ताड़ी से हटेगा बैन, शराबबंदी कानून की समीक्षा का वादा... बिहार चुनाव के लिए महागठबंधन का घोषणा पत्र

बिहार चुनाव से पहले INDIA गठबंधन ने ‘बिहार का तेजस्वी प्रण’ घोषणा पत्र जारी किया है, जिसमें ताड़ी पर से प्रतिबंध हटाने और शराबबंदी कानून की समीक्षा का वादा किया गया है. गठबंधन ने हर घर से एक सदस्य को सरकारी नौकरी, पुरानी पेंशन बहाली और 200 यूनिट मुफ्त बिजली जैसे वादे भी किए हैं.

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रोजगार से लेकर महिला सशक्तिकरण तक का वादा किया गया है. (Photo: PTI) रोजगार से लेकर महिला सशक्तिकरण तक का वादा किया गया है. (Photo: PTI)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 29 अक्टूबर 2025,
  • अपडेटेड 2:40 PM IST

बिहार विधानसभा चुनाव से पहले विपक्षी गठबंधन INDIA ब्लॉक ने मंगलवार को अपना घोषणा पत्र जारी किया, जिसमें ताड़ी (ताड़ी या तारी) पर से प्रतिबंध हटाने और बिहार प्रोहिबिशन एंड एक्साइज एक्ट की समीक्षा का वादा किया गया है.

बिहार का तेजस्वी प्रण’ शीर्षक वाले 32 पन्नों के इस घोषणा पत्र में गठबंधन ने कई लोकलुभावन वादे किए हैं, जिनमें हर परिवार से एक सदस्य को सरकारी नौकरी, पुरानी पेंशन योजना की बहाली और 200 यूनिट तक मुफ्त बिजली जैसी योजनाएं शामिल हैं.

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घोषणा पत्र में कहा गया है, "बिहार प्रोहिबिशन एंड एक्साइज एक्ट की समीक्षा की जाएगी और ताड़ी पर लगाया गया प्रतिबंध हटाया जाएगा. इस कानून के तहत जेलों में बंद दलितों और गरीब तबकों को तत्काल राहत दी जाएगी. ताड़ी और महुआ पर आधारित पारंपरिक व्यवसायों को मद्यनिषेध कानून के दायरे से बाहर किया जाएगा."

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पीढ़ियों से ताड़ी के पारंपरिक व्यवसाय पर निर्भर परिवार को फायदा

आरजेडी नेता और INDIA ब्लॉक के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार तेजस्वी यादव ने कहा कि यह कदम उन लोगों की आजीविका को फिर से बहाल करेगा जो पीढ़ियों से ताड़ी के पारंपरिक व्यवसाय पर निर्भर हैं. उन्होंने कहा, "जो समुदाय पीढ़ियों से ताड़ी के धंधे से जुड़ा है, उसके पास न खेती की जमीन है और न ही कोई दूसरा रोजगार. ऐसे में यह प्रतिबंध अन्यायपूर्ण है और इसे हटाना जरूरी है.”

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गरीब और दलित वर्ग के लोगों के कानून के तहत जेलों में बंद होने का दावा

बिहार में अप्रैल 2016 से शराबबंदी लागू है, जिसके तहत ताड़ी की बिक्री और सेवन पर भी रोक है. हाल के वर्षों में इस कानून को लेकर कई बार सवाल उठाए गए हैं, क्योंकि बड़ी संख्या में गरीब और दलित वर्ग के लोग इस कानून के तहत जेलों में बंद हैं.

वाम दलों के नेता और सीपीआई (एमएल) लिबरेशन के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने भी हाल ही में इस कानून को "ढोंग" करार दिया था और कहा था कि अगर INDIA ब्लॉक सत्ता में आता है, तो इस कानून की "गंभीर समीक्षा" की जाएगी.

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