बॉलीवुड की सुपरस्टार दीपिका पादुकोण मंगलवार शाम को जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी पहुंचकर अचानक सोशल मीडिया में छा गई हैं. वो इन दिनों 10 जनवरी को रिलीज होने जा रही अपनी फिल्म छपाक को लेकर देश के तमाम हिस्सों में फिल्म प्रमोशन करते भी नजर आ रही हैं. लेकिन, जेएनयू में जाने के बाद वो एक तरफ ट्रोल्स के निशाने पर हैं तो दूसरी तरफ उनकी तारीफ भी हो रही है. आइए जानें- दीपिका पादुकोण के सफर के बारे में, वो कितनी पढ़ी-लिखी हैं और क्या है उनका नजरिया.
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पूर्व बैडमिंटन विश्व चैंपियन प्रकाश पादुकोण की बेटी दीपिका राष्ट्रीय स्तर की बैडमिंटन खिलाड़ी रही हैं. दीपिका का जन्म 5 जनवरी 1986 को कोपेनहेगन-डेनमार्क में हुआ था. पिता बैडमिंटन खिलाड़ी तो मां उज्जवला एक ट्रैवल एजेंट हैं. वहीं उनकी छोटी बहन अनीशा एक गोल्फ खिलाड़ी हैं.
प्रियंका के दादा रमेश मैसूर बैडमिंटन एसोसिएशन के सचिव थे. जब दीपिका सिर्फ एक साल की थीं, उनका परिवार बैंगलोर में शिफ्ट हो गया था. उनकी शुरुआती शिक्षा बैंगलोर से ही हुई. उन्होंने बैंगलोर के सोफिया हाईस्कूल से दसवीं तक पढ़ाई की.
फोटो: दीपिका के बचपन की तस्वीर
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इसके बाद माउंट कार्मेल कॉलेज से पढ़ाई
इसके बाद उन्होंने माउंट कार्मेल कॉलेज में अपनी प्री यूनिवर्सिटी यानी 12वीं तक की पढ़ाई की. इसके बाद उन्होंने समाजशास्त्र में कला स्नातक की डिग्री के लिए इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय में दाखिला लिया, लेकिन बाद में मॉडलिंग के साथ टाइम में क्लैश होने के कारण इसे बीच में ही छोड़ दिया.
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दीपिका पादुकोण ने साल 2012 के अपने एक इंटरव्यू में बताया था कि जब वो बच्ची थीं तो बिल्कुल भी सोशल नहीं थीं, उनके तमाम दोस्त भी नहीं थे. उनके जीवन का फोकस बैडमिंटन था जो उन्होंने छोटी उम्र से खेला था. अपनी बचपन की दिनचर्या के बारे में वो बताती हैं, कि मैं सुबह पांच बजे उठती थी, फिर फिजिकल ट्रेनिंग के लिए जाती थीं. उसके बाद स्कूल जाती थीं, फिर बैडमिंटन प्रतियोगिताओं के लिए तैयारी के लिए प्रैक्टिस करती थीं, इसके बाद होमवर्क और फिर सोने चली जाती थी.
दीपिका पादुकोण ने अपने स्कूली दिनों के दौरान बैडमिंटन में अपना करियर बनाना जारी रखा और राष्ट्रीय स्तर की चैंपियनशिप खेली. उन्होंने कुछ राज्यस्तरीय टूर्नामेंटों में बेसबॉल भी खेला. अपनी शिक्षा और खेल के करियर के साथ साथ दीपिका एक चाइल्ड मॉडल के तौर पर भी काम किया, पहली बार आठ साल की उम्र में वो एडवरटाइजमेंट में आईं.
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दसवीं कक्षा में आकर उनका फोकस पूरी तरह बदल चुका था. उन्होंने एक फैशन मॉडल बनने का फैसला किया. उन्होंने इसके लिए एक इंटरव्यू में कहा, 'मुझे एहसास हुआ कि मैं केवल इसलिए खेल रही थी क्योंकि ये परिवार में चलता था. इसलिए, मैंने अपने पिता से पूछा कि क्या मैं खेल छोड़ सकती हूं और वो बिल्कुल भी परेशान नहीं थे. यहां से उनका मॉडलिंग करियर शुरू हो गया.'
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अपने करियर की शुरुआत में दीपिका को लिरिल साबुन के विज्ञापन से पहचान मिली, इसके बाद कई अन्य ब्रांडों और उत्पादों के लिए मॉडलिंग की. साल 2005 में, उन्होंने डिजाइनर सुनीत वर्मा के लिए लैक्मे फैशन वीक में अपने रनवे की शुरुआत की और किंगफिशर फैशन अवॉर्ड्स में "मॉडल ऑफ द ईयर" का पुरस्कार जीता.
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किंगफिशर मॉडलिंग के बाद दीपिका को जल्द ही फिल्म भूमिकाओं के लिए प्रस्ताव
मिलने लगे. खुद को एक अभिनेत्री के रूप में बहुत अनुभवहीन मानते हुए,
उन्होंने अनुपम खेर की फिल्म अकादमी में एक पाठ्यक्रम के लिए दाखिला भी लिया.
फोटो: अपनी दोस्त दिव्या के साथ दीपिका के बचपन की तस्वीर
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