'भाग सकते हो, लेकिन बच नहीं सकते'... जम्मू-कश्मीर पुलिस के ट्वीट से जुड़ा दिल्ली ब्लास्ट का कनेक्शन, जानें पूरी कहानी

जम्मू-कश्मीर पुलिस के दो ट्वीट और दिल्ली धमाके का गहरा रिश्ता है. डॉक्टर उमर, डॉक्टर मुजम्मिल और डॉक्टर अदील ने जैश-ए-मोहम्मद और अंसार ग़ज़वातुल हिंद के टेरर मॉड्यूल को तैयार किया. फिर एक ट्वीट ने डॉक्टर उमर की ज़िंदगी खत्म कर दी. जानिए कैसे हुआ ये सब?

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डॉ. उमर नबी ने जम्मू कश्मीर पुलिस की दूसरी X पोस्ट के बाद धमाका किया (फोटो-ITG) डॉ. उमर नबी ने जम्मू कश्मीर पुलिस की दूसरी X पोस्ट के बाद धमाका किया (फोटो-ITG)

परवेज़ सागर

  • नई दिल्ली,
  • 14 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 2:58 PM IST

Jammu Kashmir Police Tweet & Delhi Blast: दिल्ली धमाके की कहानी जितनी चौंकाने वाली है, उसके पीछे उतनी ही खौफनाक साजिश भी है. आतंक की इस पटकथा के किरदार कोई आम अपराधी नहीं, बल्कि जाने-माने डॉक्टर थे. वही डॉक्टर जिन्हें ज़िंदगियां बचाने के लिए जाना जाता है, लेकिन इन चंद डॉक्टरों ने मौत का खेल चुना. केंद्रीय एजेंसियां और कई राज्यों की पुलिस इस मामले की छानबीन में जुटी हैं. इसी दौरान जम्मू कश्मीर पुलिस के दो ट्वीट्स चर्चाओं में हैं, जिनमें जैश-ए-मोहम्मद से जुड़े मॉड्यूल का खुलासा किया गया था, और दूसरे में एक मैसेज था- “You can run, but you can’t hide.” इस ट्वीट के कुछ ही मिनटों बाद दिल्ली के लाल किले के सामने धमाका हो गया और यहीं से खुली उस “टेरर मॉड्यूल ऑफ डॉक्टर्स” की परतें, जिनके तार पुलवामा, श्रीनगर, फरीदाबाद और सहारनपुर तक फैले थे.

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10 नवंबर 2025
उस दिन यानी सोमवार की दोपहर 1 बज कर 40 मिनट पर जम्मू एंड कश्मीर पुलिस ने एक ट्वीट किया. इस ट्वीट के जरिए जम्मू कश्मीर पुलिस ने एक प्रेस रिलीज जारी की थी. उस प्रेस रिलीज में कहा गया था कि जम्मू कश्मीर पुलिस ने एक इंटरस्टेट और ट्रांस नेशनल टेरर मॉड्यूल का पर्दाफाश किया है. जिसका ताल्लुक आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद और अंसार ग़ज़वातुल हिंद से है. 

उस प्रेस रिलीज में भारी मात्रा में हथियार और बारूद की बरामदगी के साथ-साथ सात लोगों की गिरफ्तारी की जानकारी भी दी गई थी. गिरफ्तार किए गए लोगों के नाम थे- आरिफ निसार डार, यासिरउल अशरफ, मकसूद अहमद डार, मौलवी इरफान अहमद, जमीर अहमद एहंगर, डॉ मुजम्मिल अहमद गनाई और डॉ. अदील. इसी प्रेस रिलीज में आगे कहा गया था कि इस मामले में कुछ और लोगों की शिनाख्त की जा चुकी है और उन्हें जल्द ही गिरफ्तार कर लिया जाएगा.

