यह
हफ्ता भारत के स्वतंत्रता दिवस का है. 15 अगस्त 1947 को भारत ने अंग्रेजी
साम्राज्यवाद से आजादी पाई थी और एक संप्रभु राष्ट्र बना था. लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत 30
अक्टूबर 1945 से ही संयुक्त राष्ट्र का सदस्य है. यानी एक देश के तौर पर इसे
मान्यता आजादी से पहले ही मिल गई थी. बता दें कि दुनिया भर में राष्ट्रों को मान्यता देने का काम अंतरराष्ट्रीय संस्था
संयुक्त राष्ट्र (United Nations) का ही है. इस समय दुनिया में 193 देश हैं
जो संयुक्त राष्ट्र के सदस्य हैं और फलस्तीन और होली सी नामक दो देश इसके
ऑब्जर्वर हैं. अभी दुनिया में 54 ऐसे देश या क्षेत्र हैं, जिन्हें संयुक्त
राष्ट्र ने अपना सदस्य नहीं माना है. आज हम आपको दुनिया के 10 सबसे नए
देशों के बारे में बताने जा रहे हैं कि वे किस हाल में हैं. और इनकी क्या खासियत है.
इस लिस्ट में
कुल 13 देश हैं, लेकिन कई देशों को संयुक्त राष्ट्र में एक ही तारीख पर
सदस्यता मिली, इसलिए तारीख के अनुसार इनकी संख्या 10 ही ठहरती है. जवाहरलाल
नेहरू विश्वविद्यालय में सेंटर फॉर इंटरनेशनल पॉलिटिक्स में एसोसिएट
प्रोफेसर मौसमी बसु कहती हैं कि राष्ट्रों को मान्यता देने का काम संयुक्त
राष्ट्र का है. किसी मुल्क के लोग आपस में यह तय तो कर सकते हैं कि उन्हें
साथ रहना है या नहीं. लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संबंध स्थापित करने,
अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं का सदस्य बनने और वैश्विक मदद, अभियानों या कई
शर्तों का लाभ उठाने के लिए उन देशों का UN का सदस्य होना भी जरूरी है.
दुनिया का दूसरा सबसे छोटा देश मोनाको (28 May 1993 )
मोनाको यूरोपियन यूनियन में शामिल पश्चिमी यूरोप का देश है. भूमध्य सागर और फ्रांस से लगे इस देश की आबादी करीब 38 हजार है. दुनिया की सबसे महंगी जगहों पर शुमार इस देश का क्षेत्रफल केवल 2.1 वर्ग किमी है. यह वेटिकन सिटी के बाद दुनिया का दूसरा सबसे छोटा और यूरोप का सबसे छोटा संप्रभु देश है. विश्व प्रसिद्ध मोंटे कार्लो इसी देश का एक जिला है. यहां अधिकतर रोमन कैथोलिक धर्म को मानने वाले लोग हैं. इस देश में संवैधानिक राजतंत्र है. मोनाको को 1993 में संयुक्त राष्ट्र ने अपना सदस्य बनाया.
यह देश अपने पर्यटक स्थलों, अच्छी जलवायु, खूबसूरत दृश्यों और गैंबलिंग के लिए जाना जाता है. यह देश बैंकिंग सिस्टम और टैक्स हेवन होने के लिए भी चर्चित है. मोनाको के पास अपनी नेवी या एयरफोर्स नहीं है, लेकिन प्रति व्यक्ति पर यहां दुनिया में सबसे ज्यादा पुलिस कर्मचारी (36 हजार लोगों पर 515 पुलिसकर्मी) हैं.
मोनाको का प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद (GDP) दुनिया में सबसे ज्यादा है. साथ ही प्रति व्यक्ति अरबपति भी सबसे ज्यादा हैं. यहां की करीब 30 फीसदी आबादी काफी अमीर है. यहां के लोगों को इनकम टैक्स भी नहीं देना पड़ता है. छोटा देश होने की वजह से गरीबी और बेरोजगारी की दर भी काफी कम है. यहां फ्रांस और इटली से करीब 50 हजार लोग रोज नौकरी करने आते हैं. मोनाको स्पोर्ट्स कार की रेसिंग के लिए भी दुनिया भर में प्रसिद्ध है.
(सभी फोटो: Getty Images)
एरट्रिया- 10 साल में बना दुनिया की सबसे तेज GDP वाला देश (28 May 1993)
संयुक्त
राष्ट्र ने 1952 में एरट्रिया को इथियोपियन फेडरेशन के तहत स्वायत्त
क्षेत्र की मंजूरी दे दी थी. हालांकि, इथियोपिया ने जब इसके दस साल बाद
1962 में हैली सेलासी के शासनकाल में इस क्षेत्र को एक साथ जोड़ दिया तो
यहां भीषण गृहयुद्ध छिड़ गया जो करीब 30 साल तक जारी रहा. इसके बाद 1991
में एरट्रियन पीपल्स लिबरेशन फ्रंट (EPLF) ने इथियोपिया की सेना को खदेड़
दिया. 27 अप्रैल 1993 को जनमत संग्रह के बाद इसे स्वतंत्र देश घोषित कर
दिया गया. हालांकि, आजादी के बाद इसके इथियोपिया के साथ कई संघर्ष हुए.
