दिल्ली में सड़क पर दिनदहाड़े गैंगवार, पुरानी है दुश्मनी की दास्तान

विकास दलाल दिल्ली के कुख्यात गैंगस्टर मंजीत महाल का वो गुर्गा था, जो जेल में बंद मंजीत के ईशारे पर जेल के बाहर उसके तमाम उल्टे-सीधे धंधों की ज़िम्मेदारी संभालता था, जबकि प्रवीण गहलोत जुर्म की दुनिया में अपनी अलग पहचान रखता था.

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इस गैंगवार और एनकाउंटर में दिल्ली के दो शातिर बदमाश मारे गए इस गैंगवार और एनकाउंटर में दिल्ली के दो शातिर बदमाश मारे गए

परवेज़ सागर

  • नई दिल्ली,
  • 21 मई 2019,
  • अपडेटेड 1:24 PM IST

दिल्ली में रोज की तरह उस सड़क पर भरपूर ट्रैफिक था. दिन का वक्त था. पैदल चलने वालों की भी अच्छी-खासी तादाद थी. तभी बीच सड़क पर चलती ट्रैफिक के बीच अचानक कुछ लड़के एक कार से उतरते हैं और एक दूसरी कार को रोक देते हैं. उस कार के साथ ही पीछे से आ रही बाकी गाड़ियां भी रुक जाती हैं. सड़क किनारे एक पीसीआर वैन भी खड़ी थी. मगर इन सबसे बेपरवाह कार से उतरे दोनों लड़कों ने अचानक पिस्टल निकाली और गोलियां चलानी शुरू कर दी.

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बीच सड़क गोलीबारी देख कर पहली नज़र में यकीन करना मुश्किल है. देखने वालों को इनके किसी फिल्मी सीन का हिस्सा होने का धोखा भी हो सकता है. लेकिन कोई सचमुच में बीच सड़क पर सैकड़ों की आंखों के सामने, कायदे-क़ानून और पुलिस से बेख़ौफ़ किसी पर यूं गोलियां बरसाए, तो ये सब कुछ देखना ना सिर्फ़ डरावना है बल्कि अजीब भी है. तभी कांपते हाथों से किसी शहरी ने इस मंज़र को अपने मोबाइल फ़ोन में शूट करने की कोशिश की, ताकि कल को जब ये तस्वीरें सामने आएं, तो किसी के लिए इस वाकये पर शक करने की कोई गुंजाइश ना बचे.

मगर सच्चाई तो ये है कि दिल्ली के गैंगवार में जो भी हो जाए, वो कम है. इस वाकये में तो फिर भी एक-दूसरे के ख़ून के प्यासे दो गैंगस्टर आपस में टकरा रहे हैं, लेकिन तारीख़ गवाह है कि दिल्ली के गैंगस्टर कई बार दुश्मनी में इतनी आगे निकल जाते हैं कि वो अपने दुश्मनों के साथ-साथ उनके बेगुनाह घरवालों और नाते-रिश्तेदारों को भी गोलियों का निशाना बनाने से नहीं चूकते.

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19 मई, 2019 दोपहर 3.45 बजे, द्वारका, दिल्ली

दरअसल, दिल्ली में जुर्म की काली दुनिया पर अपने वर्चस्व की लड़ाई में उलझे दो गैंगस्टरों का रविवार को अचानक ही एक-दूसरे से आमना सामना हो गया. विकास दलाल नाम के एक गैंगस्टर को खबर मिली थी कि उसका दुश्मन प्रवीण गहलोत अपने लोगों के साथ द्वारका इलाक़े की इस सड़क से गुज़रने वाला है. बस! फिर क्या था? विकास ने अपने गुर्गों के साथ बीच सड़क पर ही प्रवीण का इंतज़ार करना शुरू कर दिया. ताकि घात लगाकर उसे मारा जा सके. और फिर जैसे ही प्रवीण वहां अपनी सफ़ेद रंग की रिट्ज कार से पहुंचा, अपनी गाड़ी से उतर कर विकास दलाल और उसके गुर्गों ने प्रवीण पर फायरिंग शुरू कर दी.

लेकिन इस कहानी में तब एक ज़बरदस्त ट्विस्ट आ गया, जब दूसरों की जान लेने पर आमादा विकास दलाल खुद ही गोली का शिकार बन गया. और खेल देखिए कि ये गोली उसके दुश्मन प्रवीण या उसके गुर्गों ने अपनी जान बचाने के लिए नहीं चलाई, बल्कि खुद उन पुलिसवालों ने चलाई, जिन पर दिल्ली में कायदे क़ानून के हिफ़ाज़त की जवाबदेही है. यानी यहां एक ही वक्त पर गैंगवार भी हो रहा था और एनकाउंटर भी.

असल में यहां खड़ी एक पीसीआर वैन में मौजूद पुलिसवालों ने जब बीच सड़क पर फायरिंग की आवाज़ सुनी और कुछ लोगों को दूसरों पर गोली चलाते हुए देखा, तो कांस्टेबल नरेश ने अपनी पिस्टल से हमलावरों पर फायरिंग कर दी. उसका निशाना अचूक था. गोली सीधे विकास दलाल को लगी और प्रवीण को मारने की कोशिश कर रहा विकास खुद ही सड़क पर ढेर हो गया.

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हालांकि पुलिस की कार्रवाई के बावजूद विकास के गुर्गों ने प्रवीण पर फायरिंग जारी रखी और आख़िरकार उसे मार कर ही दम लिया. ध्यान से देखिए कैसे प्रवीण गहलोत पर गोलियां बरसाने के बाद जब विकास के लोगों को उसकी मौत का इत्मीनान हो गया, तो उन्होंने पुलिस की गोली से बीच सड़क पर पड़े अपने सरगना विकास दलाल की सुध ली और उसे उठा कर ले जाने की कोशिश की. लेकिन तब तक देर हो चुकी थी. मौका-ए-वारदात पर चंद मिनटों के अंदर एक गैंगवार भी हुई और एक एनकाउंटर भी. जिसमें दो गैंगस्टर मारे गए. प्रवीण गहलोत और विकास दलाल भी.

अब आइए, आपको इन दोनों गैंगस्टर की असलियत से भी वाकिफ़ करा देते हैं. असल में विकास दलाल दिल्ली के कुख्यात गैंगस्टर मंजीत महाल का वो गुर्गा था, जो जेल में बंद मंजीत के ईशारे पर जेल के बाहर उसके तमाम उल्टे-सीधे धंधों की ज़िम्मेदारी संभालता था, जबकि प्रवीण गहलोत जुर्म की दुनिया में एक अलग ही खिलाड़ी था. जबरन वसूली से लेकर ज़मीन हड़पने, किसी की प्रॉपर्टी पर कब्ज़ा करने से लेकर उसे खाली कराने जैसे तमाम काम इन गैंगस्टरों की कमाई के तरीकों में शामिल था. लेकिन हर रोज़ काली कमाई के नए-नए हथकंडे अपनाते ये दोनों गैंगस्टर एक रोज़ यूं बीच सड़क पर एक दूसरे का रास्ता काट जाएंगे, ये किसी को नहीं पता था.

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