1971 के बाद पाकिस्तान का सबसे बुरा साल... अक्तूबर तक 1100 से ज्यादा सुरक्षाकर्मी मारे गए

1971 के बाद पाकिस्तान का सबसे बुरा साल है 2025. इस साल जनवरी से अक्टूबर तक 1100+ सुरक्षाकर्मी शहीद हुए हैं. बलूच हमलों से 350+ घटनाएं, तालिबान-टीटीपी की घुसपैठ हुई है. ऑपरेशन सिंदूर में भारत के हमलों से 50+ सैनिक मारे गए. अक्टूबर में 195 शहीद, 109 घायल. दिसंबर तक आंकड़ा 1300-1400 पहुंच सकता.

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पाकिस्तान के क्वेटा में बम ब्लास्ट में मारे सुरक्षाकर्मी का रोता हुआ परिजन. (File Photo: Reuters) पाकिस्तान के क्वेटा में बम ब्लास्ट में मारे सुरक्षाकर्मी का रोता हुआ परिजन. (File Photo: Reuters)

शिवानी शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 03 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 1:23 PM IST

पाकिस्तान की सेना और सुरक्षा तंत्र के लिए 2025 का साल अब तक का सबसे बुरा साबित हो रहा है. 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद पहली बार इतनी भारी क्षति हुई है. खुफिया एजेंसियों के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, जनवरी से अक्टूबर तक 1100 से ज्यादा सैनिक, पुलिसकर्मी और खुफिया अधिकारी मारे गए हैं. यह संख्या 2009 के बाद सबसे ज्यादा है. बलूच विद्रोहियों और तालिबान जैसे गुटों के हमलों से पाकिस्तान की सेना थक चुकी है.

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क्यों बिगड़ा हालात? बलूचिस्तान और तालिबान का बढ़ता खतरा

पाकिस्तान को अंदर ही अंदर कमजोर कर रहे हैं उसके अपने इलाके. खासकर बलूचिस्तान में विद्रोही गुट सक्रिय हैं. ये लोग अलग राज्य बनाना चाहते हैं. पाकिस्तानी सेना पर लगातार हमले कर रहे हैं. खुफिया रिपोर्ट्स कहती हैं कि साल के पहले पांच महीनों में बलूचिस्तान में ही 350 बड़े हमले और 20 छोटे हमले हुए. इनमें सैनिकों, पुलिस और आम लोगों की जानें गईं.

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पश्चिमी सीमा पर अफगानिस्तान से तालिबान और पठान गुटों के हमले बढ़ गए हैं. तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) नाम का आतंकी संगठन अफगानिस्तान से घुसपैठ कर हमला करता है. जनवरी से अक्टूबर तक इन हमलों में 195 सुरक्षाकर्मी शहीद हुए. अक्टूबर में ही 195 सैनिक मारे गए, 109 घायल हुए और 15 लापता या युद्धबंदी बने। इनमें 8 अधिकारी शामिल हैं – एक एसपी, एक लेफ्टिनेंट कर्नल, तीन मेजर, एक जूनियर कमीशंड ऑफिसर और एक कैप्टन.

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पिछले हफ्ते ही 6 सैनिक शहीद हुए, जिनमें 2 एसएसजी कमांडो थे. खुफिया एजेंसियों का अनुमान है कि दिसंबर तक कुल शहीदों की संख्या 1300 से 1400 तक पहुंच जाएगी. शहीदों और विद्रोहियों का अनुपात 1:1.6 है, यानी हर 1.6 विद्रोही पर 1 पाकिस्तानी सुरक्षाकर्मी मर रहा है. ये आंकड़े 'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान मारे गए सैनिकों को छोड़कर हैं.

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ऑपरेशन सिंदूर: भारत का जवाबी हमला, पाकिस्तान को भारी नुकसान

भारत ने मई 2025 में 'ऑपरेशन सिंदूर' चलाया, जो पाकिस्तान के लिए करारा झटका साबित हुआ. इससे पहले ही पाकिस्तान बलूच और तालिबान हमलों से जूझ रहा था, लेकिन भारत की कार्रवाई ने हालात और बिगाड़ दिए. 7 मई को भारत ने पाकिस्तान के अंदर स्ट्राइक की, जिसमें 100 से ज्यादा आतंकी मारे गए.

