राफेल के खिलाफ चीन-PAK ने चलाया फेक कैंपेन, J-35 बेचने की साजिश की अमेरिकी रिपोर्ट से खुली पोल

मई 2025 भारत-पाक संघर्ष के बाद चीन ने बड़ा डिसइन्फॉर्मेशन अभियान चलाया. फेक अकाउंट्स और AI से बनी नकली तस्वीरों से राफेल को गिरा हुआ दिखाया ताकि अपना J-35 बेच सके. अमेरिकी रिपोर्ट में खुलासा यह खुलासा हुआ है. भारत में कुछ लोग इसे जोर-शोर से फैलाते रहे, जबकि वायुसेना ने कहा सभी राफेल सुरक्षित हैं. चीन का ग्रे जोन हमला साबित हुआ.

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ऑपरेशन सिंदूर में राफेल गिराने के पाकिस्तान के दावे के पीछे चीन की साजिश थी. (File Photo: X/IAF) ऑपरेशन सिंदूर में राफेल गिराने के पाकिस्तान के दावे के पीछे चीन की साजिश थी. (File Photo: X/IAF)

प्रणय उपाध्याय

  • नई दिल्ली,
  • 19 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 1:34 PM IST

अमेरिका की एक नई खुफिया रिपोर्ट ने बड़ा खुलासा किया है. मई 2025 में जब भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर किया था, उसके ठीक बाद चीन ने फ्रांस के राफेल लड़ाकू विमानों की बिक्री रोकने के लिए पूरा-पूरा झूठ का जाल बिछाया. मकसद? अपना नया लड़ाकू विमान J-35 बेचना.

क्या-क्या किया चीन ने?

रिपोर्ट के अनुसार चीन ने ये काम किए...

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  • हजारों फेक सोशल मीडिया अकाउंट बनाए.
  • AI से नकली तस्वीरें बनाईं जिनमें दिखाया गया कि राफेल विमानों के टुकड़े-टुकड़े हो गए हैं.
  • ये फोटो वायरल करवाए गए ताकि दुनिया में मैसेज जाए कि राफेल कमजोर है, पाकिस्तान ने चीनी हथियारों से इसे मार गिराया.
  • चीनी दूतावासों ने इसे सेलिंग पॉइंट बनाया – यानी दुनिया को बताया कि देखो, हमारे हथियारों ने राफेल को हरा दिया.

लेकिन सच क्या था?

भारतीय वायुसेना ने साफ कहा था – हमारे सभी विमान सुरक्षित हैं. सिर्फ तीन पुराने मिग-21 विमान ही नुकसान में आए थे, राफेल को खरोंच तक नहीं आई. फिर भी चीनी प्रोपगंडा महीनों तक चलता रहा.

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यहां नीचे देखिए J-35 की वीडियो

भारत के अंदर कौन बना चीन का साथी?

सबसे दुखद बात यह है कि यह झूठ विदेशों में ही नहीं, भारत के अंदर भी जोर-शोर से फैलाया गया. कुछ लोग और ग्रुप ऐसे थे जो...

रोज़ पूछते थे – कितने राफेल गिरे? सबूत दो. नकली तस्वीरें शेयर करते रहे, जबकि वायुसेना ने कहा था कि युद्ध के समय ऑपरेशनल जानकारी देना देश की सुरक्षा को खतरे में डाल सकता है. सोशल मीडिया पर यही लोग सबसे ज्यादा शोर मचा रहे थे. अमेरिकी रिपोर्ट में साफ लिखा है कि चीन ने बाहर से अभियान चलाया, लेकिन भारत में कुछ लोग खुद ही उसकी आवाज़ बन गए.

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यह पहली बार नहीं है

अमेरिकी रिपोर्ट में चीनी ग्रे जोन गतिविधियां की पूरी लिस्ट है. कुछ और उदाहरण...

  • फिलीपींस के मछुआरों को मार भगाना.
  • दक्षिण चीन सागर में जहाजों को डराना-धमकाना.
  • अफ्रीकी देशों से महत्वपूर्ण खनिज न खरीदने देना.
  • फॉक्सकॉन कंपनी पर दबाव डालना कि वहां निवेश रोके.
  • ताइवान के चुनाव से पहले चीनी सामान पर जांच शुरू करना.
  • अंतरिक्ष में भी उपग्रहों से दूसरे देशों के उपग्रह खराब करने की कोशिश.

आसान शब्दों में समझें ग्रे जोन क्या है?

ग्रे जोन मतलब न युद्ध, न शांति. बिल्कुल बीच का रास्ता. न गोली चलती है, न युद्ध घोषणा होती है, लेकिन दूसरे देश को नुकसान पहुंचाया जाता है – झूठ, दबाव, साइबर हमले, आर्थिक धमकी से.

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अब भारत क्या कर सकता है?

  • सोशल मीडिया पर नकली खबरें फैलाने वालों पर सख्त कार्रवाई.
  • लोगों को जागरूक करना कि विदेशी प्रोपगंडा में न फंसें.
  • अपनी खुफिया एजेंसियों को और मजबूत करना ताकि ऐसे अभियान पहले ही पकड़े जाएं.

यह रिपोर्ट बताती है कि आज की लड़ाई सिर्फ बॉर्डर पर नहीं, हमारे फोन की स्क्रीन पर भी हो रही है. जो लोग बिना सोचे-समझे नकली तस्वीरें और अफवाहें फैलाते हैं, वे अनजाने में दूसरे देश के हथियार बन जाते हैं.

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