नवी मुंबई में स्कूल के सामने IED प्लांट करने वाले आरोपी गिरफ्तार

नवी मुंबई पुलिस ने एक ऐसे साजिश रचने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया है. जिन्होंने एक स्कूल के सामने IED प्लांट किया था.

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नवी मुंबई पुलिस (प्रतीकात्मक) नवी मुंबई पुलिस (प्रतीकात्मक)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 05 जुलाई 2019,
  • अपडेटेड 7:21 PM IST

नवी मुंबई पुलिस ने एक ऐसे गिरोह का पर्दाफाश किया है जिन्होंने एक स्कूल के सामने IED प्लांट किया था.  हाल ही में नवी मुंबई में एक स्कूल के बाहर विस्फोट करने के लिए लगाया गया IED बरामद हुआ था. इस IED को 17 जून को नवी मुंबई के कलांबोली में एक स्कूल के मुख्य गेट पर लगाया गया था. जिसके बाद पुलिस मामले की जांच में जुट गई. जांच में पाया गया कि इस IED को तीन रियल एस्टेट एजेंटों ने लगाया गया था. जिसके बाद पुलिस के तीन रियल एस्टेट एजेंटों को गिरफ्तार कर लिया गया. पुलिस के मुताबिक इस गिरोह ने नवी मुंबई के बिल्डरों से जबरन वसूली करने के लिए पूरी साजिश रची थी.

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बरामद IED थर्माकोल बॉक्स में पैक था

स्कूल के IED मलने के बाद पुलिस की SIT (विशेष जांच दल) में दल जुट गई. इस SIT (विशेष जांच दल) का गठन नवी मुंबई के पुलिस आयुक्त संजय कुमार ने किया था. स्कूल के बाहर मिले IED की जांच में पता चला. IED में एक थर्माकोल बॉक्स था. जिसके अंदर एक प्लास्टिक का डिब्बा रखा गया था. उस डिब्बे में एक स्क्रू लगा हुआ था जिसको हटाने पर अंदर एक सीमेंट बॉक्स नजर आ रहा था.  इस सीमेंट बॉक्स में 12 वोल्ट की बैटरी से जुड़ी एनालॉग अलार्म घड़ी से तार जोड़ा गया था. घड़ी में 1 बजे का अलार्म सेट किया गया था. साथ ही पांच लीटर तेल भी लगाया गया था. जिसमें कथित तौर पर चार लीटर पेट्रोल होता है जो धमाका होते ही आग की लपटों की वजह बन जाता.

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आरोपी को पकड़ना था चुनौती

सबसे बड़ी चुनौती थी उन लोगों को पकड़ना जिन्होंने इस घटना को अंजाम देने के लिए साजिश रची थी. पुलिस को उन व्यक्तियों और वाहन की भी पहचान करनी थी, जिनका इस्तेमाल आरेपियों ने IED लगाने के लिए किया था. दुकानों और स्कूल के सीसीटीवी फुटेज को कई बार खंगालने के बाद पता चला कि आरोपियों ने जिस बाइक का इस्तेमाल किया उसे कई स्थानों पर देखा गया है. कड़ी मशक्कत के बाद 40 सीसीटीवी कैमरों के फुटेज का विश्लेषण किया गया.

नवी मुंबई अपराध शाखा के डीसीपी तुषार दोशी ने बताया कि घटनास्थल से कई वाहनों का आना-जाना रहता है. ऐसे में आरोपी का पता लगा पाना काफी मुशकिल था. उन्होंने कहा, 'घटनास्थल पर और उसके आसपास मौजूद सीसीटीवी फुटेज के साथ-साथ, कई मोबाइल फोनों के डंप डेटा का विश्लेषण किया जाना था. जांच के बाद हमें एक बाइक के नंबर का पता चला जो हमें  मुंबई के उलवे के इलाके में एक दीपक दांडेकर नाम के एस्टेट एजेंट पास ले गई.'

दांडेकर ने कहा, 'वो जबरन वसूली का मास्टरमाइंड है. जिसमें उसके दोस्त मनीष भगत और पुणे के सुशील साठे भी शामिल हैं. आरोपी दांडेकर के पिता एक खदान चलाते हैं. जहां जिलेटिन और अमीनियम नाइट्रेट का उपयोग करके नियंत्रित ब्लास्टिंग की जाती है. आरोपी ने बताया, 'पिता की खदान से मुझे नियंत्रित ब्लास्टिंग के बारे में जानने में मदद मिली. भगत और साठे को जानकारी थी कि खदानों में नियंत्रित ब्लास्टिंग के लिए इस्तेमाल की जाने वाली चीजों का उपयोग करके विस्फोटक कैसे बनाया जाए. हमने नवी मुंबई में कई बिल्डरों को निशाना बनाने की योजना बनाई थी. हमने आईईडी ब्लास्ट को अंजाम देने के बाद अपनी हिट लिस्ट में कुछ बिल्डरों को धमकी भरे संदेश भेजे थे.'

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आरोपी तिकड़ी ने पुलिस को बताया है कि उन्होंने विस्फोट सफल होने के बाद संदेश भेजने की योजना बनाई थी और इसे इस तरह से बनाया था कि इससे किसी भी इंसान को बिना चोट पहुंचाए घटना को अंजाम दिया जा सके. यहां तक ​​कि टाइमर भी सेट 1 बजे के लिए था.'

बिल्डरों से जबरन वसूली करने के लिए रची थी साजिश

आरोपियों ने पूछताछ में खुलासा किया कि उन्होंने घटनास्थल पर एक नियंत्रित समय पर विस्फोट करने के लिए अमोनियम नाइट्रेट पाउडर और जिलेटिन की छड़ें खरीदी थीं.  उन्होंने बताया लोगों को विस्फोट से बचाने के लिए, हमने पहले चुने हुए स्थान को बदल दिया और वो स्थान चुना जो दुकान के नजदीक थी. निर्धारित स्थान बिल्डरों के निवास स्थान में से एक के करीब था और यदि विस्फोट सफल रहता तो बिल्डर से 2 करोड़ रुपये के जबरन धन की मांग करते और साथ मे धमकी भरे संदेश भी भेजते.

लेकिन विस्फोट नाकाम रहा. क्योंकि सुरक्षा गार्ड को कथित तौर पर IED का पता चलते ही कुछ तारों को खींच लिया. जिसकी वजह से IED ने काम करना बंद कर दिया.

इस बीच IED पर FSL रिपोर्ट अभी आनी बाकी है जो IED का प्रभाव और क्षति विश्लेषण का आकलन करने में मदद कर सकती है. फिलहाल तीनों आरोपियों को शुक्रवार को अदालत में पेश किया जाएगा.

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