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बस एक बार मिलता है IAF में फाइटर पायलट बनने का मौका, ये है प्रक्रिया

aajtak.in
  • 19 अगस्त 2020,
  • अपडेटेड 3:24 PM IST
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भारतीय वायुसेना (IAF) में बीते दस साल में (IAF) के 798 पायलटों ने इस्तीफा दिया है. ये खुलासा खुद भारतीय वायुसेना ने उस सूचना के अधिकार (RTI) वाली याचिका के जवाब में किया है जो इंडिया टुडे की ओर से दाखिल की गई. वहीं आपको बता दें, IAF में फाइटर प्लेन उड़ाने के लिए पायलट बनना आसान नहीं होता, इसके लिए मुश्किल परीक्षा और ट्रेनिंग ले गुजरना पड़ता है. आइए जानते हैं कैसे बना जाता है पायलट.


Photo- Flying Officer Avani , Flying Officer Mohana & Flying Officer Bhawana

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कठिन होती है प्रक्रिया

IAF में फाइटर पायलट बनने के कठिन नियम होते हैं. इसकी परीक्षा इतनी कठिन होती है कि अगर आप  एक बार परीक्षा में फेल हो गए तो जिंदगी भर आप पायलट बनने के लिए अप्लाई नहीं कर सकते हैं.

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क्या चाहिए योग्यता


इंडियन एयर फोर्स के फ्लाइंग ब्रांच में अप्लाई करने के लिए 12वीं में फिजिक्स और मैथमेटिक्स विषय का होना अनिवार्य है. फ्लाइंग ब्रांच में हिस्सा लेने के लिए छात्र ने 12वीं की परीक्षा साइंस स्ट्रीम से पास की हो.

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कैसे होता है सेलेक्शन


भारतीय वायुसेना में पायलट बनने की प्रक्रिया काफी लंबी होती है. सबसे पहले एंट्रेंस परीक्षा को पास करना होता है. इसके लिए वायुसेना ने बहुत सी परीक्षाएं निर्धारित की हैं.  

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फाइटर पायलट बनने के लिए चार तरीकों से IAF में मिलती है एंट्री


अगर आप 12वीं के बाद अप्लाई करना चाहते हैं तो आप नेशनल डिफेंस अकेडमी (NDA) के माध्यम से अप्लाई कर सकते हैं. ये परीक्षा UPSC की ओर से आयोजित की जाती है.  जिसके लिए आपके 60 प्रतिशत अंक आने जरूरी हैं.


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ग्रेजुएट डिग्री के बाद मौका

अगर आप ग्रेजुएशन के बाद अप्लाई करना चाहते हैं तो आप CDS, AFCAT (एयरफोर्स कॉमन एडमिशन टेस्ट) और NCC के जरिए इंडियन एयर फोर्स की फ्लाइंग ब्रांच के लिए अप्लाई कर सकते हैं.

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बता दें, CDS परीक्षा UPSC की ओर से साल में दो बार आयोजित की जाती है जिसके लिए आपके पास 12वीं में फिजिक्स और मैथमेटिक्स और ग्रेजुएशन में 60% अंक होने चाहिए.


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वहीं AFCAT परीक्षा इंडियन एयर फोर्स की ओर से साल में 2 बार आयोजित की जाती है. वहीं अगर बात करें NCC एंट्री की तो ये स्पेशल एंट्री होती है जिसे डायरेक्ट एंट्री भी कहते हैं, ये एंट्री केवल NCC उम्मीदवारों के लिए ही होती है. अगर आपके पास NCC का "C" सर्टिफिकेट है. तो सीधे इंडियन एयर फोर्स के इंटरव्यू प्रक्रिया के लिए अप्लाई कर सकते हैं.  यानी NDA, CDS और AFCAT इन तीनों एंट्री के लिए आपको लिखित परीक्षा पास करनी होती है. इसके बाद आपको अगले प्रोसेस के लिए भेजा जाता है. वहीं आप NCC उम्मीदवार हैं तो आपको लिखित परीक्षा देने के जरूरत नहीं है.


Photo- fighter Pilot: Flying Officer Mohana Singh.

