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ये है चीन की सबसे कठिन परीक्षा, चीटिंग करने पर हो सकती है जेल!

aajtak.in
  • 12 जुलाई 2020,
  • अपडेटेड 4:01 PM IST
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हर देश की अपनी परीक्षा होती है. जिसका अलग पैटर्न और  सिलेबस होता है, आज हम आपको चीन की ऐसी परीक्षा के बारे में बताने जा रहे हैं जो दुनिया की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक है. आइए जानते हैं कैसे होता है इस परीक्षा का आयोजन.

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चीन की इस परीक्षा का नाम 'गाओकाओ' (Gaokao) है. ये चीन की नेशनल हायर एजुकेशन एंट्रेंस परीक्षा है. जिसे पास करने के बाद ही छात्र यूनिवर्सिटीज में एडमिशन लेने के योग्य माने जाते हैं. आपको बता दें, ये सामान्य परीक्षा नहीं है. यह दुनिया की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक है.

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इस परीक्षा के लिए चीनी छात्रों को स्कूल से ही तैयारी शुरू करवा दी जाती है. इस परीक्षा का समय 10 घंटे का होता है,  जो 2 दिन के भीतर आयोजित की जाती है.


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इस साल ये परीक्षा चीन में 7 और 8 जुलाई को आयोजित हुई थी.  न्यूज वेबसाइट रिपब्लिक की रिपोर्ट के अनुसार इस साल चीन में कुल 10.71 मिलियन छात्र  'गाओकाओ'  परीक्षा में शामिल हुए थे. छात्रों की संख्या पिछले साल के आंकड़े से 400,000 अधिक थी.

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चीन में इस परीक्षा के लिए 400,000 परीक्षा केंद्रों के साथ 7,000 से अधिक परीक्षा स्थल बनाए गए थे, लगभग 950,000 परीक्षा-संबंधित कार्यकर्ता छात्रों की सेवा में लगे थे. परीक्षा उस  वक्त आयोजित की गई थी जब पूरी दुनिया पर कोरोना वायरस का मंडरा रहा है.

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चीन में ये परीक्षा आमतौर पर हर साल जून में होता है, लेकिन इस साल एक महीने के लिए इसे कोरोना वायरस महामारी के कारण स्थगित कर दिया गया था.

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इस परीक्षा के कारण चीन के छात्र  इसके पैटर्न और सिलेबस को लेकर दिमागी तौर से काफी परेशान रहते हैं.  साल 2012 में एक चौंकाने वाली तस्वीर सामने आई थी, जब एक छात्र ने इस परीक्षा के लिए पढ़ाई करने के दौरान नशीला इंजेक्शन लिया था. साल 2014 में एक छात्र ने रिजल्ट आने पर खुद की जान ले ली थी. 

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हर साल चीन में दो दिन के लिए सस्पेंस का माहौल रहता है. इन दो दिन में लाखों बच्चे अपनी किस्मत पर दांव लगाते हैं. इस परीक्षा में चीनी भाषा, गणित और एक विदेशी भाषा से जुड़े सवाल शामिल होते हैं.

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इस परीक्षा का आयोजन करते समय सख्त सुरक्षा व्यवस्था की जाती है, निगरानी कैमरे लगाए जाते हैं. ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (जीपीएस) टेक्नोलॉजी का सहारा लिया जाता है और यहां तक कि हवाई निगरानी के लिए ड्रोन भी तैनात किए जाते हैं. वहीं इस साल चीनी अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि उन्होंने एक नए कानून को लागू करने की योजना बनाई है, जिसमें गड़बड़ी और नकल करने वाले छात्रों को 7  साल की जेल की  सजा दी जा सकती है.

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आपको बता दें, भारत में IIT- JEE, CA, UPSC परीक्षाओं को कठिन परीक्षा की लिस्ट में रखा जाता है.

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