एरट्रिया
लाल सागर और सूडान से लगा हुआ पूर्वी अफ्रीका का देश है. इसका क्षेत्रफल
करीब 1.17 लाख वर्ग किमी है. एरट्रिया में काफी भिन्नता में जीव-जंतु पाये
जाते हैं. यहां पक्षियों की करीब 560 प्रजातियां हैं. यहां की आबादी करीब
60 लाख है. एरट्रिया बहुभाषीय और बहुजातीय विशेषता वाला देश है. यहां कम से
कम नौ संगठित जातीय समूह निवास करते हैं जिसमें से करीब 63 फीसदी आबादी
ईसाइयत और 35 फीसदी आबादी इस्लाम को मानने वालों की है. ह्यूमन राइट वॉच
(2006) के अनुसार यहां की सरकार का मानवाधिकार हनन के मामले में काफी खराब रिकॉर्ड है. एरट्रिया में लोगों को सेना में अनिवार्य सेवा देनी
होती है जो करीब 6-7 साल तक चलती है. एरट्रिया के पास अफ्रीका में सबसे
बड़ी सेना है. यहां मीडिया सरकार के नियंत्रण में है.
यहां की
अर्थव्यवस्था सोना, चांदी और सीमेंट उत्पादन और खनिज खानों में विदेशी
निवेश पर निर्भर है. खेती का भी अर्थव्यवस्था में एक तिहाई योगदान है, जो
70 फीसदी रोजगार भी मुहैया कराती है. एरट्रिया और इथियोपिया के बीच युद्ध
ने 1999 में (1 फीसदी जीडीपी) इसकी अर्थव्यवस्था को रसातल में पहुंचा दिया
था, लेकिन 2011 में यह दुनिया में सबसे तेज गति से बढ़ने वाली जीडीपी (8.7
फीसदी) हो गई थी.
छोटा सा देश एंडोरा जहां सबसे लंबी उम्र जीते हैं लोग (28 July 1993)
एंडोरा
आइबीरियन प्रायद्वीप का देश है, जिसकी सीमा के एक ओर फ्रांस और दूसरी ओर
स्पेन है. एंडोरा यूरोप का छठा सबसे छोटा देश है. इसका क्षेत्रफल 468 वर्ग
किमी है. यहां की आबादी करीब 77 हजार है. करीब 90 फीसदी आबादी कैथोलिक है.
क्षेत्रफल के हिसाब से यह दुनिया का 16वां सबसे छोटा और आबादी के हिसाब से
11वां सबसे छोटा देश है.
एंडोरा की आय का प्रमुख साधन पर्यटन है. यह
यूरोपियन यूनियन का हिस्सा नहीं है पर यहां मुद्रा के तौर पर यूरो ही चलता
है. यह 1993 में संयुक्त राष्ट्र का सदस्य बना था. 2013 में एंडोरा में औसत
इंसानी उम्र (81 साल) दुनिया में सबसे ज्यादा आंकी गई थी.
एंडोरा
में दो राष्ट्र प्रमुखों का सिद्धांत है जिसमें एक फ्रांस का राष्ट्रपति
और एक बिशप ऑफ उरगैल रहता है. पर्यटन और बैंकिंग सेक्टर यहां की
अर्थव्यवस्था का आधार है. पर्यटन जीडीपी में 80 फीसदी का और बैंकिंग सेक्टर
20 फीसदी का योगदान देता है. पर्यटक यहां ड्यूटी फ्री सामान और स्की जैसे
खेलों की वजह से आकर्षित होते हैं. यह विंटर स्पोर्ट्स के लिए भी प्रसिद्ध
है. यह एक टैक्स हेवन देश है. यहां की केवल 5 फीसदी ही जमीन खेती करने लायक
है और खाने की ज्यादातर चीजें आयात करनी पड़ती हैं. यहां पर बेरोजगारी भी
काफी कम है. एंडोरा में कोई एयरपोर्ट नहीं है, लेकिन हेलिपोर्ट हैं. नजदीकी
एयरपोर्ट फ्रांस और स्पेन में हैं. एंडोरा सभी घरों को डायरेक्ट ऑप्टिकल
फाइबर लिंक देने वाला पहला देश (2010 में) भी है.
पलाऊ- जहां औरतें चलाती हैं देश को (15 December 1994)
पलाऊ
भौगोलिक तौर पर वेस्टर्न प्रशांत महासागर में लार्जर माइक्रोनीजिया द्वीप
का हिस्सा है. यह यहां का सबसे कम आबादी वाला देश है. इसके करीब 250
द्वीपों में 21 हजार से कुछ ज्यादा लोग ही रहते हैं. यह 1 अक्टूबर 1994 को
स्वतंत्र हुआ जब 15 साल बाद इसने सांस्कृतिक और भाषाई भिन्नता की वजह से
माइक्रोनीजिया का हिस्सा बने रहने से इनकार कर दिया.
