देश की सुरक्षा एजेंसियों के लिए लंबे समय से चुनौती रहा कुख्यात नक्सली नेता माडवी हिडमा का मंगलवार की सुबह मारा गया. आंध्र प्रदेश पुलिस ने अल्लूरी सीताराम राजू जिले में एक ऐसे ऑपरेशन को अंजाम दिया, जो कई दिनों की इंटेलिजेंस वॉच, साइलेंट मूवमेंट और मिनट-टू-मिनट मॉनिटरिंग का नतीजा है. इस मुठभेड़ में हिडमा के साथ उसकी पत्नी मदकम राजे और चार माओवादी भी मारे गए.
आंध्र प्रदेश इंटेलिजेंस चीफ आईपीएस महेश चंद्र लड्ढा के मुताबिक, इस ऑपरेशन की शुरुआत खुफिया इनपुट मिलने के बाद से हुई. पुलिस को पता चला कि छत्तीसगढ़ में दबाव झेल रहा माओवादी नेटवर्क अब आंध्र प्रदेश में शिफ्ट होने की कोशिश कर रहा है. कुछ दिनों से लगातार संकेत मिल रहे थे कि बड़े माओवादी नेता अपनी संगठनात्मक गतिविधियों को फिर से सक्रिय करने के लिए सीमा पार कर चुके हैं.
इस इनपुट के बाद आंध्र पुलिस ने हाई-इंटेंसिटी निगरानी शुरू कर दी. मंगलवार की सुबह करीब 6 बजे जो हुआ, वह पिछले 34 घंटे की सतत मॉनिटरिंग का परिणाम था. मारेदुमिल्ली मंडल क्षेत्र में माओवादियों और सुरक्षा बलों के बीच भीषण गोलीबारी हुई. इस एनकाउंटर में सेंट्रल कमेटी मेंबर और साउथ बस्तर फर्स्ट बटालियन कमांडर माडवी हिडमा ढेर हो गया. उसकी पत्नी और अंगरक्षक भी मारे गए.
हिडमा के सिर पर था 1 करोड़ का इनाम
पुलिस के मुताबिक, माडवी हिडमा पर 50 लाख से 1 करोड़ रुपए तक का इनाम था. पिछले एक दशक में पैरामिलिट्री फोर्सेज़ पर 26 बड़े हमलों का मास्टरमाइंड था. बस्तर, सुकमा, दंतेवाड़ा से लेकर मलकानगिरी तक फैले माओवादी कॉरिडोर में कई घातक हमलों की प्लानिंग और कोऑर्डिनेशन करता था. उसकी जंगल की समझ, टैक्टिकल डिसिप्लिन और स्थानीय नेटवर्क का बहुत मजबूत था.
नक्सल गतिविधियों पर 34 घंटे तक नजर
इस वजह से सुरक्षा बलों की भारी तैनाती के बावजूद बच निकलने में सफल हो जाता था. लेकिन इस बार हालात अलग थे. इंटेलिजेंस एजेंसियों ने लोकल सोर्स से मिली जानकारी के आधार पर माडवी हिडमा की गतिविधियों पर करीब 34 घंटे तक नजर रखी. उसकी मूवमेंट, ठिकाने और संभावित रूट की हर लेयर को मैप किया गया. इसके बाद एक प्रशिक्षित टीम को ऑपरेशन के लिए तैयार किया गया.
ग्रेहाउंड के नेतृत्व में की गई तगड़ी प्लानिंग
ग्रेहाउंड के नेतृत्व में प्लानिंग की गई और सेंट्रल सिक्योरिटी फोर्स के कई लेवल को एनकाउंटर साइट के आसपास तैनात किया गया. सोमवार की रात करीब 2 बजे ऑपरेशन शुरू हुआ. घने जंगलों और ऊबड़-खाबड़ पहाड़ियों के बीच चार घंटे तक लगातार फायरिंग चलती रही. इन जंगलों की संरचना, जिनमें खड़ी चढ़ाइयां और तंग रास्ते हैं, हमेशा से माओवादियों के पक्ष में रहती थीं.
एनकाउंटर साइट पर हथियारों का जखीरा
इस बार कंट्रोल्ड सर्कल और मल्टी-लेयर कॉर्डन ने पूरा पलड़ा सुरक्षा बलों की ओर झुका दिया. एनकाउंटर साइट से दो AK-47 राइफल, एक पिस्तौल, एक रिवॉल्वर, एक सिंगल-बोर हथियार, गोलियां, किट बैग और अन्य सामान बरामद किए गए. सभी शवों को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा गया. शुरुआती पहचान में साफ हो गया कि मारे गए माओवादियों में वो कमांडर भी है जो रीढ़ माना जाता था.
6 ऑपरेशन के दौरान 31 नक्सली गिरफ्तार
इस ऑपरेशन के साथ-साथ विजयवाड़ा, एनटीआर, कृष्णा, काकीनाडा और अन्य इलाकों में पुलिस ने समांतर कार्रवाई करते हुए 31 संदिग्ध माओवादियों को गिरफ्तार कर लिया. इनमें नौ नक्सली सेंट्रल कमेटी मेंबर देवजी के सिक्योरिटी गार्ड बताए गए हैं. बाकी साउथ बस्तर जोनल कमेटी की बटालियन से जुड़े हुए थे. आंध्र प्रदेश में शरण लेकर अपनी गतिविधियों को शुरू करने की कोशिश कर रहे थे.
मुकेश कुमार गजेंद्र