भारतीय वायुसेना (आईएएफ) के 93वें स्थापना दिवस पर आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने पाकिस्तान के नुकसान पर खुलकर बात की. उन्होंने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान हमने पाकिस्तानी हवाई अड्डों और इंस्टॉलेशनों पर भारी हमले किए. इन हमलों से पाकिस्तान को जमीन पर और हवा में बड़ा झटका लगा. एयर चीफ ने कहा कि पाकिस्तान के नुकसान साफ हैं. हमने कई हवाई अड्डों और जगहों पर सटीक हमले किए.
एयर चीफ ने जमीन पर हुए नुकसान की विस्तार से जानकारी दी. उन्होंने बताया...
एयर चीफ ने कहा कि ये सब हमारे हमलों से हुआ. हमने साफ सबूत इकट्ठा किए हैं. इससे पाकिस्तान की हवाई बेस पर भारी असर पड़ा.
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हवाई युद्ध में भी पाकिस्तान को करारा जवाब मिला. एयर चीफ ने बताया...
कुल मिलाकर, जमीन और हवा में पाकिस्तान को 9-10 फाइटर विमानों का नुकसान हुआ. एयर चीफ ने कहा कि हमारे सिस्टम ने यह सब रिकॉर्ड किया. यह सबूत स्पष्ट हैं.
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यह ऑपरेशन 1971 के बाद का सबसे विनाशकारी अभियान था. वायुसेना ने 'अचूक' (सटीक), 'अभेद्य' (अटूट) और 'सटीक' साबित किया. सभी सेनाओं – थल, वायु और नौसेना – ने मिलकर काम किया. लॉन्ग रेंज एसएएम मिसाइलों ने खेल पलट दिया.
एयर चीफ ने गर्व से कहा कि हमने सिर्फ एक रात में दुश्मन को घुटनों पर ला दिया. यह सफलता आत्मनिर्भरता और वायु शक्ति की ताकत दिखाती है. प्रेस कॉन्फ्रेंस में एयर चीफ ने भविष्य की तैयारियों पर भी जोर दिया, जैसे एलसीए मार्क-1ए और थिएटर कमांड.
यह बयान वायुसेना के 93वें वर्षगांठ समारोह के हिस्से के रूप में आया. एयर चीफ अमर प्रीत सिंह ने कहा कि इंटेलिजेंस रिपोर्ट्स से जो जानकारी मिली, वह साफ बता रही है कि ऑपरेशन सिंदूर ने पाकिस्तान की हवाई ताकत को कमजोर कर दिया. यह अभियान पहलगाम हमले के बाद का सबसे बड़ा कदम था, जिसमें वायुसेना ने रातोंरात दुश्मन को घुटनों पर ला दिया. एयर चीफ ने जोर देकर कहा कि हमारे हमले सटीक थे और न्यूनतम नुकसान के साथ लक्ष्य हासिल किया.
हमारी मजबूत एयर डिफेंस सिस्टम ने खेल पलट दिया. लॉन्ग रेंज एसएएम मिसाइलों ने दुश्मन को पीछे धकेल दिया. सबसे लंबा टारगेट किल 300 किलोमीटर से ज्यादा का था. यह इतिहास में दर्ज होगा. हमने सटीक हमले किए, न्यूनतम नुकसान के साथ. सिर्फ एक रात में दुश्मन को घुटनों पर ला दिया.
1971 के बाद पहली बार इतना विनाशकारी अभियान ऑपरेशन सिंदूर में दिखा. वायुसेना ने साबित किया कि वह अचूक, अभेद्य और सटीक है. सभी सेनाओं – वायु, थल और नौ – ने मिलकर योजना बनाई और अमल किया.
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ऑपरेशन सिंदूर के दौरान गलत सूचनाओं की भरमार थी, लेकिन हमारे मीडिया ने सेनाओं की बहुत मदद की. जनता का मनोबल न गिरे, इसके लिए चैनलों ने योगदान दिया. वायुसेना ने ऑपरेशन सिंदूर के हमलों का वीडियो भी जारी किया है. जरूरत पड़ने पर कैमरा फीड से और जानकारी ली जा सकती है.
ऑपरेशन सिंदूर के अलावा, वायुसेना ने कई मानवीय सहायता मिशन चलाए. असम, सिक्किम, हिमाचल प्रदेश, पंजाब और अन्य जगहों पर मदद पहुंचाई. हमने लोगों की जिंदगी बचाई और राहत दी. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सक्रियता रही.
यूएई, मिस्र, फ्रांस, सिंगापुर जैसे देशों के साथ द्विपक्षीय और बहुपक्षीय अभ्यास किए. इन देशों के कमांडरों ने तारीफ की और कहा कि वे अभ्यास जारी रखना चाहते हैं. ग्रुप कैप्टन सुभांशु शुक्ला ने अपना मिशन सफलतापूर्वक पूरा किया. यह साल अच्छा रहा, लेकिन आगे के समय के बारे में सोचना होगा.
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अगला युद्ध पिछले जैसा नहीं होगा. हमें वर्तमान और भविष्य के युद्धों के लिए तैयार रहना होगा. दुनिया भर की घटनाओं पर नजर रखनी है. 2047 तक का रोडमैप तैयार है, जिसमें आत्मनिर्भरता (आत्मनिर्भर भारत) मुख्य है. एलसीए मार्क-1ए के ऑर्डर दिए जा चुके हैं.
एलसीए मार्क-2 और आईएमआरएच भी पाइपलाइन में हैं. कई रडार और सिस्टम विकसित हो रहे हैं. हम आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहे हैं, लेकिन जरूरत पड़ी तो रणनीतिक तकनीक ले सकते हैं. गैप भरने के लिए काम चल रहा है. भविष्य का युद्ध हमेशा एकीकृत होगा – सभी सेनाओं और एजेंसियों के साथ. ऑपरेशन सिंदूर से हमने सबक सीखे. इससे वायु शक्ति की अहमियत फिर साबित हुई.
एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एएमसीए) और रूसी सुखोई-57 पर पूछा गया. एयर चीफ एपी सिंह ने कहा कि यह एडीए और डीआरडीओ के क्षेत्र में है. मुझे लगता है कि यह दशक में उड़ान भरेगा. तेजस मार्क-1ए जैसा कठिन काम है. सुखोई-57 पर सभी विकल्प तौलेंगे. रक्षा में प्रक्रिया है, जो भी फैसला होगा, सबसे अच्छा होगा.
शिवानी शर्मा