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Inter-state terror module linked with terrorists organisations Jaish-e-Mohammed (JeM) and Ansar Ghazwat-ul-Hind (AGuH) busted. pic.twitter.com/TNSd8PGV7g

— J&K Police (@JmuKmrPolice) November 10, 2025

इस ट्वीट के ठीक साढ़े 4 घंटे बाद जम्मू कश्मीर पुलिस ने एक और ट्वीट किया. ये ट्वीट दस नवंबर यानी सोमवार की शाम ठीक 6 बज कर 10 मिनट पर किया गया था. इस बार वो ट्वीट सिर्फ एक लाइन का था. जिसमें लिखा था- यू कैन रन. बट यू कान्ट हाइड. यानी तुम भाग तो सकते हो, पर छुप नहीं सकते. 

अब सवाल ये है कि जम्मू कश्मीर पुलिस के इन दो ट्वीट का दस नवंबर यानी सोमवार शाम को लाल किले के सामने हुए कार ब्लास्ट से क्या संबंध है? 

दिल्ली ब्लास्ट और पुलिस के ट्वीट की कहानी
तो चलिए अब कहानी आपको सिलसिलेवार पूरी कहानी बताते हैं. जम्मू कश्मीर पुलिस ने जब दोपहर 1 बज कर 40 मिनट पर प्रेस रिलीज की शक्ल में पहला ट्वीट किया, उस वक्त आई20 कार चला रहा डॉक्टर उमर नबी बारूद से भरी कार को दिल्ली की सड़कों पर इधर-उधर घुमा रहा था. 

इस ट्वीट से एक दिन पहले यानी 9 नंवबर की रात तक डॉक्टर उमर को पता चल चुका था कि फरीदाबाद में डॉक्टर मुजम्मिल के ठिकाने पर जम्मू कश्मीर पुलिस दबिश डाल चुकी है. इसके बाद 9 नवंबर की रात से ही डॉक्टर उमर उसी आई20 कार में इधर-उधर छुपता रहा. दस नवंबर की दोपहर जब 1 बज कर 40 मिनट पर जम्मू कश्मीर पुलिस का पहला ट्वीट आया, तब तक डॉ उमर समझ चुका था कि अब वो भी कभी भी पकड़ा जा सकता है. 

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फरीदाबाद से दिल्ली आने के बाद 10 नवंबर को डॉ उमर सबसे पहले ओखला इंडस्ट्रियल एरिया गया. वहां वो काफी देर तक अपनी आई20 कार रोक कर खड़ा रहा. फिर ओखला इंडस्ट्रियल एरिया से वो कनॉट प्लेस पहुंचा. तब दोपहर का वक्त था. कनॉट प्लेस से दोपहर 3 बज कर 19 मिनट पर वो लाल किले के आहाते में मौजूद सुनहरी मस्जिद की पार्किंग में पहुंचा. पार्किंग में उसने आई20 कार पार्क की और उसी कार में बैठा रहा. 

'You can run but you can't hide !'

— J&K Police (@JmuKmrPolice) November 10, 2025

शाम 6 बज कर 10 मिनट पर जम्मू कश्मीर पुलिस का दूसरा ट्वीट आया. जिसमें लिखा था- यू कैन रन. बट यू कान्ट हाइड. यानी तुम भाग तो सकते हो, पर छुप नहीं सकते. दरअसल ये ट्वीट डॉक्टर उमर के लिए ही था. क्योंकि जैश के जिस मॉड्यूल का पर्दाफाश करने का दावा जम्मू कश्मीर पुलिस ने किया था, उस मॉड्यूल का लीडर डॉ. उमर ही था. फरीदाबाद में जम्मू कश्मीर पुलिस का ऑपरेशन और उससे पहले साथी डॉ मुजम्मिल और डॉ अदील की गिरफ्तारी की खबर डॉ उमर को पहले से लग चुकी थी. 

