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ऑक्सफोर्ड रिटर्न आतिशी ने कैसे बदली सरकारी स्कूलों की तस्वीर

aajtak.in
  • 13 फरवरी 2020,
  • अपडेटेड 10:37 AM IST
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आम आदमी पार्टी (AAP) को इस बार दिल्ली विधानसभा चुनाव में बंपर जीत मिली है. आप ने जहां 62 सीटें हासिल कीं, वहीं भाजपा को महज 8 सीटों में समेट दिया. आम आदमी पार्टी के सबसे चर्चित चेहरों में अतिश‍ी भी शुमार है. ऑक्सफोर्ड में पढ़ीं आतिशी के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने दिल्ली के सरकारी स्कूलों की तस्वीर बदली है. आइए जानें आतिशी  से जुड़ी खास बातें.

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मई 2019 में हुए आम चुनावों में भी आतिशी ने चुनाव लड़ा था लेकिन उन्हें शिकस्त का सामना करना पड़ा था. इस चुनाव में वो तीसरे स्थान पर रही थीं. AAP के लिए कई महत्वपूर्ण शिक्षा सुधारों का नेतृत्व करने के बावजूद पूर्वी दिल्ली निर्वाचन क्षेत्र चुनाव लड़ते हुए वो अपनी जमानत राशि भी नहीं बचा सकीं थीं.

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आतिशी के माता-पिता विजय सिंह और तृप्ता वाही दिल्ली यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर हैं. कार्ल मार्क्स और व्लादिमीर लेनिन के नामों के संयोजन से उन्हें मार्लेना सरनेम दिया गया.  बाद में उन्होने आतिशी मार्लेना नाम से सरनेम हटा दिया.

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आतिशी ने सेंट स्टीफंस कॉलेज से इतिहास में  ग्रेजुएशन किया है. 2003 में  मास्टर की पढ़ाई करने के लिए ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी गईं. आपको बता दें, आतिशी ने ही दिल्ली के सरकारी स्कूलों में "Happiness Curriculum" की शुरुआत की थी.  इस तरह की क्लास को खूब पसंद किया गया.

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आतिशी  ने पॉलिटिक्स में आने से पहले  कर्नाटक के  ऋषि वैली स्कूल में बच्चों को इतिहास पढ़ाया है. उस समय वह एक एनजीओ 'सांभवन इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक पॉलिसी' में भी शामिल थीं. उनकी रुचि एजुकेशन में नीति निर्धारण (policymaking) करना था.

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शिक्षा के क्षेत्र में उनके काम को देखते हुए वह आज दिल्ली के शिक्षा मंत्री की सलाहकार हैं. उनकी सलाह के तहत, एक नया नर्सरी पाठ्यक्रम शुरू किया गया है. शिक्षकों के लिए प्रशिक्षण सत्रों को दोगुना कर दिया गया है. अतिथि शिक्षकों (guest teacher) की नियुक्ति तेजी से की जा रही है और अभिभावक-शिक्षक मीटिंग को अनिवार्य बनाया जा रहा है.

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आतिशी  ने पहली बार दिल्‍ली विधानसभा चुनाव लड़ा और उसमें जीत भी हासिल की. उन्होंने कालकाजी सीट से आम आदमी पार्टी की ओर से चुनाव लड़ा. उनके खिलाफ  भाजपा उम्मीदवार धरमबीर सिंह खड़े थे, जिन्हें उन्होंने कड़ी टक्‍कर दी.

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आतिशी ने कालकाजी सीट पर उतार-चढ़ाव भरे मुकाबले में धरमबीर सिंह को 11393 मतों के अंतर से हराया. 2015 के चुनाव में भी यह सीट आम आदमी पार्टी के पास ही थी.

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आम आदमी पार्टी शिक्षा के क्षेत्र में किए गए कार्यों को खूब प्रचारित कर रही है. कहना गलत   न होगा कि शिक्षा के क्षेत्र में किए गए प्रयासों में आतिशी की मेहनत छिपी है.

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