अमेरिका ने पाकिस्तान को उसके F-16 लड़ाकू विमानों के लिए 686 मिलियन डॉलर (लगभग 5,800 करोड़ रुपये) की आधुनिक तकनीक और सहायता बेचने की मंजूरी दे दी है. पाकिस्तानी अखबार डॉन के मुताबिक 8 दिसंबर को अमेरिकी डिफेंस सिक्योरिटी कोऑपरेशन एजेंसी (DSCA) ने कांग्रेस को इस बारे में पत्र भेजा है. एक्सपर्ट कह रहे हैं कि इस तरह की डील आमतौर पर आसानी से हो जाती है.
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DSCA को दिए गए पत्र में साफ लिखा है- पाकिस्तान आतंकवाद के खिलाफ अमेरिका और उसके साथी देशों के साथ मिलकर काम करता रहेगा. भविष्य में किसी बड़ी लड़ाई में पाकिस्तानी वायुसेना अमेरिकी वायुसेना के साथ आसानी से तालमेल बिठा सकेगी. यह बिक्री दक्षिण एशिया में सैन्य संतुलन नहीं बिगाड़ेगी. पाकिस्तान के पास पहले से F-16 हैं, इसलिए नई तकनीक आसानी से इस्तेमाल कर लेगा.
पाकिस्तान के पास करीब 75 F-16 विमान हैं (ब्लॉक-52 और पुराने अपग्रेड वाले). मई 2025 के भारत-पाक हवाई युद्ध में पाकिस्तान ने J-10C और JF-17 जैसे नए विमानों का इस्तेमाल ज्यादा किया, लेकिन F-16 अभी भी उसकी रीढ़ हैं. यह अपग्रेड मिलने से पुराने F-16 भी 15 साल और उड़ सकेंगे. Link-16 मिलने से पाकिस्तानी पायलट अमेरिकी AWACS और लड़ाकू विमानों से सीधे जुड़ सकेंगे – जंग में बहुत बड़ा फायदा मिलेगा.
एक्सपर्ट का कहना है कि ये भारत के लिए चिंता की बात है. क्योंकि- Link-16 जैसी संवेदनशील तकनीक पाकिस्तान को अमेरिका-नाटो स्तर की सूचना और कमांड साझा करने की ताकत देगी. भारत के पास अभी Link-16 नहीं है. हम रूसी और इजरायली सिस्टम इस्तेमाल करते हैं. 2019 बालाकोट हमले के बाद अमेरिका ने पाकिस्तान के F-16 के लिए स्पेयर पार्ट्स तक रोक दिए थे. अब अचानक इतना बड़ा पैकेज मंजूर करना कई सवाल खड़े करता है.
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अमेरिका का कहना है कि यह बिक्री सिर्फ आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई और विमानों की सुरक्षा के लिए है. कोई नया हथियार या मिसाइल नहीं दी जा रही. साथ ही, इस सौदे से अमेरिकी रक्षा तैयारियों पर कोई असर नहीं पड़ेगा.
कांग्रेस के पास 30 दिन हैं मंजूरी रोकने के लिए, लेकिन आम तौर पर ऐसे सौदे पास हो जाते हैं. ठेका अमेरिकी कंपनी लॉकहीड मार्टिन को मिलेगा. डिलीवरी 2026 से शुरू होने की उम्मीद है. पाकिस्तानी वायुसेना खुश है कि उसके पुराने F-16 को नई जिंदगी मिल गई. भारत सतर्क है और अपने राफेल, सुखोई-30 और आने वाले AMCA प्रोजेक्ट पर और तेजी से काम कर रहा है.
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