पलाऊ के दूसरे
विश्व युद्ध के बाद से ही अमेरिका के साथ अच्छे संबंध रहे हैं. 2009 में
इसने गुअंतानामो बे से पकड़े गए 6 उइगुर मूल के लोगों को अपने यहां रखना
स्वीकार किया था. इस पर काफी विवाद भी हुआ था. यह पैसिफिक आईलैंड के सबसे
अमीर देशों में से एक है और इसका मुख्य व्यवसाय पर्यटन है. इस देश की अनोखी
बात यह है इसके समाज और राजनीति में मुख्य संचालन महिलाओं के हाथ में है.
महिलाएं ही पुरुषों को अपने प्रतिनिधि के तौर पर चुनती हैं. इस देश का
क्षेत्रफल 495 वर्ग किमी है और आबादी करीब 18000 है. अधिकांश लोग रोमन
कैथोलिक हैं.
पलाऊ
आधिकारिक तौर पर अपने 80 फीसदी जल संसाधनों को संरक्षित करने वाला दुनिया
का पहला देश है. इस कदम से दो साल से भी कम समय में पलाऊ की अर्थव्यवस्था
में बड़ा उछाल आया. पलाऊ की अपनी स्वतंत्र सेना नहीं है लेकिन एक समझौते के
तहत अमेरिकी सेना पलाऊ को सुरक्षा देती है और उसकी नेवी को यहां 50 साल
तक रहने का हक भी मिला है. एमिशंस डेटाबेस ऑर ग्लोबल एटमॉसफेरिक रिसर्च के
2018 के अनुमान के मुताबिक पलाऊ में प्रति व्यक्ति कार्बन डाईक्साइड का
उत्सर्जन दुनिया में सबसे ज्यादा (58 टन) था. इसकी बड़ी वजह यातायात के
वाहनों से निकलने वाला धुआं था. इस देश में समुद्री तूफानों, भूकंपों और
ज्वालामुखियों का खतरा अक्सर बना रहता है. पलाऊ में 2009 मेंदुनिया की पहली
शार्क सैंक्चरी भी बनाई गई थी.
समुद्र में समाने वाला दुनिया का पहला देश होगा किरबास (14 September 1999)
किरिबास
मध्य प्रशांत सागर में बसा एक देश है. यहां की आबादी 1.1 लाख से ज्यादा
है. यहां की आधी आबादी राजधानी तरावा पर रहती है. किरिबास को 1979 में
ब्रिटेन से आजादी मिली. 20 साल बाद 1999 में यह संयुक्त राष्ट्र का
पूर्णकालिक सदस्य देश बना. इसके अलावा यह पैसिफिक कम्युनिटी, कॉमनवेल्थ
नेशंस, IMF और विश्व बैंक का सदस्य भी है.
किरबास मुख्य तौर
पर नारियल और मछली निर्यात करता है. इसकी अर्थव्यवस्था वित्तीय सहयोग और
फिशिंग लाइसेंस पर निर्भर है. आजादी के बाद इस देश को मदद देने वाले देश
यहां जनसंख्या बढ़ने की समस्या उठाते रहते हैं. किरबास दुनिया का पहला ऐसा
देश बनने जा रहा है जो ग्लोबल वॉर्मिंग के चलते पूरा डूब जाएगा. किरबास के
राष्ट्रपति Anote Tong ने 2008 में कहा था, 'इससे दुखद और कुछ नहीं हो सकता
कि हम उस दिन की तैयारी करें जब हमारे पास अपना देश नहीं रहेगा. हम ऐसे
मोड़ पर पहुंच गए हैं जहां से वापस नहीं लौटा जा सकता.'
2008 में किरबास ने न्यूजीलैंड और
ऑस्ट्रेलिया से अपील की थी कि वे किरबास के नागरिकों को स्थायी शरणार्थी
बना लें. 2012 में रिपोर्ट्स आई थीं कि किरबास सरकार ने 2200 हेक्टेयर क्षेत्रफल का फिजी का
दूसरा सबसे बड़ा द्वीप Vanua Levu खरीदा था. इसे किरबास सरकार की लोगों को
वहां बसाने की तैयारी के तौर पर देखा गया था. 2013 में राष्ट्रपति Anote
Tong से लोगों से अपील की थी कि वे अपना घर छोड़कर कहीं और बस जाएं. 2014
में राष्ट्रपति कार्यालय ने माना कि Vanua Levu पर 5460 हेक्टेयर जमीन
खरीदी गई है.