सूत्रों के मुताबिक, दूसरे ट्वीट को पढ़ने के बाद ही डॉ उमर पैनिक में आ गया. यानी घबरा गया. दूसरे ट्वीट के बाद और लाल किले की पार्किंग से डॉ उमर के निकलने की टाइमिंग इस थ्योरी को मजबूत करती है. दूसरे ट्वीट के आने के ठीक 13 मिनट बाद शाम 6 बज कर 23 मिनट पर डॉ. उमर अचानक पार्किंग से गाड़ी निकालता है. हालांकि इससे पहले वो इसी आई20 कार में पूरे 3 घंटे और 4 मिनट तक पार्किंग में ही बैठा रहा. फिर पार्किंग से निकलने के ठीक 15 मिनट बाद 6 बजकर 38 मिनट पर लाल किले के सामने वाली सड़क पर डॉ उमर की आई20 कार में धमाका हो जाता है. 

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जम्मू कश्मीर पुलिस सूत्रों के मुताबिक जब अक्टूबर में पहली बार इस मॉड़्यूल का खुलासा हुआ और डॉ मुजम्मिल की गिरफ्तारी हुई. तभी से डॉ उमर को पुलिस के ऑपरेशन की भनक लग चुकी थी. दूसरे ट्वीट के सामने आने के बाद ही उसे यकीन हो चला था कि पुलिस कभी भी उस तक पहुंच सकती है. बस इसीलिए वो बारूद से भरी कार ले कर घबराहट में पार्किंग से निकला और इसी घबराहट में कार में धमाका हो गया. यानी डॉ उमर को लाल किले के सामने चलती कार में धमाका नहीं करना था. ये सिर्फ और सिर्फ उन दो ट्वीट का असर था, जिसमें गफलत और घबराहट में धमाका हुआ. 

जम्मू कश्मीर पुलिस के अलावा दिल्ली पुलिस और एनआईए सूत्रों का भी यही कहना है कि लाल किले के सामने हुआ धमाका घबराहट का नतीजा था. दिल्ली पुलिस और एनआईए सूत्रों के मुताबिक इस बात की तस्दीक इससे भी होती है कि आई20 कार में जो धमाका हुआ, वो बम --प्रीमैच्योर, नॉट फुल्ली डेवलप्ड-- मतलब आधा अधूरा था और पूरी तरह से तैयार नहीं था. 

कौन था डॉ. उमर?
डॉ उमर कश्मीर के पुलवामा का रहने वाला था. पुलवामा में ही उसने स्कूलिंग की. इसके बाद श्रीनगर के गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज यानी जीएमसी से एमबीबीएस की पढ़ाई की. उमर नीट पीजी के एग्जाम में कश्मीर का टॉपर था. इसीलिए उसे जीएमसी में ही एमडी में भी दाखिला मिल गया. एमडी करने के बाद डॉ. उमर ने जीएमसी अनंतनाग में पहली नौकरी की. पर डेढ़ साल पहले उसने ये नौकरी छोड़ दी थी और फरीदाबाद के अल फलाह यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रीसर्च में बतौर असिस्टेंट प्रोफेसर नौकरी शुरू कर दी थी. 

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घरवालों को आखिरी बार किया था कॉल
30 अक्टूबर को जब जम्मू कश्मीर पुलिस ने डॉ मुजम्मिल को गिरफ्तार किया. उसके बाद से ही डॉ उमर ने अल फलाह यूनिवर्सिटी जाना छोड़ दिया. डॉ. उमर के पास 5 मोबाइल नंबर थे. 30 अक्टूबर के बाद से सभी नंबर भी बंद थे. उमर ने आखिरी बार पिछले शुक्रवार यानी 7 नवंबर को पुलवामा में अपने घर फोन किया था. तब उसने कहा था कि वो तीन दिन बाद घर आने वाला है. ये घर वालों से उसकी आखिरी बातचीत थी. 

