कीचड़, टूटे पहाड़ और बारिश... कितना मुश्किल है धराली, हर्षिल, गंगोत्री में फंसे लोगों का रेस्क्यू

उत्तराखंड में प्राकृतिक आपदा ने लोगों की जिंदगियां और संपत्ति को नुकसान पहुंचाया है, लेकिन BRO, भारतीय सेना और स्थानीय प्रशासन मिलकर हर संभव कोशिश कर रहे हैं. लेफ्टिनेंट जनरल रघु श्रीनिवासन के नेतृत्व में राहत कार्य तेजी से आगे बढ़ रहे हैं. सरकार और सेना का लक्ष्य हर फंसे हुए व्यक्ति को बचाना और प्रभावित लोगों को मदद पहुंचाना है.

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धराली में जख्मी व्यक्ति को हेलिकॉप्टर तक ले जाते हमारे जवान. (Photo: ITG) धराली में जख्मी व्यक्ति को हेलिकॉप्टर तक ले जाते हमारे जवान. (Photo: ITG)

शिवानी शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 07 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 1:35 PM IST

उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में हुए भयानक भूस्खलन की घटना ने तबाही मचा दी है. इस आपदा के बाद लेफ्टिनेंट जनरल रघु श्रीनिवासन, पीवीएसएम, वीएसएम, डीजीबीआर (सीमा सड़क संगठन -BRO- के महानिदेशक) ने प्रभावित क्षेत्रों का हवाई सर्वेक्षण किया और स्थिति का जायजा लिया. वह सैन्य और नागरिक टीमों के साथ मिलकर राहत और बचाव कार्यों को तेज करने में जुटे हैं. आइए, समझते हैं कि स्थिति क्या है और कैसे राहत कार्य चल रहे हैं.

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डीजीबीआर की कोशिश: बेहतर तेज गति से राहत कार्य 

लेफ्टिनेंट जनरल रघु श्रीनिवासन ने उत्तराखंड के माननीय मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग राज्य मंत्री अजय तमता से मुलाकात की. इस मुलाकात में राहत और बचाव कार्यों को बेहतर तरीके से संचालित करने की योजना बनाई गई. सीमा सड़क संगठन (BRO) ने अतिरिक्त संसाधन जुटाए हैं ताकि सड़कों को जल्द से जल्द बहाल किया जा सके. BRO ने कहा है कि वह राष्ट्र के प्रति प्रतिबद्ध है. मिशन मोड में युद्ध स्तर पर काम करेगा.

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वर्तमान स्थिति: सड़कें बंद, हेलीपैड सक्रिय

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  • सड़कें प्रभावित: भटवारी, लिंचिगड़, हर्षिल के पास गंगरानी और धराली में सड़कें बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई हैं. कई जगहों पर सड़कें बह गई हैं, लेकिन बहाली का काम तेजी से चल रहा है.
  • हेलीपैड: हर्षिल में सैन्य हेलीपैड और नीलॉंग में नागरिक हेलीपैड काम कर रहे हैं. लेकिन धराली का नागरिक हेलीपैड मलबे की वजह से अभी भी बंद है.
  • चुनौतियां: भूस्खलन और बारिश के कारण क्षेत्र तक पहुंचना मुश्किल हो रहा है.

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तैनात सैनिक और संसाधन

  • सैनिक: 225 से ज्यादा भारतीय सेना के जवान, जिसमें इंजीनियर, चिकित्सा कर्मी और बचाव दल शामिल हैं, मौके पर तैनात हैं. ये लोग राहत और बचाव कार्यों को और तेज करने में जुटे हैं.
  • तकनीक: टेकला में एक सर्च रडार टीम तैनात की गई है, जो मलबे में दबे लोगों को ढूंढने में मदद कर रही है.
  • कुत्ते: खोज और बचाव कुत्तों को भी लगाया गया है ताकि गायब लोगों का पता लगाया जा सके.

बचाव और राहत कार्य: लोगों की मदद जारी

  • बचाए गए लोग: अब तक 70 से ज्यादा नागरिकों को सुरक्षित निकाला जा चुका है.
  • एयरलिफ्ट: गंभीर रूप से घायलों को हेलिकॉप्टर से देहरादून और ऋषिकेश के AIIMS अस्पताल ले जा रहे हैं.
  • पर्यटकों की मदद: गंगोत्री में फंसे करीब 200 पर्यटकों को चिकित्सा सहायता और भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है.

आगे की योजना

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BRO और सेना के जवान दिन-रात मेहनत कर रहे हैं. हेलिकॉप्टरों (चिनूक और मी-17) का इस्तेमाल हो रहा है ताकि सैनिकों और मेडिकल टीम को प्रभावित क्षेत्रों में पहुंचाया जा सके. नीलॉंग हेलीपैड से पर्यटकों को सुरक्षित निकालने का काम भी चल रहा है. सड़कों को खोलने और संपर्क बहाल करने के लिए भारी मशीनें और इंजीनियरिंग टीमें लगी हैं. 

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