टोंगा- जिसकी दोगुनी आबादी विदेशों में रहती है (14 September 1999)
टोंगा
साउथ पैसिफिक ओशन का एक देश है. यह फिजी, फ्रांस और न्यूजीलैंड से घिरा
हुआ है. टोंगा में 169 द्वीप हैं जिनमें से 36 पर लोग रहते हैं. इसका
क्षेत्रफल 750 वर्ग किमी है. यहां की आबादी 1 लाख से कुछ ही ज्यादा है.
लेकिन यहां की करीब इससे दो गुनी आबादी विदेश में रहती है.
यहां
पर संसदीय राजतंत्र का चलन है. टोंगा ने 1970 में कॉमनवेल्थ जॉइन किया
लेकिन ब्रिटेन के बजाए अपनी राजशाही के तहत. 1999 में यह संयुक्त राष्ट्र
का सदस्य बना. टोंगा में शिक्षा और स्वास्थ्य लोगों को लगभग मुफ्त या कम
दरों पर उपलब्ध है. टोंगा में विदेशी जमीन नहीं खरीद सकते हैं, हां लीज पर
ले सकते हैं.
टोंगा की सरकार ने राजकोष भरने के लिए पिछले कुछ
समय में ऐसे फैसले लिए जिनका देश में विरोध हुआ. इसमें अपने देश में
न्यूक्लियर वेस्ट लाने की इजाजत देना, टोंगा का परमानेंट पासपोर्ट बेचना,
विदेशी जहाजों का पंजीकरण करना जैसे कदम शामिल हैं. सरकार ने इन कदमों का
विरोध करने वाले मीडिया की आवाज को दबाने के लिए लाइसेंस देने के नियमों
में भी बदलाव किया. काफी अशांत रहे देश में सत्ता की उठापटक के बीच 2006
में विद्रोह भी भड़का. बाद में राजशाही के अधिकारों को कम करने पर ही यह
शांत हुआ. इस विद्रोह में चीन मूल के व्यापारियों को भी निशाना बनाया गया
था.
टोंगा में अधिकतर हैंडीक्राफ्ट का काम या छोटे स्तर की
फैक्ट्री ही हैं. इसका जीडीपी में केवल 3 फीयदी योगदान है. इसकी
अर्थव्यवस्था मुख्य तौर पर विदेशों में रह रहे नागरिकों के धन भेजने पर
निर्भर है. टोंगा के मूल निवासी न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका में
रहते हैं. 2007 में संसद से इन्हें दोहरी नागरिकता रखने की इजाजत मिल गई
है. फोर्ब्स मैगजीन ने 2008 में इसे दुनिया का छठा सबसे भ्रष्ट देश बताया
था. यूरोमनी ने 2011 में इसे दुनिया का 165वां सबसे सेफ इनवेस्टमेंट
डेस्टिनेशन करार दिया था. टोंगा में अभी पर्यटन पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया
गया है. इस क्षेत्र में काफी संभावनाएं हैं.
यहां
रोजगार का मुख्य साधन खेती और फिशरीज है. टोंगा की करीब 99 फीसदी आबादी
साक्षर है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक यहां की करीब 90 फीसदी आबादी
ओवरवेट और 60 फीसदी आबादी ओबीज (BMI के आधार पर) है.
दुनिया का सबसे छोटा गणतंत्र नाऊरू जो खनन से हुआ बर्बाद (14 September 1999)
नाऊरू
सेंट्रल पैसिफिक में ओशिनिया का सब रीजन है. नाऊरू का क्षेत्रफल 21 वर्ग
किमी है. यह वेटिकन सिटी और मोनाको के बाद दुनिया का तीसरा सबसे छोटा देश
है. यह दुनिया का सबसे छोटा गणतंत्र भी है. यहां की आबादी 10 हजार से कुछ
ही ज्यादा है. आबादी के मामले में यह वेटिकन सिटी के बाद दूसरा सबसे छोटा
देश है.
नाऊरू एक फॉस्फेट रॉक आइलैंड है. इसके खनन से देश को
काफी नुकसान पहुंचा. हालांकि, अब यहां फॉस्फेट का भंडार खत्म हो चुका है.
खनन ने इस देश को किसी लायक नहीं छोड़ा, न रहने के और न ही खेती करने के लिए.
देश की करीब 80 फीसदी भूमि को नुकसान पहुंचा दिया है. एक अनुमान के मुताबिक
खनन से निकलने वाले गाद और अपशिष्ट ने करीब 40 फीसदी समुद्री वनस्पति और
जीवों को भी खत्म करने का काम किया. यहां पर ताजे पानी के स्रोत भी काफी कम
हैं और लोग छतों पर लगे टैंकों में रेन वॉटर को जमा करते हैं.
1970
के दशक में नाऊरू की जीडीपी सऊदी अरब के बाद दूसरे नंबर पर थी. पर 1980 के
दशक में खनन के चौपट होने के बाद यहां की हालत खराब होती चली गई. 1990 के
दशक में अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए नाऊरू टैक्स हेवन और गैरकानूनी मनी
लॉन्ड्रिंग का केंद्र बन गया. यहां बेरोजगारी की दर करीब 23 फीसदी है.
