इरफान खान, एक ऐसा अदाकार, जिसकी अदाकारी का फिल्म आलोचक भी लोहा मानते रहे हैं. वह आज दुनिया से विदा हो गए. इस कलाकार को दुनिया के कलाप्रेमी हमेशा याद रखेंगे. राजस्थान के मुस्लिम पश्तून परविार में जन्मे इरफान ने क्रिकेट की राह छोड़ एक्टिंग की पिच में कदम रखा तो हॉलीवुड तक चौकों-छक्कों की बरसात कर दी. आइए- जानते हैं इस महान अदाकार के बचपन में क्रिकेटर बनने के सपने से लेकर स्थापित एक्टर और फिर कैंसर से युद्ध लड़ने तक की कहानी.
इरफान खान का जन्म जयपुर, राजस्थान में एक मुस्लिम पश्तून परिवार में हुआ था. उनकी मां बेगम खान, टोंक के एक हकीम परिवार से थीं. वहीं उनके पिता जागीर दार खान, टोंक जिले के पास खजुरिया गांव से थे, वो टायर का व्यवसाय करके जयपुर आ गए थे. बता दें कि हाल ही में इरफान खान की मां का इंतकाल भी हुआ था, जिसमें वो जा नहीं सके थे.
इरफान ने अपने एक इंटरव्यू में बताया था कि वो स्कूल के दिनों से ही पढ़ने में बहुत तेज स्टूडेंट नहीं थे, लेकिन उनका क्रिकेट में खूब मन लगता था. स्कूल में सुबह सात बजे से शाम तक खाली हो पाना उन्हें बोरिंग लगता था.
क्रिकेट में इरफान और उनके बेस्ट फ्रेंड सतीश शर्मा दोनों की खूब बनती थी. बाद में इरफान को सीके नायडू टूर्नामेंट (23 साल से कम के उभरते खिलाड़ियों के लिए) में सेलेक्शन हो गया. लेकिन फंड की कमी के कारण टूर्नामेंट में हिस्सा नहीं लिया. घरवाले भी तैयार नहीं थे, इसलिए उनका क्रिकेट छूट गया.
इरफान खान ने कई इंटरव्यू में इसका जिक्र भी किया कि कैसे क्रिकेट छोड़कर उनसे ग्रेजुएशन करने को कहा गया और भारी-भरकम विषय भी दिला दिए गए ताकि मेरा ध्यान पढ़ाई में ही लगा रहे. वो उस पढ़ाई को सीरियस भी लेने लगे थे. फिर ग्रेजुएशन के साथ ही इरफान का रुझान एक्टिंग की तरफ हो गया.
फिर एक दिन 16 मार्च 2018 को ट्वीट करके इरफान खान ने अपनी बीमारी के बारे में बताकर बॉलीवुड में हलचल मचा दी. उन्होंने लिखा था- जिंदगी में
अचानक कुछ ऐसा हो जाता है जो आपको आगे लेकर जाता है. मेरी जिंदगी के पिछले
कुछ दिन ऐसे ही रहे हैं. मुझे न्यूरो इंडोक्राइन ट्यूमर नामक बीमारी हुई
है. लेकिन मेरे आसपास मौजूद लोगों के प्यार और ताकत ने मुझमें उम्मीद जगाई
है. उनकी उम्मीद ही थी कि वो दो साल से कैंसर के दर्द से लड़ते जूझते हुए एक और फिल्म में काम पूरा किया. उनका जाना उनके लाखों करोड़ों फैंस को दुख के भंवर में छोड़ गया है.