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सिंधु जल समझौते से ऐसे बंटा है भारत-PAK में 6 नदियों का पानी

मोहित पारीक
  • 29 अगस्त 2018,
  • अपडेटेड 8:14 AM IST
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भारत और पाकिस्तान के बीच स्थायी सिंधु आयोग (पीआईसी) की दो दिवसीय बैठक होने जा रही है. 29 और 30 अगस्त को होने वाली इस बैठक में सिंधु जल समझौते के तहत विभिन्न मसलों पर बातचीत होगी. पाकिस्तान में इमरान खान की नई सरकार आने के बाद एकबार फिर दोनों देश इस मसले पर चर्चा करने वाले हैं. ऐसे में पहले जान लेते हैं आखिर ये समझौता क्या है...

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सिंधु जल संधि को दो देशों के बीच जल विवाद पर एक सफल अंतरराष्ट्रीय उदाहरण बताया जाता है. साथ ही इससे पाकिस्तान और हिंदुस्तान में काफी प्रोजेक्ट चलाए जा रहे हैं और सिंचाई हो रही है. भारत और पाकिस्तान के बीच कई मुद्दों पर तनाव रहता है, लेकिन यह समझौता अभी भी बरकरार है, जिसके कई भौगोलिक कारण भी हैं.

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भारत 1947 में आजाद हुआ और आजादी के बाद से पानी को लेकर विवाद शुरू हो गया. 1948 में भारत ने पानी रोक दिया था, जिससे पाकिस्तान में दिक्कत शुरू हो गई. उसके बाद एक समझौते के साथ पानी की आपूर्ति शुरू हुई.

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उसके बाद साल 1949 में एक अमेरिकी विशेषज्ञ डेविड लिलियेन्थल ने इस समस्या को राजनीतिक स्तर से हटाकर टेक्निकल और व्यापारिक स्तर पर सुलझाने की सलाह दी. लिलियेन्थल ने विश्व बैंक से मदद लेने की सिफारिश भी की. सितंबर 1951 में विश्व बैंक के अध्यक्ष यूजीन रॉबर्ट ब्लेक ने मध्यस्थता करना स्वीकार किया.

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करीब 10 साल तक बैठकों का दौर चलता रहा और सालों तक बातचीत चलने के बाद 19 सितंबर 1960 को भारत और पाकिस्तान के बीच जल पर समझौता हुआ. इसे ही 1960 की सिन्धु जल संधि कहते हैं.

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संधि पर भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति अयूब खान ने रावलिपिंडी में दस्तखत किए. 12 जनवरी 1961 से संधि की शर्तें लागू कर दी गईं. और इस तरह दोनों देशों के बीच एक बड़ा झगड़ा शांत हुआ.

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इस संधि के तहत 6 नदियों के पानी का बंटवारा तय हुआ, जो भारत से पाकिस्तान जाती हैं. 3 पूर्वी नदियों (रावी, व्यास और सतलज) के पानी पर भारत का पूरा हक दिया गया. बाकी 3 पश्चिमी नदियों (झेलम, चिनाब, सिंधु) के पानी के बहाव को बिना बाधा पाकिस्तान को देना था. संधि में तय मानकों के मुताबिक भारत में पश्चिमी नदियों के पानी का भी इस्तेमाल किया जा सकता है.

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समझौते के मुताबिक पूर्वी नदियों का पानी, कुछ अपवादों को छोड़े दें, तो भारत बिना रोकटोक के इस्तेमाल कर सकता है. पश्चिमी नदियों का पानी पाकिस्तान के लिए होगा लेकिन समझौते के भीतर कुछ इन नदियों के पानी का कुछ सीमित इस्तेमाल का अधिकार भारत को दिया गया, जैसे बिजली बनाना, कृषि के लिए सीमित पानी. अनुबंध में बैठक, साइट इंस्पेक्शन आदि का प्रावधान है. समझौते के अंतर्गत एक स्थायी सिंधु आयोग की स्थापना की गई.

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58 साल पहले भारत और पाकिस्तान ने इस समझौते पर हस्ताक्षर किए थे और दोनो देशों के बीच दो युद्धों और एक सीमित युद्ध कारगिल और हजारों दिक्कतों के बावजूद ये संधि कायम है. विरोध के स्वर उठते रहे लेकिन संधि पर असर नहीं पड़ा. इस समझौते के रद्द होने के कयास कई बार लगाए जा चुके हैं.

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