करीब 95 फीसदी रोजगार सरकारी नौकरियों से मिलता है. यहां साक्षरता दर करीब
96 फीसदी है.
नाऊरू में दैनिक अखबार नहीं छपते हैं. पाक्षिक
(15 दिन में छपने वाला) प्रकाशन जरूर है. यहां एक सरकारी टीवी चैनल और
सरकारी रेडियो चैनल है. इन पर भी न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया और बीबीसी के
कार्यक्रमों के प्रसारण होते रहते हैं. नाऊरू में औसत आयु करीब 64 साल है.
यहां पर दुनिया के सबसे ज्यादा ओवरवेट (BMI के अनुसार) लोग पाए जाते हैं.
करीब 97 फीसदी पुरुष और 93 फीसदी महिलाएं ओवरवेट या ओबीज हैं. यहां पर टाइप
2 डाइबिटीज की दर दुनिया में सबसे ज्यादा है. इससे देश की करीब 40 फीसदी
आबादी पीड़ित है. इसके अलावा किडनी और दिल की बीमारी से भी काफी लोग पीड़ित
हैं.
तुवालू- ऐसा देश जहां अपराध नहीं के बराबर और सेना पर फूटी कौड़ी खर्च नहीं होती (5 September 2000)
तुवालू पैसिफिक ओशन में बसा एक द्वीपीय देश है. यह हवाई से ऑस्ट्रेलिया जाने के बीच में पड़ता है. यहां की आबादी 11 हजार से कुछ ज्यादा है. इसका क्षेत्रफल 26 वर्ग किमी है. यह दुनिया का चौथा सबसे छोटा देश है. तुवालू कॉमनवेल्थ के तहत 1978 के एक संप्रभु और स्वतंत्र देश बना. 2000 में यह संयुक्त राष्ट्र का सदस्य बना.
तुवालू में संसदीय संवैधानिक राजशाही शासन प्रणाली है. ब्रिटिश महारानी यहां के प्रधानमंत्री की सलाह पर एक गवर्नल जनरल को अपने प्रतिनिधि के तौर पर चुनती हैं. तुवालू के पास अपनी नियमित सेना नहीं है. यह देश सेना पर कोई खर्च नहीं करता है. हां, इसकी राष्ट्रीय पुलिस और मैरिटाइम सर्विलांस यूनिट हैं. तुवालू के समाज में अपराध की समस्या नहीं है. इसकी वजह यहां का न्याय तंत्र और सामाजिक संस्थाएं हैं. इन संस्थाओं में समाज के वरिष्ठों को जगह दी जाती है जो समाज को गलत राह पर जाने से रोकने का काम करते हैं.
तुवालू में किसी भी धर्म को मानने, पालन करने या अपनाने की स्वतंत्रता है. शिक्षण संस्थानों में धर्म से प्रभावित शिक्षा देने पर रोक है. यहां अनिवार्य शिक्षा के नियम की वजह से साक्षरता दर 99 फीसदी है. तुवालू में जो बच्चे 8वीं से ऊपर नहीं पढ़ पाते हैं उनके लिए वोकेशनल ट्रेनिंग कोर्स रहते हैं. इन्हें पास करके वो तुवालू मैरिटाइम ट्रेनिंग इस्टीट्यूट में एडमिशन ले सकते हैं.
यहां रोजगार का 65 फीसदी हिस्सा सरकारी नौकरियों से आता है. ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में काम करने वाले नागरिकों के भेजे पैसे यहां की आय का मुख्य स्रोत हैं. नारियल की खेती और फिशिंग भी यहां रोजगार और कमाई का जरिया है. सरकार भी फिशिंग लाइसेंस से कमाई करती है. सुदूर क्षेत्र होने के कारण यहां पर्यटक काफी कम संख्या में आते हैं.
एक शोध के मुताबिक बढ़ते समुद्र जलस्तर की वजह से अगले 100 साल में यहां पर रहना मुश्किल हो जाएगा. तुवालू के पीएम Enele Sopoaga ने 2015 में यूनाइडेट नेशंस क्लाइमेट चेंज कॉन्फ्रेंस में यूरोपीय देशों से जलवायु परिवर्तन पर ध्यान देने की अपील की थी और कहा था कि अगर तापमान और बढ़ा तो हम नहीं बचेंगे.
सर्बिया- दुनिया का सबसे बूढ़ा मुल्क ( 1 November 2000)
सर्बिया
और मोंटेनेगरो 1991 में यूगोस्वालिया से टूटकर अलग हुआ. 2003 में यह स्टेट
यूनियन ऑफ सर्बिया एंड मोंटेनेगरो बना और 2006 में एक जनमत संग्रह के बाद
मोंटेनेगरो के 55 फीसदी लोगों ने सर्बिया से अलग होना तय किया. सर्बिया का
क्षेत्रफल करीब 78 हजार वर्ग किमी (कोसोवो के बिना) है और इसका 30 फीसदी
हिस्सा जंगलों से ढका है. यहां की आबादी कोसोवो के बिना करीब 70 लाख है.
