जयपुरः जिस्मफरोशी की आड़ में ब्लैकमेलिंग गिरोह चला रहा था BJP नेता का बेटा

राजस्थान में एक बार फिर स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी) ने एक ऐसे गिरोह का भंडाफोड़ किया है, जो जिस्मफरोशी की आड़ में ब्लैकमेलिंग का रैकेट चला रहे थे. एसओजी ने खुलासा किया कि एक बीजेपी नेता का बेटा और राजस्थान सरकार का सरकारी वकील यह गिरोह चला रहा था.

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जिस्मफरोशी के नाम पर लोगों को ब्लैकमेल कर रहा था गिरोह जिस्मफरोशी के नाम पर लोगों को ब्लैकमेल कर रहा था गिरोह

शरत कुमार

  • जयपुर,
  • 13 फरवरी 2017,
  • अपडेटेड 2:21 PM IST

राजस्थान में एक बार फिर स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी) ने एक ऐसे गिरोह का भंडाफोड़ किया है, जो जिस्मफरोशी की आड़ में ब्लैकमेलिंग का रैकेट चला रहे थे. एसओजी ने खुलासा किया कि एक बीजेपी नेता का बेटा और राजस्थान सरकार का सरकारी वकील यह गिरोह चला रहा था.

एसओजी के मुताबिक, राजस्थान के जयपुर स्थित एक पॉश इलाके में जिस्मफरोशी की आड़ में गिरोह के सरगना अनिल यादव ने ब्लैकमेलिंग का खेल शुरू किया. दरअसल यह लोग ऑनलाइन वेबसाइट 'जस्ट डायल' के जरिए लोगों को मसाज पार्लर की आड़ में अपने पास बुलाते थे और फिर शुरू होता था ब्लैकमेल करने का खेल.

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'जस्ट डायल' पर स्पा सेंटर की सर्विस के लिए कॉल करने वाले ग्राहकों की कॉल्स को गिरोह में शामिल दोनों महिलाएं रिसीव करती थी. जब ग्राहक इनके बताए गए पते पर पहुंच जाता था तो फिर ग्राहक को फंसाने के लिए एक्स्ट्रा सर्विस यानी जिस्मफरोशी का भी ऑप्शन दिया जाता था. जिसके बाद मौके पर एक पुलिस वाला रेड करता और ग्राहक को रंगे हाथों पकड़ने का नाटक करता था.

दरअसल इस गिरोह में फंसे हुए शिकार को धमकी देकर वसूली करने के लिए पुलिस का एक थानेदार भी शामिल था. एएसपी करण शर्मा ने बताया कि यह गैंग पिछले दो साल से जिस्मफरोशी की आड़ में लोगों को ब्लैकमेल कर रहा था. गैंग ने अभी तक करीब आधा दर्जन लोगों से 50 लाख रुपये की वसूली की है.

गिरफ्त में आई गैंग की दोनों महिला सदस्य अजमेर की रहने वाली हैं. फिलहाल गैंग का सरगना अनिल यादव अभी फरार है. एएसपी शर्मा ने कहा, यादव की गिरफ्तारी के बाद इस मामले में और कई चौंकाने वाले खुलासे होने की उम्मीद है. फिलहाल एसओजी की कई टीम सरकारी वकील अनिल यादव और गिरोह में शामिल अन्य सदस्यों की तलाश में जगह-जगह दबिश दे रही हैं.

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बताते चलें कि राजस्थान की वसुंधरा सरकार ने बीजेपी नेता के बेटे अनिल यादव को राजनीतिक नियुक्ति देते हुए 11 फरवरी, 2014 को सरकारी वकील बनाया था. मामले का खुलासा होने के बाद राज्य में ब्लैकमेलिंग से जुड़े मामलों में एसओजी के पास कुल 11 मुकदमे दर्ज हुए थे. पुलिस की मानें तो अभी भी कुछ पीड़ित समाज में बदनामी के डर से सामने नहीं आए हैं.

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