भारतीय सेना आज न सिर्फ मौजूदा चुनौतियों से लड़ रही है, बल्कि एक आधुनिक और भविष्य के लिए तैयार शक्ति बनने की ओर तेजी से बढ़ रही है. इस कड़ी में सेना ने दो इन्फैंट्री ब्रिगेड को रुद्र ब्रिगेड में तब्दील कर दिया है, जो सीमाओं पर तैनात हैं.
साथ ही, नई भैरव लाइट कमांडो बटालियन का गठन भी हुआ है, जो दुश्मन को चौंका देने के लिए तैयार हैं. ये बदलाव भारत की रक्षा को नई ऊंचाई देने वाले हैं. आइए, समझते हैं कि ये रुद्र और भैरव क्या हैं? कैसे काम करेंगे? भारत की सुरक्षा को कैसे मजबूत करेंगे?
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रुद्र ब्रिगेड: एक नई लड़ाकू ताकत
रुद्र ब्रिगेड सेना की नई अवधारणा है, जिसमें अलग-अलग तरह की फाइटिंग यूनिट्स को एक साथ मिलाया गया है. ये ब्रिगेड सीमाओं पर तैनात हैं. दुश्मन के खिलाफ पूरी ताकत से लड़ने के लिए तैयार हैं. इसमें शामिल हैं...
खास बात: इन ब्रिगेड्स को खास तौर पर तैयार लॉजिस्टिक सपोर्ट (सामान और ईंधन की सप्लाई) और कॉम्बैट सपोर्ट मिलेगा. हर इन्फैंट्री बटालियन में अब ड्रोन प्लाटून होंगे, जो दुश्मन की हरकतों पर नजर रखेंगे.
आर्टिलरी में दिव्यास्त्र बैटरीज और लॉयटर मुनिशन बैटरीज (हवा में मंडराने वाले हथियार) लगाए गए हैं, जो मारक क्षमता को कई गुना बढ़ाएंगे. सेना की एयर डिफेंस को भी स्वदेशी मिसाइल सिस्टम से लैस किया जा रहा है, जैसे आकाश मिसाइल और क्विक रिएक्शन सर्फेस-टू-एयर मिसाइल (QRSAM).
उदाहरण: मान लीजिए, LAC पर चीन के सैनिक बढ़ रहे हैं. रुद्र ब्रिगेड के ड्रोन दुश्मन की पोजीशन बताएंगे, तोपें हमला करेंगी और स्पेशल फोर्सेस घात लगाकर दुश्मन को चौंका देंगी.
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भैरव लाइट कमांडो बटालियन: दुश्मन का काल
भैरव लाइट कमांडो बटालियन सेना की नई खतरनाक यूनिट है, जो हल्की, तेज और घातक है. ये स्पेशल फोर्सेज की तरह काम करेंगी, लेकिन इनका फोकस सीमाओं पर अचानक हमले और दुश्मन को परेशान करना है. इनकी खासियतें हैं...
काम: ये बटालियन दुश्मन की सप्लाई लाइन तोड़ सकती है. उनके ठिकानों को नष्ट कर सकती है. LAC या LOC पर ये यूनिट्स भारत को बढ़त दिलाएंगी.
नई तकनीक से लैस सेना
भारतीय सेना अब तकनीक के मामले में भी आगे बढ़ रही है...
ये तकनीकें AI (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) और सैटेलाइट डेटा से चलती हैं, जो दुश्मन की हर चाल पर नजर रखती हैं. ड्रोन और मिसाइलें स्वचालित हैं, इसलिए सैनिकों को कम जोखिम होता है.
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क्यों जरूरी है ये बदलाव?
चुनौतियां
ट्रेनिंग: सैनिकों और कमांडो को नई तकनीक चलाने की ट्रेनिंग देना समय लेगा.
लागत: ड्रोन, मिसाइल और विशेष हथियार महंगे हैं. बजट का सही इस्तेमाल जरूरी है.
मेंटेनेंस: स्वदेशी सिस्टम की देखभाल और अपग्रेड करना एक चुनौती होगी.
भारत के लिए क्या मायने?
सेना प्रमुख का बयान: “रुद्र और भैरव से हम भविष्य की जंगों के लिए तैयार हैं.”
शिवानी शर्मा