यहां की अर्थव्यवस्था की स्थिति ठीक है और उच्च-मध्य आय वर्ग के लोग ज्यादा
हैं. हालांकि यहां बेरोजगारी की दर करीब 12 फीसदी है. यहां विदेशी निवेशक
अच्छी मात्रा में आकर्षित होते हैं. कृषि यहां का मुख्य व्यवसाय है. सर्बिया
में हर साल करीब 23 करोड़ लीटर वाइन बनती है.
सर्बिया
सेंट्रल यूरोप और साउथईस्ट यूरोप के मुहाने पर बसा लैंडलॉक्ड (चारों ओर से
जमीन से घिरा या बिना समुद्री सीमा वाला) देश है. इसके चारों ओर हंगरी,
रोमानिया, बुल्गारिया, क्रोएशिया और बोस्निया जैसे देश हैं. इसकी राजधानी
बेलग्रेड साउथईस्ट यूरोप के सबसे बड़े और पुराने शहरों में से एक है.
सर्बिया
यूरोपियन यूनियन में शामिल होने की कोशिश कर रहा है. सर्बिया अपने
नागरिकों के लिए सरकारी स्वास्थ्य, शिक्षा और पेंशन की व्यवस्था करता है.
ह्यूमन डेवलपमेंट इंडेक्स (2015 में 63वां), सोशल प्रोगेस इंडेक्स (2017
में 45वां) और ग्लोबल पीस इंडेक्स (2018 में 50वां) में सर्बिया को अच्छी
रैंकिंग मिलती है. यहां साक्षरता दर करीब 98 फीसदी है.
सर्बिया
यूरोप के उन चुनिंदा देशों में शामिल है, जहां प्राकृतिक आपदाओं- भूकंप,
बाढ़, सूखा और तूफान का खतरा ज्यादा है. सर्बिया काफी समृद्ध पारिस्थिति और जीव विविधता वाला देश है. हालांकि, खनन और पेट्रोकेमिकल इंडस्ट्री से
होने वाले वायु प्रदूषण से भी परेशान है.
सर्बिया में 1990 के
दशक के बाद से मृत्यु दर हमेशा जन्म दर पर हावी रही है. यही वजह है कि यह
दुनिया के सबसे बूढ़े मुल्कों में से एक है, जिसकी आबादी की औसत उम्र करीब 43
साल है. इसके हर पांचवें परिवार में केवल एक सदस्य है.
सर्बिया की
अर्थव्यवस्था नौकरीपेशाओं पर आधारित है जो जीडीपी का करीब 68 फीसदी है.
इंडस्ट्री का जीडीपी में करीब 26 फीसदी का योगदान है. यह प्राकृतिक ईंधन और
ऊर्जा का बड़ा निर्यातक है. सर्बिया दुनिया में रसबेरीज और प्लम का दूसरा
सबसे बड़ा निर्यातक देश है. यह यूरोपियन यूनियन का सबसे बड़ा फ्रोजन फ्रूट
निर्यातक देश भी है. सर्बिया का खेलों में भी अच्छा नाम है. सर्वकालिक महान
टेनिस खिलाड़ियों में शुमार नोवाक जोकोविच इसी देश के खिलाड़ी हैं.
स्विट्जरलैंड- जहां सबसे ज्यादा जीते हैं इंसान (10 September 2002)
स्विट्जरलैंड
दुनिया के सबसे चर्चित देशों में से एक है. यह सेंट्रल यूरोप में आल्पस की
पहाड़ियों से घिरा हुआ देश है. यहां के ग्लेशियर, नदियां और झीलें इसकी
खूबसूरत वादियों में चार चांद लगाते हैं साथ ही पूरे यूरोप को पानी भी
देते हैं. स्विट्जरलैंड में करीब 1500 झीलें हैं और यहां यूरोप के 6 फीसदी
ताजा पानी के स्रोत भी हैं. देश में स्विस पठार वाला उत्तरी हिस्सा उर्वर है.
यहां देश की 30 फीसदी आबादी रहती है. यह दुनिया का सबसे तेजी से गांवों को शहरों में बदलने वाला देश है. यहां के अधिकांश गांव बीते 70 साल में शहर बन चुके हैं.
इसके
पड़ोसी मुल्क इटली, फ्रांस, जर्मनी और ऑस्ट्रिया हैं. इसका क्षेत्रफल 41
हजार वर्ग किमी है. यहां की आबादी 85 लाख है. यहां दुनिया में दूसरी सबसे
उम्रदराज (औसतन 42.5 साल) आबादी रहती है. यहां स्वास्थ्य सुविधाएं प्राइवेट
कंपनियों के हाथ में हैं और हेल्थ इंश्योरेंस खरीदना होता है.
