क्या दिल्ली एयरपोर्ट पर 350 उड़ानों के प्रभावित होने के पीछे है GPS स्पूफिंग? NSA कार्यालय ने शुरू की जांच

NSA कार्यालय ने दिल्ली के IGI पर 6-7 नवंबर को GPS छेड़छाड़ की जांच शुरू की. स्पूफिंग हमले से 350 से ज्यादा उड़ानें लेट हुईं, कई डायवर्ट हुई. पायलटों को गलत सिग्नल मिले. मैनुअल नेविगेशन करना पड़ा. एनसीएससी नवीन कुमार सिंह की अगुवाई में सर्ट-इन, डीजीसीए और एएआई जांच कर रहे हैं. साइबर सुरक्षा पर वैश्विक चिंता बढ़ी है.

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दिल्ली एयरपोर्ट पर 6-7 नवंबर को 350 उड़ानें प्रभावित हुई थी. (Photo: Representational/Getty) दिल्ली एयरपोर्ट पर 6-7 नवंबर को 350 उड़ानें प्रभावित हुई थी. (Photo: Representational/Getty)

मंजीत नेगी

  • नई दिल्ली,
  • 10 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 4:03 PM IST

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) कार्यालय ने दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे (IGIA) पर 6 और 7 नवंबर 2025 को हुई GPS छेड़छाड़ की घटना की जांच शुरू कर दी है. इस घटना में GPS स्पूफिंग के जरिए नेविगेशन सिस्टम को गुमराह किया गया, जिससे 350 से ज्यादा उड़ानें प्रभावित हुईं. कई उड़ानें लेट हुईं और कुछ को जयपुर व लखनऊ जैसे नजदीकी हवाई अड्डों पर डायवर्ट करना पड़ा. ये घटना हवाई यात्रा की सुरक्षा पर सवाल खड़े कर रही है.

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GPS स्पूफिंग क्या है? एक साइबर हमला जो भ्रम फैलाता है

GPS स्पूफिंग एक तरह का साइबर हमला है, जिसमें नकली सैटेलाइट सिग्नल भेजे जाते हैं. ये सिग्नल नेविगेशन सिस्टम को गलत जगह बताते हैं. इस मामले में पायलटों को विमान की गलत स्थिति और भूभाग की गलत जानकारी मिली. ये समस्या दिल्ली के 60 नॉटिकल मील (लगभग 111 किलोमीटर) के दायरे में हुई.

पायलटों को मैनुअल नेविगेशन पर निर्भर होना पड़ा, जबकि एयर ट्रैफिक कंट्रोलरों को जमीन आधारित सिस्टम पर स्विच करना पड़ा. इससे हवाई यातायात में भारी जाम लग गया. विशेषज्ञों का कहना है कि ये हमला जानबूझकर हो सकता है या तकनीकी खराबी। जांच का मुख्य लक्ष्य कारण और दायरा पता लगाना है.

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राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा समन्वयक (NCSC) नवीन कुमार सिंह इसकी अगुवाई कर रहे हैं. सिंह को अगस्त 2025 में इस पद पर नियुक्त किया गया था. एनसीएससी राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय (NSCS) के तहत काम करता है. ये भारतीय कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पॉन्स टीम और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय जैसे एजेंसियों के साथ मिलकर साइबर खतरों का जवाब देता है.

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जांच में शामिल एजेंसियां: डीजीसीए और एएआई की भूमिका

जांच में नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) और हवाई अड्डा प्राधिकरण भारत (एएआई) भी जुड़े हुए हैं. ये एजेंसियां यह देख रही हैं कि क्या ये तकनीकी गड़बड़ी थी, साइबर हमला था या जानबूझकर किसी ने ऐसा किया. सरकार ने आश्वासन दिया है कि स्थिति नियंत्रण में है. सामान्य उड़ानें बहाल हो रही हैं. लेकिन ये घटना विमानन क्षेत्र में साइबर सुरक्षा की बढ़ती चिंता को उजागर करती है.

इस घटना से 350 से ज्यादा उड़ानें लेट हुईं. कई अंतरराष्ट्रीय और घरेलू उड़ानों को जयपुर और लखनऊ भेजा गया. दिल्ली के व्यस्त हवाई क्षेत्र में पायलटों को चुनौतियां आईं. एक पायलट ने बताया कि गलत सिग्नल से लग रहा था कि हम गलत दिशा में जा रहे हैं. मैनुअल तरीके से उड़ाना जोखिम भरा था. इससे यात्रियों को घंटों इंतजार करना पड़ा और हवाई अड्डे पर अफरा-तफरी मच गई.

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वैश्विक चिंता: अंतरराष्ट्रीय सहयोग बढ़ा

ये घटना अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी चर्चा का विषय बनी है. वैश्विक विमानन संगठनों और साइबर विशेषज्ञों ने मिलकर इस पर काम शुरू किया है. अंतरराष्ट्रीय वायु परिवहन संघ (IATA) ने बताया कि दुनिया भर में GPS हस्तक्षेप के मामले बढ़ रहे हैं. खासकर संघर्ष वाले इलाकों में. भारत सरकार भी इन मामलों पर नजर रख रही है.

विशेषज्ञ कहते हैं कि ऐसे हमलों से विमानन सुरक्षा को खतरा है, इसलिए मजबूत सिस्टम जरूरी हैं. एनएसए कार्यालय की जांच से उम्मीद है कि कारण जल्द पता चलेगा. अगर ये साइबर हमला साबित हुआ, तो दोषियों पर सख्त कार्रवाई होगी. ये घटना देश को साइबर सुरक्षा मजबूत करने की याद दिलाती है.

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