कौन है डॉ. मुजम्मिल गनई?
डॉ उमर के घर से मुश्किल से 1 किलोमीटर की दूरी पर डॉ. मुजम्मिल गनई का घर है. मुजम्मिल ने 2017 में जम्मू के बत्रा मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की पढ़ाई की थी. डॉक्टर बनने के बाद उसने कुछ वक्त तक श्रीनगर में शेर-ए-कश्मीर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज़ में नौकरी की. इसके बाद मुजम्मिल भी नौकरी छोड़ कर फरीदाबाद की अल फलाह यूनिवर्सिटी पहुंच गया था. 

मुजम्मिल ने किया डॉक्टर मॉड्यूल का खुलासा
मुजम्मिल की बहन अस्मत भी डॉक्टर है. अस्मत ने बांग्लादेश से डॉक्टरी की पढ़ाई की. 10 नवंबर यानी जिस दिन लाल किले के सामने धमाका हुआ, ठीक उसी दिन अस्मत की शादी थी. लेकिन शादी से पहले अक्टूबर में भाई डॉक्टर मुजम्मिल की गिरफ्तारी के बाद शादी की तारीख आगे बढ़ा दी गई थी. मुजम्मिल आखिरी बार जून में अपने घर आया था. वो डॉक्टर मुजम्मिल ही था, जिसने सबसे पहले जैश के इस नए डॉक्टर मॉड्यूल का खुलासा किया था. उसी की निशानदेही पर फरीदाबाद में उसके किराये के घर पर दबिश डाली गई थी. 

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डॉ. शाहीन शाहिद का किस्सा
जम्मू कश्मीर पुलिस की टीम फरीदाबाद पुलिस की मदद से मुजम्मिल के किराये के घर पहुंची थी. जहां से भारी मात्रा में अमोनियम नाइट्रेट बरामद हुआ था. मुजम्मिल के घर के बाहर ही एक कार से असॉल्ट राइफल भी मिली थी. बाद में पता चला कि ये कार डॉ. मुजम्मिल की दोस्त और अल फलाह यूनिवर्सिटी की डॉक्टर शाहीन शाहिद की है. शाहीन लखनऊ की रहने वाली है. उसने 1996 में सीपीएमटी के एग्जाम में टॉप किया था. जिसके बाद प्रयागराज के मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की पढ़ाई की. 

शाहीन की शादी भी एक डॉक्टर से ही हुई थी. लेकिन साल 2015 में दोनों का तलाक हो गया था. तलाक के बाद भी डॉक्टर शाहीन यूपी में ही नौकरी कर रही थी. लेकिन फिर डॉक्टर मुजम्मिल के संपर्क में आने के बाद उसने यूपी छोड़ दी और वो भी फरीदाबाद की अल फलाह यूनिवर्सिटी में पहुंच गई. 

सहारनपुर से डॉ. अदील की गिरफ्तारी
डॉ. मुजम्मिल की निशानदेही पर ही सहारनपुर से 6 नवंबर को डॉ. अदील की गिरफ्तारी हुई. कुलगाम के काजीगुंड का रहने वाले अदील मजीद राठर ने 2019 में श्रीनगर के गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज यानी जीएमसी से एमबीबीएस की पढ़ाई की थी. 2022 में उसने जीएमसी से ही एमडी कंप्लीट की. साल 2024 तक डॉ. अदील जीएमसी अनंतनाग में सीनियर रेजिडेंट के तौर पर काम करता रहा. 

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फिर अक्टूबर 2024 में वो कश्मीर छोड़ कर सहारनपुर आ गया और वहां एक प्राइवेट अस्पताल में जॉब करने लगा. यानी डॉ. मुजम्मिल, डॉ अदील और डॉ उमर तीनों के ही तार एमबीबीएस या एमडी की पढ़ाई के दौरान ही एक दूसरे से जुड़ चुके थे. बाद में इनमें से दो फरीदाबाद की अल फलाह यूनिवर्सिटी पहुंचे और तीसरा सहारनपुर. और यहीं से इन डॉक्टरों का आतंकी खेल शुरू हो गया था.

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