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दूसरी प्रक्रिया

जो उम्मीदवार लिखित परीक्षा में पास हो जाते हैं, उन्हें शॉर्टलिस्ट किया जाता है. जिसके बाद SSB इंटरव्यू के लिए बुलाया जाता है. इंटरव्यू की प्रक्रिया 5 स्टेज में होती है और जो उम्मीदवार इन पांच स्टेज को सफलतापूर्वक पूरा कर लेते हैं.  फिर उन्हें मेडिकल चेक-अप,  PABT टेस्ट (पायलट एप्टीट्यूट बैटरी टेस्ट) के लिए भेजा जाता है.


Photo- Fighter Pilot - Flying Officer Avani Chaturvedi.

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तीसरी प्रक्रिया

भारतीय वायुसेना में फाइटर पायलट बनने की ये अहम प्रक्रिया है. इंडियन एयरफोर्स में पायलट बनने के लिए   Pilot Aptitude Battery Test (PABT) टेस्ट पास करना अनिवार्य होता है.






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एक बार ही मिलता है PABT टेस्ट पास करने का मौका


PABT टेस्ट को क्लियर करने के लिए केवल एक बार ही मौका दिया जाता है. यानी अगर PABT टेस्ट को एक बार में पास नहीं कर पाते हैं तो आप लाइफ टाइम भारतीय वायुसेना  में पायलट के लिए अप्लाई नहीं कर सकते हैं.


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चौथी प्रक्रिया


मेडिकल चेकअप और PABT टेस्ट के बाद एक फाइनल मैरिट लिस्ट तैयार की जाती है. जो SSB इंटरव्यू और लिखित परीक्षा में दिए गए नंबर पर आधारित होती है. जिन उम्मीदवारों का नाम इस मैरिट लिस्ट में होता है फिर उन्हें आगे ट्रेनिंग के लिए Dundigal Air Force Academy में भेजा जाता है.

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पांचवी प्रक्रिया


इस प्रक्रिया में उम्मीदवारों को फायटर पायलट बनने की ट्रेनिंग दी जाती है. जिसमें फाइटर एयरक्राफ्ट को उड़ाने से लेकर उसे हर स्थिति में हैंडल करने की ट्रेनिंग दी जाती है. पायलट की ट्रेनिंग को तीन स्टेज में बांटा गया है. जो इस प्रकार है.

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#1- पहली ट्रेनिंग में उम्मीदवारों को एयरक्राफ्ट से जुड़ी बेसिक जानकारी दी जाती है और इसमें उम्मीदवार को 55 घंटे का फ्लाइट एक्सपीरियंस भी मिलता है. ये प्रक्रिया 6 महीने तक चलती है.

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#2- दूसरी ट्रेनिंग को "intermediate training" भी कहा जाता है. ये पायलट ट्रेनिंग का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है. जिसमें उम्मीदवारों को एयरक्राफ्ट दिया जाता है, जिसमें उन्हें  एयरक्राफ्ट को उड़ाने का मौका भी दिया जाता है. जहां उन्हें उसकी परफेक्ट हैंडलिंग का ध्यान रखना होता है.

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#3- तीसरी ट्रेनिंग- ये प्रक्रिया 12 महीने तक चलती है जिस दौरान उम्मीदवारों को HAWK एयरक्राफ्ट के साथ ट्रेनिंग दी जाती है. जिसमें उम्मीदवारों को कई तरह की फाइटिंग टेक्निक्स सिखाई जाती हैं. ट्रेनिंग के दौरान उम्मीदवारों को Jaguar, Mig और अन्य एयरक्राफ्ट के साथ ट्रेनिंग दी जाती है. जो उम्मीदवार इन तीनों स्टेज को सफलतापूर्वक पार कर लेते हैं,  उन्हें पायलट का लाइसेंस दे दिया जाता है.

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आपको बता दें, IAF को पायलटों की भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है. हर साल औसतन 80 पायलट इस्तीफे दे रहे हैं. समाचार रिपोर्टों के मुताबिक, एक मध्य स्तर का IAF पायलट एक महीने में करीब 2 लाख कमाता है लेकिन जब वह एक प्राइवेट एयरलाइंस में शामिल होता है तो उसकी आय चार गुना तक बढ़ सकती है. अधिकतर IAF पायलट 20 साल की सेवा पूरी करने के बाद वायुसेना छोड़ देते हैं, इससे वो पेंशन के हकदार रहते हैं.



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