स्विट्जरलैंड के निवासियों की औसत उम्र दुनिया में सबसे लंबी होती है. 2012
में यहां पुरुषों की औसत जिंदगी 80.4 साल और महिलाओं की 84.7 साल आंकी गई थी.
स्विट्जरलैंड
निरस्त्रीकरण का समर्थक है और इसने 1815 के बाद से कोई युद्ध नहीं लड़ा.
लेकिन मजेदार बात यह है कि यहां के करीब 29 फीसदी लोगों के पास हथियार हैं.
यह देश संयुक्त राष्ट्र में 2002 में शामिल हुआ. यहां कई अंतरराष्ट्रीय
संस्थाओं के दफ्तर हैं जिनमें फीफा, संयुक्त राष्ट्र का जेनेवा ऑफिस, बैंक
ऑफ इंटरनेशनल सैटलमेंट, रेड क्रॉस आदि शामिल हैं.
इस देश में यूरोप के जर्मनी और रोम की साझी संस्कृति देखने को मिलती है. यहां जर्मन,
फ्रेंच, इटैलियन और रोमांश भाषाएं बोली जाती हैं. यह दुनिया के सबसे विकसित
देशों में से एक है. यहां प्रति वयस्क संपत्ति भी दुनिया में सबसे ज्यादा
है. यह देश मानव विकास से लेकर उचित आर्थिक माहौल देने के सूचकांकों में
शीर्ष पर रहता है. इसके जेनेवा, ज्यूरिक, बासल जैसे शहर दुनिया में रहने की
सबसे मुफीद जगहें मानी जाती हैं.
स्विट्जरलैंड एक समृद्ध
अर्थव्यवस्था होने के साथ ही सबसे कम भ्रष्ट देश भी है. यहां के बैंकिंग
सिस्टम और टैक्स हेवन होने का लाभ भी इसकी अर्थव्यवस्था को मिला है. यहां
की घड़ियों की दुनिया भर में मांग है. यहां कई मल्टीनेशनल कॉर्पोरेशन के
दफ्तर हैं, जिनका रेवेन्यू भी इस देश के खाते में आता है. मैन्युफैक्चरिंग
में केमिकल, हेल्थ और फार्मास्युटिकल कंपनियों का बड़ा नाम है. सर्विस
सेक्टर में बैंकिंग, इंश्योरेंस और टूरिज्म काफी आगे है. यहां पर करीब 50
लाख लोग काम करते हैं और बेरोजगारी की दर करीब 2.5 फीसदी है. यहां पर 10
में से केवल 1 नौकरी ही लो-पेड मानी जाती है.
स्विट्जरलैंड ने दुनिया को अल्बर्ट
आइंस्टाइन जैसे वैज्ञानिक और रूसो जैसे दार्शनिक दिए हैं. इस देश ने अब तक
114 नोबेल पुरस्कार जीते हैं. विकसित देशों में स्विट्जरलैंड का रिकॉर्ड
पर्यावरण के मामले में सबसे अच्छा रहा है. यहां पर पूरा बिजली उत्पादन लगभग
बिना कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जित किए होता है. विश्व प्रसिद्ध सर्वकालिक
महान टेनिस खिलाड़ी रोजर फेडरर और मार्टिना हिंगिंस भी इसी देश
से निकले हैं.
21वीं सदी का पहला संप्रभु देश ईस्ट तिमोर (27 September 2002)
ईस्ट
तिमोर यह 21वीं सदी का पहला संप्रभु देश बना और 2002 में संयुक्त राष्ट्र
का सदस्य बना. यह आसियान का 11वां सदस्य बना. ईस्ट तिमोर साउथईस्ट एशिया का
एक राष्ट्र है और इसका आकार एक मगरमच्छ की तरह है. यहां स्थानीय मान्यता
है कि इस देश के निवासी मगरमच्छों के ही वंशज हैं. कला और
खेलकूद में इस देश को महारत हासिल है. कई ऑस्ट्रेलियाई प्रोडक्शन हाउस यहां
फिल्मों, टीवी शो और डॉक्युमेंट्री की शूटिंग करते हैं. इस देश का
क्षेत्रफल 15 हजार वर्ग किमी है. यहां की आबादी करीब 12 लाख है.
यूरोप
के राष्ट्रवाद से पहले यहां से चंदन की लकड़ी, शहद और मोम का निर्यात
भारत, चीन और मलेशियाई देशों को होता था. दक्षिण एशिया में जिन जगहों पर
सबसे पहले इंसानी आमद हुई थी, ईस्ट तिमोर उनमें से एक है. यहां पुर्तगाली
और इंडोनेशिया की मिश्रित संस्कृति और कैथोलिक धर्म का प्रभाव देखने को
मिलता है. इस देश की आजादी का इतिहास काफी उथल पुथल भरा रहा है. 1975
में पुर्तगाल से इसे आजादी मिल गई थी लेकिन 9 दिन बाद ही इंडोनेशिया ने इस पर
कब्जा कर लिया था. दशकों के खूनी संघर्ष के बाद इसे 2002 में आजादी मिली.
