ईरान के पास 10000 किलोमीटर रेंज की बैलिस्टिक मिसाइल, अमेरिका तक पहुंच... अब क्या करेंगे ट्रंप?

ईरान ने दावा किया है कि उसकी नई अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल 10,000 किमी रेंज वाली लगभग तैयार है. यह यूरोप और अमेरिका के हिस्सों को निशाना बना सकती है. पहले 2,000 किमी की सीमा थी, अब यह बड़ा बदलाव है. अमेरिका-नाटो को रणनीति बदलनी पड़ सकती है.

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ये है ईरान की खोरमशहर-4 मिसाइल लेकिन इसकी रेंज 3000 किलोमीटर है. (File Photo: X/Tansim News) ये है ईरान की खोरमशहर-4 मिसाइल लेकिन इसकी रेंज 3000 किलोमीटर है. (File Photo: X/Tansim News)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 08 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 3:45 PM IST

ईरान ने दावा किया है कि उसके पास एक नई अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) है, जो लगभग तैयार है. यह मिसाइल 10,000 किलोमीटर दूर तक मार कर सकती है. अगर यह सच है, तो यह मिसाइल यूरोप और अमेरिका के कुछ हिस्सों तक पहुंच सकती है. यह खबर ईरानी न्यूज एजेंसी तस्नीम ने 7 नवंबर को दी. यह जानकारी X पर भी शेयर हुई. लेकिन पश्चिमी देशों ने अभी इसकी पुष्टि नहीं की है.

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मिसाइल के बारे में क्या कहा गया?

यह मिसाइल "लगभग सेवा के लिए तैयार" है. एक वीडियो में ईरानी रिवोल्यूशनरी गार्ड्स कोर्प्स (IRGC) के कमेंट्री के साथ मिसाइल साइलो, मोबाइल लॉन्चर और पुरानी लॉन्चिंग की फुटेज दिखाई गई. वीडियो कहता है कि मिसाइल का विकास पूरा हो चुका है. लेकिन कोई स्वतंत्र साक्ष्य नहीं है, जैसे सैटेलाइट इमेज या 10,000 किमी की टेस्ट फ्लाइट का वीडियो.

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पहले ईरान के नेता 2,000 किलोमीटर की रेंज की सीमा पर ही रुकते थे. यह सीमा गल्फ देशों, इजरायल और पूर्वी यूरोप तक कवर करती थी. लेकिन अब 10,000 किमी का दावा बहुत बड़ा बदलाव है. अगर यह मिसाइल काम करेगी, तो ईरान पहली बार अमेरिका के पूर्वी तट – जैसे वॉशिंगटन डीसी और न्यूयॉर्क – को निशाना बना सकेगा.

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तकनीकी चुनौतियां और कैसे संभव हो सकता है?

ईरान की मौजूदा मिसाइलें, जैसे खोरमशहर-4, सिर्फ 2,000-3,000 किमी दूर तक जाती हैं. 10,000 किमी के लिए नई तकनीक चाहिए...

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  • मजबूत प्रोपल्शन (इंजन).
  • कई स्टेज वाली लॉन्च सिस्टम.
  • री-एंट्री व्हीकल जो गर्मी झेल सके.

कई विशेषज्ञ मानते हैं कि ईरान का सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल प्रोग्राम (जैसे सिमोर्घ और कासेद) इसमें मदद कर रहा है. ये स्पेस मिशन के लिए हैं, लेकिन मिसाइल बनाने में भी इस्तेमाल हो सकते हैं. अमेरिकी रक्षा विभाग कहता है कि ये "दोहरे इस्तेमाल" वाले प्रोग्राम हैं – स्पेस और मिसाइल दोनों के लिए.

मिसाइल को रोड-मोबाइल लॉन्चर पर रखा जा सकता है, जो छिपाना आसान है. ईरान हाल में सॉलिड-फ्यूल वाली मिसाइलें पसंद कर रहा है, क्योंकि वे जल्दी लॉन्च हो जाती हैं. सुरक्षित रहती हैं. लेकिन इतनी लंबी रेंज के लिए सॉलिड फ्यूल बनाना मुश्किल है.

क्या होगा असर? रणनीतिक बदलाव

अगर यह मिसाइल काम करेगी, तो दुनिया बदल जाएगी...

  • अमेरिका के लिए: अमेरिका की मिसाइल डिफेंस सिस्टम (GMD) अभी उत्तर कोरिया जैसे छोटे खतरे के लिए बनी है. ईरानी ICBM से बचाव के लिए अलास्का और कैलिफोर्निया के इंटरसेप्टर बढ़ाने पड़ सकते हैं. NORAD और एजिस सिस्टम को मजबूत करना होगा.
  • यूरोप और नाटो के लिए: यूरोपीय देशों को चेतावनी सिस्टम बढ़ाने होंगे. मिसाइल डिफेंस में ज्यादा योगदान देना पड़ेगा.
  • मध्य पूर्व में: ईरान का दबदबा बढ़ेगा. इजरायल और गल्फ देशों पर दबाव ज्यादा होगा.

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ईरान के नेता अब खुद को वैश्विक ताकत बता रहे हैं। यह दावा सिर्फ हथियार नहीं, बल्कि अमेरिका को चेतावनी है. ईरान पर सैंक्शन हैं और अंदर असंतोष बढ़ रहा है, इसलिए यह मनोवैज्ञानिक ताकत देता है.

दावा कितना सच?

ईरान अक्सर हथियारों की क्षमता बढ़ा-चढ़ाकर बताता है. इस दावे के साथ कोई फ्लाइट डेटा, प्रभाव वाली फुटेज या ट्रैकिंग नहीं है. वारहेड (विस्फोटक) कितना ताकतवर है, या न्यूक्लियर के लिए बनेगा या नहीं – यह स्पष्ट नहीं. ईरान न्यूक्लियर हथियार बनाने से इंकार करता है. विशेषज्ञ कहते हैं कि यह ब्लफ (धोखा) हो सकता है, या प्रोटोटाइप (नमूना). लेकिन घोषणा का मतलब साफ है: ईरान अमेरिका को सीधा निशाना बता रहा है.

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