीवाल को जहां 44269 वोट मिले तो शीला दीक्षित को महज 18405 वोटों से संतोष करना पड़ा और तीसरे नंबर रहे बीजेपी उम्मीदवार विजेंद्र कुमार को तब 17952 वोट मिले.

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उन्होंने 2015 में अरविंद केजरीवाल ने फिर से इस सीट से चुनाव लड़ा और बीजेपी की  नूपुर शर्मा को 31,583 वोटों से हराकर शानदार जीत हासिल की. कांग्रेस की किरण वालिया को यहां महज 4781 वोट मिले. 2020 में भाजपा ने यहां से सुनील यादव के नाम पर दांव लगाया लेकिन उन्हें भी बड़ी हार मिली और केजरीवाल ने भाजपा के सुनील यादव को 21,697 वोटों से शिकस्त दी. कांग्रेस उम्मीदवार रोमेश सभरवाल को सिर्फ 3,220 वोट मिले थे.

देश की सत्ता का प्रतीक है नई दिल्ली सीट 
नई दिल्ली सीट की बात करें तो यह एक ऐसी सीट है जो भारत की सत्ता के केंद्र में हैं. इस विधानसभा सीट के अंदर में ही इंडिया गेट, खान मार्केट, सरोजनी नगर, मंडी हाउस, लुटियंस जोन, राष्ट्रपति भवन, संसद भवन आदि आते हैं. इसके अलावा केंद्र के तमाम बड़े दफ्तर, सांसद आवास और सरकारी कर्मचारियों के आवास भी इसी विधानसभा सीट के तहत आते हैं. वहीं कई जगहों पर अभी भी क्लस्टर यानि झोपड़ियां भी हैं. 

ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और दो पूर्व मुख्यमंत्रियों के बेटे (शीला दीक्षित और साहिब सिंह वर्मा) संदीप दीक्षित और प्रवेश साहिब सिंह वर्मा में से कौन, कितने अंतर से बाजी मारता है.

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