भारत चीनी सरहद से सटे लद्दाख के इलाके में सड़क निर्माण का काम तेज करने जा रहा है. सरकार इस मद में 20 हजार करोड़ रुपये खर्च करेगी. इसकी जिम्मेदारी BRO यानी बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन को दी गई है. आइए जानते हैं कि क्या है बीआरओ, क्यों इसे दी जाती है बॉर्डर पर रोड बनाने की जिम्मेदारी. चीन और भारत मामले में क्या रहेगा इसका रोल.
सीमा सड़क संगठन (BRO) भारत के सीमावर्ती क्षेत्रों और मैत्रीपूर्ण पड़ोसी देशों में सड़क नेटवर्क का विकास और रखरखाव करता है. इसके मुख्य या यूं कहें पैरेंट कैडर में बॉर्डर रोड्स इंजीनियरिंग सर्विस (BRES) के अधिकारी और जनरल रिजर्व इंजीनियर फोर्स (GREF) के कर्मी होते हैं.
बीआरओ देश में 32,885 किलोमीटर सड़कों और लगभग 12,200 मीटर स्थायी पुलों का संचालन और रखरखाव करता है. वर्तमान में, बीआरओ रोहतांग दर्रे पर एक सुरंग बना रहा है, जो 2020 सितंबर तक तैयार होने का अनुमान है.
बोर्ड भारत सरकार के एक विभाग की वित्तीय और अन्य शक्तियों का उपयोग करता है और इसकी अध्यक्षता रक्षा राज्य मंत्री (आरआरएस) द्वारा की जाती है. अन्य में, सेना और वायु कर्मचारी के प्रमुख, इंजीनियर-इन-चीफ, महानिदेशक सीमा सड़क (DGBR), FA (DS) BRDB के सदस्य हैं.
बोर्ड के सचिव भारत सरकार के संयुक्त सचिव की शक्तियों का प्रयोग करते हैं. BRO का कार्यकारी प्रमुख DGBR होता है जो लेफ्टिनेंट जनरल का पद रखता है. सीमा संपर्क को बढ़ावा देने के लिए, सीमा सड़क संगठन को पूरी तरह से रक्षा मंत्रालय के अधीन लाया गया है. बता दें कि पहले इसे सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय से फंड मिलता था.
भारत और चीन के बीच बॉर्डर पर शांतिबहाली की कोशिशों के बीच भारत ने बीआरओ को ये बड़ी जिम्मेदारी सौंपने की बात कही है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार सुबह बॉर्डर पर जारी सड़क निर्माण और अन्य निर्माण को लेकर रिव्यू बैठक की.
एक सूत्र ने आजतक/इंडिया टुडे से कहा, कुल 30 स्थायी पुल निर्माणाधीन हैं और सड़क इंफ्रास्ट्रक्चर पर लगभग 20 हजार करोड़ रुपये खर्च होंगे जिनमें कई हाइवे और सुरंगों के निर्माण भी शामिल हैं. सूत्र ने कहा कि लद्दाख के इलाके में हालिया स्थिति को देखते हुए काफी कम वक्त में सड़कों का काम पूरा कर लेने का लक्ष्य है.