5 जून 2025 को दसॉल्ट एविएशन और टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड (TASL) ने चार प्रोडक्शन ट्रांसफर एग्रीमेंट्स पर हस्ताक्षर किए, जिसके तहत राफेल फाइटर जेट का फ्यूजलेज भारत में बनाया जाएगा. अगर विमान को एक पक्षी मानें, तो फ्यूजलेज उसका धड़ है, जिसमें सिर, पंख और पूंछ जुड़े होते हैं.
यह भारत की एयरोस्पेस मैन्युफैक्चरिंग क्षमता को बढ़ाने और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में भारत की स्थिति को मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम है. यह पहली बार है जब राफेल का फ्यूजलेज फ्रांस के बाहर बनेगा. आइए, जानें कि फ्यूजलेज क्या है, इसके स्पेसिफिकेशन्स, इसका काम और यह क्यों महत्वपूर्ण है.
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राफेल का फ्यूजलेज: भारत में क्या बनेगा?
फ्यूजलेज राफेल जेट का मुख्य शरीर (central body) है. टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड (TASL) हैदराबाद में एक अत्याधुनिक फैक्ट्री बनाएगा, जहां राफेल के फ्यूजलेज के निम्नलिखित हिस्से बनेंगे...
फ्यूजलेज क्या है?
फ्यूजलेज किसी भी विमान का मुख्य ढांचा होता है, जिसे आसान भाषा में विमान का शरीर कह सकते हैं. यह विमान का वह हिस्सा है जो पंखों, पूंछ और इंजन को छोड़कर बाकी सारी संरचना को जोड़ता है. राफेल जैसे फाइटर जेट में फ्यूजलेज का डिज़ाइन स्टील्थ (रडार से बचने की क्षमता) और मजबूती के लिए बहुत खास होता है.
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राफेल फ्यूजलेज की विशेषताएं (स्पेसिफिकेशन्स)
राफेल का फ्यूजलेज एक हाई-टेक संरचना है, जिसे बनाने में उन्नत सामग्री और तकनीक का उपयोग होता है. नीचे इसके मुख्य विनिर्देश दिए गए हैं...
आकार और वजन
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डिज़ाइन
एरोडायनामिक शेप: हवा में कम घर्षण और तेज गति के लिए.
कैनार्ड डेल्टा विंग कॉन्फिगरेशन: राफेल में आगे छोटे कैनार्ड विंग्स और पीछे डेल्टा (त्रिकोण) आकार के पंख फ्यूजलेज से जुड़े होते हैं, जो उड़ान में स्थिरता और मैन्यूवरेबिलिटी देते हैं.
मॉड्यूलर स्ट्रक्चर: फ्यूजलेज को फ्रंट, सेंट्रल और रियर सेक्शन्स में बांटा गया है, जो निर्माण और रखरखाव को आसान बनाता है.
क्षमता
परफॉर्मेंस
फ्यूजलेज का काम क्या है?
फ्यूजलेज राफेल जेट का रीढ़ की हड्डी है. इसके मुख्य काम हैं...
संरचना को जोड़ना
फ्यूजलेज पंखों, पूंछ, इंजन और लैंडिंग गियर को एक साथ जोड़ता है, जिससे विमान एक इकाई के रूप में काम करता है. यह विमान को मजबूती देता है ताकि वह हवा में तेज गति और युद्ध की स्थितियों में टिक सके.
हथियार और उपकरण रखना
फ्यूजलेज में मिसाइल्स (जैसे मिका, स्कैल्प), बम और लेजर-गाइडेड हथियार रखने की जगह होती है. इसमें रडार, सेंसर और इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम भी लगे होते हैं, जो युद्ध में महत्वपूर्ण हैं.
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पायलट की सुरक्षा
फ्रंट फ्यूजलेज में कॉकपिट होता है, जो पायलट को सुरक्षित रखता है. इसमें इजेक्शन सीट और बुलेटप्रूफ कैनोपी होती है.
ईंधन भंडारण
सेंट्रल और रियर फ्यूजलेज में ईंधन टैंक होते हैं, जो लंबी उड़ानों के लिए जरूरी हैं. राफेल में 4,700 किलोग्राम आंतरिक ईंधन क्षमता है.
एरोडायनामिक्स और स्टील्थ
फ्यूजलेज का आकार हवा में कम प्रतिरोध और ज्यादा गति देता है. इसका स्टील्थ डिज़ाइन रडार सिग्नल को कम करता है, जिससे दुश्मन का पता लगाना मुश्किल होता है.
फ्यूजलेज क्यों महत्वपूर्ण है?
फ्यूजलेज राफेल का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है क्योंकि...
विमान की ताकत
फ्यूजलेज के बिना विमान का ढांचा नहीं बन सकता. यह विमान को युद्ध में 9G तक के मोड़ (हाई-स्पीड टर्न) और भारी हथियार ले जाने की क्षमता देता है. राफेल का फ्यूजलेज 16.7 किमी ऊंचाई पर टारगेट को इंटरसेप्ट कर सकता है, जैसा कि भारतीय वायुसेना ने दिखाया.
भारत की रक्षा क्षमता: भारत ने 36 राफेल (वायुसेना) और 26 राफेल-एम (नौसेना) खरीदे हैं. हैदराबाद में फ्यूजलेज बनने से भारत इन जेट्स के रखरखाव और उत्पादन में आत्मनिर्भर होगा. यह 7.4 बिलियन डॉलर की डील का हिस्सा है, जिसमें स्वदेशी हथियार (जैसे अस्त्र मिसाइल) को राफेल में जोड़ा जाएगा.
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आर्थिक और तकनीकी लाभ: हैदराबाद फैक्ट्री से हजारों नौकरियां पैदा होंगी और स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा. भारत वैश्विक एयरोस्पेस सप्लाई चेन का हिस्सा बनेगा, जो राफेल को भारत और अन्य देशों (जैसे इंडोनेशिया, सर्बिया) के लिए बनाएगा. टेक्नोलॉजी ट्रांसफर से भारतीय इंजीनियरों को हाई-टेक मैन्युफैक्चरिंग सीखने का मौका मिलेगा.
मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत: यह पहल भारत को एयरोस्पेस हब बनाएगी, जिससे अन्य विमान (जैसे LCA तेजस, AMCA) के लिए भी तकनीक विकसित होगी. एरिक ट्रैपियर (दसॉल्ट के CEO) ने कहा कि यह भारत में हमारी सप्लाई चेन को मजबूत करेगा. सुकरन सिंह (TASL के CEO) ने कहा कि यह भारत की एयरोस्पेस यात्रा में बड़ा कदम है.
रणनीतिक महत्व: भारत-चीन सीमा पर तनाव और पाकिस्तान के साथ चुनौतियों के बीच राफेल भारत की हवाई ताकत बढ़ाता है. फ्यूजलेज का स्थानीय उत्पादन भारत को विदेशी निर्भरता से मुक्त करेगा.
ऋचीक मिश्रा