राहुल गांधी ने पिछली बार वोट चोरी को लेकर जो प्रेस कॉन्फ्रेंस किया था, उसे परमाणु बम बोला था. साथ ही ये कहा था कि अगली प्रेस कॉन्फ्रेंस में वो हाइड्रोजन बम फोड़ेंगे. सियासत की बात तो अलग है पर पहले आप जान लीजिए क्या होता हाइड्रोजन बम?
हाइड्रोजन बम, जिसे थर्मोन्यूक्लियर बम भी कहते हैं, एक बहुत शक्तिशाली परमाणु हथियार है. यह परमाणु बम से भी ज्यादा विनाशकारी है. इसका विस्फोट लाखों लोगों की जान ले सकता है. कुछ ही देशों के पास यह बम है.
हाइड्रोजन बम एक उन्नत परमाणु हथियार है, जो हाइड्रोजन के आइसोटोप्स (ड्यूटेरियम और ट्रिटियम) के फ्यूजन (संलयन) से ऊर्जा पैदा करता है. यह सूरज में होने वाली ऊर्जा उत्पादन की प्रक्रिया जैसा है. इस बम में पहले एक छोटा परमाणु विस्फोट (फिशन) होता है, जो इतनी गर्मी पैदा करता है कि हाइड्रोजन आइसोटोप्स का फ्यूजन शुरू हो जाता है. इससे भयानक ऊर्जा निकलती है, जो बड़े क्षेत्र को नष्ट कर सकती है.
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हाइड्रोजन बम की ताकत टन या मेगाटन TNT (विस्फोटक) में मापी जाती है. उदाहरण के लिए, 1 मेगाटन का हाइड्रोजन बम 10 लाख टन TNT के बराबर विस्फोट करता है. यह हिरोशिमा पर गिराए गए परमाणु बम (लगभग 15 किलोटन) से सैकड़ों गुना ज्यादा शक्तिशाली है.
हाइड्रोजन बम बहुत जटिल और महंगा हथियार है, इसलिए इसे बनाने की तकनीक कुछ ही देशों के पास है. निम्नलिखित देशों के पास हाइड्रोजन बम होने की पुष्टि या संदेह है...
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इजरायल के पास भी परमाणु हथियार होने का संदेह है, लेकिन हाइड्रोजन बम की पुष्टि नहीं हुई. कुल मिलाकर, 5 देशों (USA, रूस, UK, फ्रांस, चीन) के पास पक्के तौर पर हाइड्रोजन बम हैं, जबकि उत्तर कोरिया और भारत के दावों पर कुछ बहस है.
हाइड्रोजन बम की विनाशकारी शक्ति भयानक है. यह परमाणु बम से कई गुना ज्यादा शक्तिशाली है. इसके प्रभाव इस प्रकार हैं...
उदाहरण के लिए, रूस का 1961 में टेस्ट किया गया 'त्सार बोम्बा' 50 मेगाटन का हाइड्रोजन बम था, जो इतना शक्तिशाली था कि 100 किमी दूर तक इसका प्रभाव दिखा. अगर यह किसी शहर पर गिरे, तो लाखों लोग मर सकते हैं और पूरा शहर मिनटों में खत्म हो सकता है.
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क्यों चिंता का विषय है?
हाइड्रोजन बम की ताकत इसे विश्व शांति के लिए बड़ा खतरा बनाती है. अगर इसका इस्तेमाल हुआ, तो यह न केवल तुरंत लाखों लोगों की जान ले सकता है, बल्कि लंबे समय तक पर्यावरण और स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल सकता है. विशेषज्ञ इसे 'म्यूचुअल एश्योर्ड डिस्ट्रक्शन' (MAD) कहते हैं, यानी अगर कोई देश इसका इस्तेमाल करता है, तो जवाबी हमला दोनों पक्षों को बर्बाद कर देगा.
इसलिए, विश्व में परमाणु हथियारों को कम करने के लिए समझौते जैसे START (Strategic Arms Reduction Treaty) और NPT (Non-Proliferation Treaty) बनाए गए हैं. लेकिन कुछ देशों, जैसे उत्तर कोरिया, के टेस्ट और दावों से तनाव बढ़ता है.
भारत का परिदृश्य
भारत ने 1998 में पोखरण-II टेस्ट (ऑपरेशन शक्ति) में एक थर्मोन्यूक्लियर डिवाइस टेस्ट किया, जिसकी ताकत 45 किलोटन थी. कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि यह पूरी तरह सफल हाइड्रोजन बम नहीं था, लेकिन भारत इसे अपनी रक्षा नीति का हिस्सा मानता है.
भारत की 'नो फर्स्ट यूज' नीति कहती है कि वह पहले परमाणु हमला नहीं करेगा, लेकिन जवाबी हमले में इन हथियारों का इस्तेमाल कर सकता है. भारत के पास अग्नि-5 जैसे मिसाइल हैं, जो हाइड्रोजन बम ले जा सकते हैं.
ऋचीक मिश्रा