बिहार इलेक्शन स्पेशल: NDA के वोटबैंक पर महागठबंधन की नजर, तेजस्वी-राहुल की नई सोशल इंजीनियरिंग EBC में लगाएगी सेंध?

महागठबंधन 33% आबादी वाले एनडीए के विश्वसनीय EBC वोटबैंक में सेंधमारी करने की उम्मीद में है, जिसके लिए तेजस्वी-राहुल गांधी ने मल्लाह और पान-तांतिया जैसे उपजातियों के नेताओं को महागठबंधन में शामिल कर नई सोशल इंजीनियरिंग की है. महागठबंधन ने मुकेश सहनी को उपमुख्यमंत्री पद का चेहरा बनाकर और आईपी गुप्ता के नेतृत्व में चुनाव प्रचार कर 100 से अधिक सीटें जीतने का टारगेट रखा है.

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NDA के वोटबैंक EBC पर तेजस्वी-राहुल की नजर. (File Photo: PTI) NDA के वोटबैंक EBC पर तेजस्वी-राहुल की नजर. (File Photo: PTI)

राहुल गौतम

  • नई दिल्ली,
  • 05 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 7:32 AM IST

बिहार में लगातार चार विधानसभा चुनाव हारने के बाद महागठबंधन को अपने कोर वोटबैंक (यादव और मुसलमान) की लिमिट का शायद एहसास हो गया है. इसीलिए महागठबंधन अब चुनाव में अति पिछड़ा वर्ग (EBC) के मतदाताओं को लुभाने पर जोर दे रहा है, क्योंकि वह अपने मूल वोट बैंक के सहारे सत्ता हासिल नहीं कर सकते. ये नई सोशल इंजीनियरिंग ईबीसी वोटबैंक में सेंध लगाने की कोशिश है जो लंबे वक्त से एनडीए का वोटबैंक रहा है.

बिहार में ईबीसी मतदाताओं की आबादी 33 प्रतिशत है. कुर्मी, कुशवाहा, कोइरी जैसे ईबीसी मतदाता पारंपरिक रूप से राजद को सत्ता से बाहर रखने के लिए वोट देते रहे हैं. मौजूदा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जो खुद कुर्मी समुदाय से आते हैं, ईबीसी मतदाताओं के लिए एकमात्र विकल्प के रूप में उभरे थे. एनडीए आम तौर पर रणनीतिक रूप से ईबीसी उम्मीदवारों को अधिक प्रतिनिधित्व देकर इस वर्ग को अपील करता है. हालांकि, इस बार महागठबंधन के नेता तेजस्वी यादव और राहुल गांधी अपने मूल मतदाताओं की ताकत को और मजबूत करने के लिए एक मजबूत सोशल इंजीनियरिंग तैयार की है.

मल्लाह समुदाय पर दांव

बिहार सरकार द्वारा किए गए 2023 के जाति सर्वेक्षण के अनुसार, बिहार में मल्लाह, केवट और निषाद जैसी 20 उपजातियां हैं. जिनकी संख्या में हिस्सेदारी 4.6 प्रतिशत है.इस ईबीसी समुदाय का मुख्य व्यवसाय मछली पकड़ना, मछली पालन और नाव चलाना है. यह समुदाय अब तक मुख्य रूप से नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के पक्ष में मतदान करता रहा है. हालांकि, इस बार महागठबंधन ने मुकेश सहनी को उपमुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित किया है, जो खुद को 'मल्लाह का बेटा' कहते हैं.

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12 सीट पर चुनाव लड़ रही है सहनी की पार्टी

मुकेश सहनी की पार्टी- विकासशील इंसान पार्टी 12 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. महागठबंधन को उम्मीद है कि वह इस एनडीए वोटबैंक में मजबूत सेंधमारी करेगी.

उधर, घोषणा के बाद से ही सहनी ये प्रचारित कर रहे हैं कि मल्लाह समुदाय को पहली बार बिहार में राजनीतिक जगह मिल रही है. हाल ही में राहुल गांधी ने सहनी के साथ चुनाव प्रचार करते हुए मछली पकड़ने वाले तालाब में डुबकी लगाई, जो एक मजबूत राजनीतिक कदम था.

पान-तांतिया समुदाय पर भी नजर

महागठबंधन के रडार पर एक और ईबीसी जाति समूह पान-तांतिया समुदाय है. इस समुदाय के नेता आईपी गुप्ता बड़ी भीड़ जुटा रहे हैं. महागठबंधन ने उन्हें तीन सीटों पर चुनावी मैदान में उतारा है.

2023 के जाति सर्वेक्षण के अनुसार, इस समुदाय की आबादी लगभग 2 प्रतिशत है और बिहार के 38 में से 6 से अधिक जिलों में इनकी मजबूत उपस्थिति है.

पान-तांतिया एक पारंपरिक बुनाई और कपड़ा व्यापार करने वाला समुदाय है और ये पहले एनडीए के साथ जुड़ा हुआ था. हालांकि, इस बार महागठबंधन को इस समीकरण को तोड़ने की उम्मीद है.

सूत्रों के अनुसार, आईपी गुप्ता की इंडियन इंक्लूसिव पार्टी ने अपने समर्थकों से सुबह 6 बजे से ही वोटिंग लाइन में खड़े होकर महागठबंधन के लिए वोट डालने की अपील की है. महागठबंधन के नेताओं को उम्मीद है कि इससे आरजेडी को 80 सीटों की अपनी सीमा को पार करके 100 से अधिक सीटों तक पहुंचने में मदद मिलेगी.

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