सरहद पर कांप उठेगी दुश्मन की रूह, जब सामने आएंगे भारतीय सेना के 'रुद्र' और 'भैरव'

भारतीय सेना का रुद्र ब्रिगेड और भैरव लाइट कमांडो बटालियन नई क्रांति की शुरुआत है. ड्रोन, मिसाइल और स्पेशल फोर्स के साथ ये यूनिट्स सीमाओं पर दुश्मन को मात देने के लिए तैयार हैं. स्वदेशी तकनीक और आधुनिकीकरण से भारत एक सैन्य सुपरपावर बनने की राह पर है. क्या ये बदलाव भारत को दुनिया में सबसे मजबूत बनाएंगे?

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भारतीय सेना रुद्र ब्रिगेड और भैरव लाइट कमांडो बटालियन बना चुकी है. (Photo: Representational/Wikipedia Ghatak Commando) भारतीय सेना रुद्र ब्रिगेड और भैरव लाइट कमांडो बटालियन बना चुकी है. (Photo: Representational/Wikipedia Ghatak Commando)

शिवानी शर्मा

  • द्रास,
  • 26 जुलाई 2025,
  • अपडेटेड 12:21 PM IST

भारतीय सेना आज न सिर्फ मौजूदा चुनौतियों से लड़ रही है, बल्कि एक आधुनिक और भविष्य के लिए तैयार शक्ति बनने की ओर तेजी से बढ़ रही है. इस कड़ी में सेना ने दो इन्फैंट्री ब्रिगेड को रुद्र ब्रिगेड में तब्दील कर दिया है, जो सीमाओं पर तैनात हैं.

साथ ही, नई भैरव लाइट कमांडो बटालियन का गठन भी हुआ है, जो दुश्मन को चौंका देने के लिए तैयार हैं. ये बदलाव भारत की रक्षा को नई ऊंचाई देने वाले हैं. आइए, समझते हैं कि ये रुद्र और भैरव क्या हैं? कैसे काम करेंगे? भारत की सुरक्षा को कैसे मजबूत करेंगे?

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रुद्र ब्रिगेड: एक नई लड़ाकू ताकत

रुद्र ब्रिगेड सेना की नई अवधारणा है, जिसमें अलग-अलग तरह की फाइटिंग यूनिट्स को एक साथ मिलाया गया है. ये ब्रिगेड सीमाओं पर तैनात हैं. दुश्मन के खिलाफ पूरी ताकत से लड़ने के लिए तैयार हैं. इसमें शामिल हैं...

  • इन्फैंट्री: पैदल सैनिक, जो जमीन पर मोर्चा संभालते हैं.
  • मैकेनाइज्ड इन्फैंट्री: बख्तरबंद गाड़ियों से लैस सैनिक.
  • आर्मर्ड यूनिट्स: टैंक और भारी हथियार.
  • आर्टिलरी: तोपखाने, जो दूर से हमला करते हैं.
  • स्पेशल फोर्सेज: खास मिशन के लिए ट्रेनिंग पाए सैनिक.
  • यूएवी (ड्रोन): बिना पायलट वाले हवाई हथियार, जो जासूसी और हमले करते हैं.

खास बात: इन ब्रिगेड्स को खास तौर पर तैयार लॉजिस्टिक सपोर्ट (सामान और ईंधन की सप्लाई) और कॉम्बैट सपोर्ट मिलेगा. हर इन्फैंट्री बटालियन में अब ड्रोन प्लाटून होंगे, जो दुश्मन की हरकतों पर नजर रखेंगे.

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आर्टिलरी में दिव्यास्त्र बैटरीज और लॉयटर मुनिशन बैटरीज (हवा में मंडराने वाले हथियार) लगाए गए हैं, जो मारक क्षमता को कई गुना बढ़ाएंगे. सेना की एयर डिफेंस को भी स्वदेशी मिसाइल सिस्टम से लैस किया जा रहा है, जैसे आकाश मिसाइल और क्विक रिएक्शन सर्फेस-टू-एयर मिसाइल (QRSAM).

उदाहरण: मान लीजिए, LAC पर चीन के सैनिक बढ़ रहे हैं. रुद्र ब्रिगेड के ड्रोन दुश्मन की पोजीशन बताएंगे, तोपें हमला करेंगी और स्पेशल फोर्सेस घात लगाकर दुश्मन को चौंका देंगी.