यह देश तेल और गैस पर ज्यादा निर्भर है. साथ ही कॉफी, मसाले,
चंदन और मार्बल आदि का निर्यात करता है और पर्यटन पर भी काफी हद तक इसकी
निर्भरता है. यहां की करीब आधी आबादी गरीबी रेखा के नीचे है.
मोंटेनेगरो- 88 साल के बाद टूटकर बना देश (28 June 2006)
मोंटेनेगरो साउथईस्ट यूरोप का एक देश है. इसका क्षेत्रफल करीब 14 हजार वर्ग किमी है और यहां की आबादी 6.20 लाख से ज्यादा है. करीब 88 साल बाद यह मुल्क 2006 में सर्बिया से अलग हुआ. दोनों पहले यूगोस्लाविया के हिस्से थे. यह देश संयुक्त राष्ट्र का सदस्य होने के साथ ही NATO, वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गनाइजेशन और यूरोप के कई व्यापारिक संगठनों का सदस्य है. साथ ही यह यूरोपियन यूनियन में शामिल होने की दौड़ में भी है.
मोंटेनेगरो में जातीय विविधता देखने को मिलती है तो यहां विभिन्न धर्मावलंबी भी हैं. यहां करीब 75 फीसदी लोग ईसाई धर्म के मानने वाले हैं तो 20 फीसदी इस्लाम के मानने वाले भी हैं. मोंटेनेगरो की अर्थव्यवस्था सर्विस सेक्टर पर ही निर्भर है. यह सेक्टर देश की कुल जीडीपी में करीब 72 फीसदी का योगदान देता है. जीडीपी में करीब 18 फीसदी योगदान उद्योगों का है तो 10 फीसदी योगदान खेती का भी है. यह देश अपने यहां पर विदेशी निवेशकों को आकर्षित करने में सफल रहा है. पहाड़ों से घिसे इस देश में पर्यटक भी काफी संख्या में आते हैं.
साउथ सूडान- दुनिया की सबसे युवा आबादी वाला गरीब देश (14 July 2011)
साउथ सूडान ईस्ट-सेंट्रल अफ्रीका का एक देश है. इसे 2011 में सूडान से आजादी मिली. सूडान से आजादी के लिए यहां पर दो गृह युद्ध (1955-72 और 1983-2005) भी हुए. इसमें लाखों लोग मारे गए और उससे ज्यादा विस्थापित भी हुए. 2011 में हुए जनमत संग्रह में करीब 99 फीसदी लोगों ने सूडान से अलग होने का फैसला किया और तब साउथ सूडान का निर्माण हुआ. साउथ सूडान दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा वाइल्डलाइफ माइग्रेशन का केंद्र है. इस विविधतापूर्ण देश का इतिहास जातीय विद्रोह और गृह युद्ध का रहा है और इन्हें दबाने के लिए मानवाधिकारों का उल्लंघन भी काफी मात्रा में हुआ है. यह इलाका जातीय संहार और पत्रकारों की हत्या के लिए भी चर्चा में आता रहा है.
साउथ सूडान की आबादी करीब 1.2 करोड़ है. यह दुनिया में औसतन सबसे युवा उम्र वाला देश है जिसकी आधी आबादी 18 साल या इससे कम उम्र की है. नए बने देश में अभी शांति और समृद्धि का आना बाकी है. 2019 में संयुक्त राष्ट्र की वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट में इसे नीचे से तीसरी जगह मिली थी तो ग्लोबल पीस इंडेक्स में नीचे से दूसरी जगह.
यहां पर करीब 60 फीसदी लोग ईसाई धर्म के मानने वाले हैं तो करीब 33 फीसदी लोग पारंपरिक धार्मिक मान्यताओं के हैं. साउथ सूडान का क्षेत्रफल करीब 6.20 लाख वर्ग किमी है. साउथ सूडान अपनी सेना पर सबसे ज्यादा खर्च करने वाला (जीडीपी के अनुपात में) ओमान और सऊदी अरब के बाद तीसरे नंबर का देश है. सूडान में बाल विवाह की दर 52 फीसदी है. यहां बच्चों को सेना में भर्ती किया जाता है.
साउथ सूडान की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि पर निर्भर है. इसका शुमार आर्थिक रूप से सबसे पिछड़े देशों में किया जाता है. हालांकि, इसके पास पेट्रोलियम पदार्थों, कच्चे लोहे, सोना, चांदी, हीरा, तांबा, जिंक आदि के भंडार हैं. साउथ सूडान दुनिया को लकड़ी का निर्यात करता है. साउथ सूडान में गरीबी का आलम यह है कि इसकी 90 फीसदी आबादी एक डॉलर प्रतिदिन से कम खर्च पर गुजारा करती है.
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