फिर 9-10 मई को भारत ने 1,420 किलोमीटर लंबे मोर्चे पर हमला बोला – मलीर से कोटली तक. इसमें 11 पाकिस्तानी वायुसेना के अड्डे और सैन्य ठिकाने निशाना बने, साथ ही 23 नियंत्रण रेखा (एलओसी) के लक्ष्य. इस हमले में 13 पाकिस्तानी सेना और वायुसेना के जवान शहीद हुए. एलओसी पर ऑपरेशन के दौरान 35 से 40 सुरक्षाकर्मी मारे गए. कुल मिलाकर, ऑपरेशन सिंदूर से पाकिस्तान को 50 से ज्यादा सैनिकों की जान गई. 35 गंभीर रूप से घायल हुए.

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ये नुकसान पाकिस्तान की सेना के लिए शर्मनाक था. भारत ने साफ संदेश दिया कि आतंकवाद बर्दाश्त नहीं होगा. लेकिन पाकिस्तान के अंदर ये हार ने सेना के अंदर ही मतभेद बढ़ा दिए.

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1971 के बाद सबसे खराब साल: क्यों इतना नुकसान?

1971 का युद्ध याद है? तब पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) अलग हो गया. लाखों सैनिक पकड़े गए. उसके बाद पाकिस्तान की सेना कभी इतनी कमजोर नहीं पड़ी. लेकिन 2025 में तीन तरफ से चुनौतियां हैं...

  • बलूचिस्तान का विद्रोह: स्थानीय लोग सेना पर आरोप लगाते हैं कि वो उनके संसाधनों का शोषण करती है. विद्रोही भारत से मदद ले रहे हैं.
  • तालिबान और टीटीपी: अफगानिस्तान से घुसपैठ. पाकिस्तान ने कई बार स्ट्राइक की, लेकिन हमले रुकते नहीं.
  • भारत के साथ तनाव: कश्मीर और एलओसी पर झड़पें. ऑपरेशन सिंदूर ने पाकिस्तान को दिखा दिया कि भारत अब पहले जैसा नहीं रहा.

इस साल की शुरुआत से ही हमले बढ़े. 2009 के बाद ये सबसे ज्यादा हताहत हैं. सेना के अंदर 'तत्व' आपस में भिड़ रहे हैं – मतलब, अधिकारी और जवान एक-दूसरे पर दोषारोपण कर रहे हैं. कमजोर अर्थव्यवस्था से हथियार और ट्रेनिंग की कमी हो गई है.

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पाकिस्तान पर क्या असर? सेना थक रही, देश कमजोर

ये भारी नुकसान पाकिस्तान को कई मोर्चों पर कमजोर कर रहा है...

  • सैन्य कमजोरी: सेना थकान महसूस कर रही है. जवान मर रहे हैं, लेकिन विद्रोही कम नहीं हो रहे. अनुपात 1:1.6 से साफ है कि फायदा नहीं हो रहा.
  • आर्थिक बोझ: शहीदों के परिवारों को मुआवजा, घायलों का इलाज – सब पर पैसा खर्च. पाकिस्तान पहले ही कर्ज में डूबा है.
  • राजनीतिक उथल-पुथल: सेना सत्ता में हावी है, लेकिन हार से सरकार पर दबाव. लोग सड़कों पर उतर सकते हैं. 1971 जैसा बिखराव का डर.
  • मानवीय क्षति: हजारों परिवार बर्बाद. बच्चे अनाथ, विधवाएं परेशान. बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा में खूनखराबा बढ़ रहा है.
  • अंतरराष्ट्रीय छवि: दुनिया पाकिस्तान को आतंकवाद का अड्डा मानती है. भारत-अमेरिका के रिश्ते मजबूत हैं, पाकिस्तान अकेला पड़ रहा.
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