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भैरव लाइट कमांडो बटालियन: दुश्मन का काल

भैरव लाइट कमांडो बटालियन सेना की नई खतरनाक यूनिट है, जो हल्की, तेज और घातक है. ये स्पेशल फोर्सेज की तरह काम करेंगी, लेकिन इनका फोकस सीमाओं पर अचानक हमले और दुश्मन को परेशान करना है. इनकी खासियतें हैं...

  • एजाइल: हल्के हथियार और गियर से लैस, जो पहाड़ों और जंगलों में आसानी से चल सकें.
  • घातक: छोटे लेकिन शक्तिशाली हथियार, जैसे MP5 सबमशीन गन और स्वदेशी ड्रोन बम.
  • सीक्रेट ऑपरेशन: रात में या कोहरे में दुश्मन पर अचानक हमला करने की ट्रेनिंग.

काम: ये बटालियन दुश्मन की सप्लाई लाइन तोड़ सकती है. उनके ठिकानों को नष्ट कर सकती है. LAC या LOC पर ये यूनिट्स भारत को बढ़त दिलाएंगी.

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नई तकनीक से लैस सेना

भारतीय सेना अब तकनीक के मामले में भी आगे बढ़ रही है... 

  • ड्रोन प्लाटून: हर इन्फैंट्री बटालियन में ड्रोन होंगे, जो रियल-टाइम जासूसी करेंगे.  
  • दिव्यास्त्र बैटरीज: ये आर्टिलरी सिस्टम हैं, जो सटीक और लंबी दूरी तक मार कर सकते हैं.  
  • लॉयटर मुनिशन: ये हथियार हवा में मंडराकर दुश्मन पर हमला करते हैं, जैसे छोटे स्वचालित बम.  
  • स्वदेशी मिसाइल: एयर डिफेंस को मजबूत करने के लिए आकाश और QRSAM जैसी मिसाइलें लगाई जा रही हैं.

ये तकनीकें AI (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) और सैटेलाइट डेटा से चलती हैं, जो दुश्मन की हर चाल पर नजर रखती हैं. ड्रोन और मिसाइलें स्वचालित हैं, इसलिए सैनिकों को कम जोखिम होता है.

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क्यों जरूरी है ये बदलाव?

  • सीमा सुरक्षा: LAC और LOC पर चीन और पाकिस्तान के साथ तनाव के बीच ये ब्रिगेड्स भारत को मजबूत बनाएंगी. रुद्र और भैरव दुश्मन के अचानक हमले का जवाब देने के लिए तैयार हैं.
  • आधुनिकीकरण: सेना अब पुराने तरीकों से हटकर टेक्नोलॉजी और स्पेशल फोर्स पर भरोसा कर रही है. स्वदेशी हथियारों से आत्मनिर्भरता बढ़ रही है.
  • भविष्य की तैयारी: ड्रोन और मिसाइल युद्ध का भविष्य हैं. भारत इनके साथ आगे बढ़ रहा है. भैरव जैसे कमांडो भविष्य की गुप्त जंगों के लिए ट्रेनिंग पा रहे हैं.

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चुनौतियां

ट्रेनिंग: सैनिकों और कमांडो को नई तकनीक चलाने की ट्रेनिंग देना समय लेगा.

लागत: ड्रोन, मिसाइल और विशेष हथियार महंगे हैं. बजट का सही इस्तेमाल जरूरी है.

मेंटेनेंस: स्वदेशी सिस्टम की देखभाल और अपग्रेड करना एक चुनौती होगी.

भारत के लिए क्या मायने?

  • सुरक्षा: रुद्र और भैरव से सीमाओं पर भारत की पकड़ मजबूत होगी.  
  • गर्व: स्वदेशी तकनीक से बनी ये यूनिट्स भारत की ताकत दिखाती हैं.  
  • क्षेत्रीय प्रभाव: पड़ोसी देशों को संदेश कि भारत अब मजबूत है.

सेना प्रमुख का बयान: “रुद्र और भैरव से हम भविष्य की जंगों के लिए तैयार हैं.”

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