भारतीय सेना लंबे युद्ध के लिए तैयार... खुद बना रहे हैं 90% गोला-बारूद

भारतीय सेना गोला-बारूद में 90% से ज्यादा आत्मनिर्भर हो चुकी है. करीब 200 तरह के एम्युनिशन अब स्वदेशी उत्पादन से मिल रहे हैं. पिछले तीन सालों में 26 हजार करोड़ के ऑर्डर देशी कंपनियों को दिए हैं. इससे लंबे युद्ध में लड़ाई जारी रखने की ताकत बढ़ी.

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भारतीय वायुसेना का मिराज फाइटर जेट बम-गोले गिराता हुआ. (File Photo: IAF_MCC) भारतीय वायुसेना का मिराज फाइटर जेट बम-गोले गिराता हुआ. (File Photo: IAF_MCC)

शिवानी शर्मा / मंजीत नेगी

  • नई दिल्ली,
  • 31 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 5:19 PM IST

भारत की सुरक्षा स्थिति तेजी से बदल रही है. अनिश्चितता, नई तकनीक और लंबे संकटों के दौर में सेना की ताकत सिर्फ हथियारों से नहीं, बल्कि लंबे समय तक लड़ाई जारी रखने की क्षमता से तय होती है. गोला-बारूद, स्पेयर पार्ट्स और लॉजिस्टिक्स ही युद्ध की रीढ़ हैं. इसे समझते हुए भारतीय सेना ने गोला-बारूद के उत्पादन में आत्मनिर्भरता को सबसे ऊपर रखा है.

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पहले गोला-बारूद की सप्लाई पुरानी फैक्टरियों और विदेश से आयात पर निर्भर थी. वैश्विक संकट आने पर दिक्कत होती थी. हाल के युद्धों (जैसे यूक्रेन-रूस) ने साफ दिखाया कि जो देश खुद गोला-बारूद बना सकते हैं, वही लंबे समय तक लड़ाई लड़ पाते हैं. इसी को देखते हुए सेना ने मेक इन इंडिया के तहत तेजी से स्वदेशीकरण शुरू किया.

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90% से ज्यादा गोला-बारूद अब स्वदेशी

भारतीय सेना के पास करीब 200 तरह के गोला-बारूद और सटीक एम्युनिशन हैं, जो अलग-अलग हथियारों में इस्तेमाल होते हैं. नीतिगत बदलाव और उद्योग के साथ मिलकर काम करने से अब इनमें से 90% से ज्यादा पूरी तरह स्वदेशी हो चुके हैं. ये अब देशी कंपनियों से ही खरीदे जा रहे हैं. बाकी बचे प्रकारों पर तेजी से काम चल रहा है – इसमें रिसर्च एजेंसियां, सरकारी फैक्टरियां और प्राइवेट कंपनियां साथ मिलकर काम कर रही हैं.

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पिछले सालों में कितना बदलाव आया?

पिछले 4-5 सालों में खरीद प्रक्रिया को पूरी तरह बदल दिया गया है...

  • ज्यादा कंपनियों को मौका देने के लिए प्रतियोगिता बढ़ाई गई.
  • कई स्रोतों से सप्लाई का सिस्टम बनाया गया.
  • 'मेक इन इंडिया' के तहत करीब 16,000 करोड़ रुपये के ऑर्डर दिए गए.
  • पिछले तीन सालों में देशी निर्माताओं को 26,000 करोड़ रुपये से ज्यादा के गोला-बारूद के ऑर्डर मिले.

अब कई तरह के गोला-बारूद कई कंपनियों से बन रहे हैं, जिससे सप्लाई कभी नहीं रुकेगी.

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अगला कदम क्या है?

अब इन उपलब्धियों को और मजबूत करने का समय है. मुख्य फोकस इन क्षेत्रों पर है...

  • प्रोपेलेंट और फ्यूज के कच्चे माल की सप्लाई देश में ही मजबूत करना.
  • फैक्टरियों को आधुनिक बनाना.
  • विदेशी तकनीक का तेजी से ट्रांसफर करना.
  • क्वालिटी को सख्ती से चेक करना.
  • इन सब से एक मजबूत और पूरी तरह आत्मनिर्भर गोला-बारूद सिस्टम बनेगा.

लंबे युद्ध में क्यों जरूरी है आत्मनिर्भरता?

लंबे युद्ध में गोला-बारूद सबसे पहले खत्म होता है. अगर आयात पर निर्भर रहें तो दुश्मन या वैश्विक संकट सप्लाई रोक सकते हैं. अब स्वदेशी उत्पादन से सेना बिना रुके लंबे समय तक लड़ सकती है. यह न सिर्फ सेना की ताकत बढ़ाएगा, बल्कि पूरे देश की सुरक्षा को मजबूत बनाएगा. भारतीय सेना का यह कदम साफ संदेश देता है – हम किसी भी चुनौती के लिए तैयार हैं. आत्मनिर्भरता से हमारी युद्ध क्षमता अब पहले से कहीं ज्यादा मजबूत और स्थिर है.

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